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समस्या सुलझाने वाली बहू: रक्षंदा खान

छोटे पर्दे का एक जाना-पहचाना नाम रक्षंदा खान आज गेस्ट कॉलम के जरिए अपने टीवी इंडस्ट्री के अनुभवों को पाठकों के साथ शेयर कर रही हैं और बता रही हैं कि वह इन दिनों क्या कर रही हैं। मॉडलिंग के बाद मैं...

समस्या सुलझाने वाली बहू: रक्षंदा खान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 30 Jul 2011 01:53 PM
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छोटे पर्दे का एक जाना-पहचाना नाम रक्षंदा खान आज गेस्ट कॉलम के जरिए अपने टीवी इंडस्ट्री के अनुभवों को पाठकों के साथ शेयर कर रही हैं और बता रही हैं कि वह इन दिनों क्या कर रही हैं।

मॉडलिंग के बाद मैं टीवी पर आई। मैंने कुछ समय तक एंकरिंग की। क्या हादसा क्या हकीकत, सारा आकाश, काजल, कसम से, जस्सी जैसी कोई नहीं, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कितनी मोहब्बत है और कहानी हमारे महाभारत की जैसे मशहूर सीरियल में मैने अलग-अलग रोल किए। पर जस्सी जैसी कोई नहीं की मल्लिका सेठी और क्योंकि सास भी कभी बहू थी की तान्या वीरानी से मुझे जो फेम मिला, वह किसी अन्य सीरियल में काम करके नहीं मिला।

कसम से में मैं बिजनेस टायकून जय वालिया की लव इंट्रेस्ट थी। यह बहुत छोटा रोल था। पर दर्शकों को याद रहा। अब मैं सब टीवी पर कॉमेडी सीरियल अम्माजी की गली कर रही हूं। इस सीरियल की कहानी अमृतसर की छह सात घरों वाली एक गली की है। इस गली के लोग एक साथ एक बड़े परिवार की तरह रहते हैं। अपनी डे टु डे की प्रॉब्लम को अम्माजी के सामने रखते हैं। मैं इस बड़े परिवार की सबसे बड़ी बहू परमिन्दर का रोल कर रही हूं। यह कैरेक्टर निगेटिव नहीं है। परमिन्दर गुस्सैल है। पर किसी से झगड़ती नहीं।

गुस्साती है तो अपना घर साफ करना शुरू कर देती है। अपना घर साफ कर लेती है और गुस्सा नहीं शांत होता है तो आस-पास में सफाई शुरू कर देती है। इस कैरेक्टर की खासियत यह है कि गली की समस्याओं को यही सुलझाती है। सब यही समझते हैं कि अम्माजी करती हैं। यह बिल्कुल डिफरेंट रोल है। जस्सी जैसी कोई नहीं में मेरा मल्लिका का निगेटिव रोल था। क्योंकि सास भी कभी बहू थी की तान्या वीरानी घर की बहू थी। अम्माजी की गली को नुक्कड़ जैसा सीरियल कहना भी ठीक नहीं होगा। बेशक नुक्कड़ में भी समस्याएं उठती थीं। नुक्कड़ के लोग उन्हें मिल कर सुलझाते थे। पर फार्मेट के लिहाज से यह सीरियल बिल्कुल अलग था। नुक्कड़ के लोग अपने पेशे के कारण एक दूसरे से जुड़े थे।

उनकी अपनी पेशे से जुड़ी समस्याएं उठा करती थीं, जिसे वे लोग सुलझाया करते थे। नुक्कड़ अलग-अलग लोगों की सम्मिलित कहानी थी। यह पारिवारिक सीरियल नहीं था। सोनी पर एक सीरियल आता है कृष्णाबेन खाखरावाला। कृष्णाबेन भी समस्याएं सुलझाती हैं। उसमें भी समस्याएं पारिवारिक हैं। पर कभी बाहरी समस्याएं भी पेश आती हैं। सबसे बड़ी बात है कि कृष्णाबेन गुजराती पृष्ठभूमि वाला है। इसके किरदार खास लहजे में बोलते हैं। अम्माजी की गली अमृतसर की एक गली का पंजाबी कल्चर वाला सीरियल है।

सास बहू के सीरियलों में लाउड होने की समस्या ज्यादा होती है। पर परमिन्दर का किरदार बिल्कुल लाउड नहीं है।

यह कह सकते हैं कि हम लोगों को बिल्कुल स्वाभाविक एक्टिंग करने के लिए कहा जाता है, जैसे कि हम बोलते-चालते हैं। कोई भी डॉयलॉग जहां हम खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है जैसा नहीं है। आम बोलचाल की भाषा वाले डॉयलाग हैं। मुझे क्योंकि सास भी कभी बहू थी जैसे सास बहू सीरियलों की बहुओं की तुलना में अम्माजी की गली की बहू को करते हुए मजा आ रहा है। मैंने सीरियलों में बहुत सी भूमिकाएं कर लीं। टीवी पर आगे क्या करूंगी अभी कुछ सोचा नहीं। इस सीरियल से टाइम मिलने पर मैं अपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी का काम देखती हूं। चाहती हूं कि अम्माजी काफी समय तक चले। फिर बाद में देखा जाएगा।

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