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आतंकवाद पर बहानेबाजी नहीं चलेगीः चिदम्बरम

पाकिस्तान को परोक्ष रूप से आड़े हाथ लेते हुए भारत ने शनिवार को कहा कि कोई भी देश अपनी सरजमीं से उठते आतंकवाद के लिए सरकार से इतर तत्वों को दोषी ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। केंद्रीय गृह...

आतंकवाद पर बहानेबाजी नहीं चलेगीः चिदम्बरम
एजेंसीSat, 23 Jul 2011 03:52 PM
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पाकिस्तान को परोक्ष रूप से आड़े हाथ लेते हुए भारत ने शनिवार को कहा कि कोई भी देश अपनी सरजमीं से उठते आतंकवाद के लिए सरकार से इतर तत्वों को दोषी ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि जब तक सरकार से इतर तत्व आतंकवादी हमलों की तैयारी के लिए किसी देश के क्षेत्र का इस्तेमाल करते रहेंगे, तब तक ऐसे तत्वों को नेस्तनाबूद करने और उन्हें इंसाफ के कटघरे में लाने की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी उसी देश की होगी।

चिदंबरम ने दक्षेस के गृह मंत्रियों की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कभी-कभी उन्हें लगता है कि गुमराह करने के लिए ही सरकारी तत्वों और सरकार से इतर तत्वों के बीच फर्क बताया जाता है और यह फर्क बताने का इरादा आतंकवादी समूहों के मूल स्रोत यानी उनके भर्ती केंद्रों, प्रशिक्षण शिविरों और पनाहगाहों से निपटने की हमारी कोशिशों को दिग्भ्रमित करना होता है।
   
आतंकवाद को दक्षिण एशिया के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि क्षेत्र में इस समस्या से दक्षेस राष्ट्रों के बीच प्रभावी सहयोग के जरिये बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। चिदंबरम ने कहा कि हमारे समक्ष आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में श्रेष्ठ तरीकों और संसाधनों का इस्तेमाल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
   
गृह मंत्री ने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, हथियारों की तस्करी और संगठित तरीके से भारतीय जाली मुद्रा छापने और उसे वितरित करने की समस्या से निपटने के मौजूदा तरीकों का परीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया।

चिदंबरम ने कहा कि दक्षिण एशिया संभवत: विश्व का सबसे प्रभावित और संवेदनशील क्षेत्र है जहां इस वर्ष और पिछले वर्ष सबसे ज्यादा आतंकवादी घटनाएं हुईं।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवादी समूह इसलिए तैयार हुए क्योंकि उन्हें सरकारी और सरकार से इतर तत्वों की ओर से समर्थन मिला है। गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के अस्तित्व के समक्ष सबसे अहम खतरों में शामिल है। यह क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ा अवरोध है।
   
उन्होंने कहा कि हमारे लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन के समक्ष अब भी आतंकवादियों के लक्षित, दुस्साहसी और जानबूझकर किए जाने वाले हमलों के चलते बड़ा खतरा बना हुआ है। चिदंबरम ने दक्षेस में प्रभावी तरीकों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहने की भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि देश यह सुनिश्चित कराने के लिए पुरजोर प्रयास करेगा कि समूह एक सक्रिय क्षेत्रीय आर्थिक संगठन के रूप में उभरे।
 
चिदंबरम ने कहा कि मैं जून 2010 में इस्लामाबाद में हुए दक्षेस देशों के गृह मंत्री स्तरीय सम्मेलन को याद करना चाहता हूं जहां हम पिछली बार मिले थे। तब हम आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग के व्यापक मुद्दों पर सहमत हुए थे। गृह मंत्री ने कहा, मुझे भरोसा है कि हम सभी आतंकवाद की समस्या को उखाड़ फेंकने की हमारी साझा कोशिश में समान रूप से प्रतिबद्ध रहेंगे।

चिदंबरम ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के एजेंडे को सक्रियता के साथ आगे बढ़ाने की प्रक्रिया आतंकवादी खतरों, मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों और हथियार तस्करों सहित उन सभी से निपटने की हमारी साझा क्षमता से जुड़ी है जो हमारे लोगों की सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
   
उन्होंने कहा, सकारात्मक पक्ष के बारे में मैं यह कह सकता हूं कि हमारे नेता वृहद क्षेत्रीय संपर्क कायम करने, बेहतर परिवहन संरचना बनाने, सामानों के आदान प्रदान को बढ़ाने, प्रभावी सीमा चौकसी व्यवस्था को आकार देने और एकीकरण को बढ़ावा देते अन्य कदम उठाने की जरूरत पर सहमत हो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खतरा इस क्षेत्र के समक्ष साझा चुनौती है। इससे दक्षेस के सदस्य राष्ट्रों के बीच पूर्ण सहयोग के जरिए ही निपटा जा सकता है। चिदंबरम ने कहा, हमारे पास आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में श्रेष्ठ तरीके और संसाधनों का इस्तेमाल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। हमें हमारे संकल्पों को पूर्ण भावना के साथ अमल में लाने के अधिक सक्रिय रहने की जरूरत है।

गृह मंत्री ने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, हथियारों की तस्करी और संगठित तरीके से भारतीय जाली मुद्रा छापने और उसे वितरित करने की समस्या से निपटने के मौजूदा तरीकों का परीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया।

चिदंबरम ने कहा कि दक्षिण एशिया संभवत: विश्व का सबसे प्रभावित और संवेदनशील क्षेत्र है जहां इस वर्ष और पिछले वर्ष सबसे ज्यादा आतंकवादी घटनाए हुईं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवादी समूह इसलिए तैयार हुए क्योंकि उन्हें सरकारी और सरकार से इतर तत्वों की ओर से समर्थन मिला है।

गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के अस्तित्व के समक्ष सबसे अहम खतरों में शामिल है। यह क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ा अवरोध है। उन्होंने कहा कि हमारे लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन के समक्ष अब भी आतंकवादियों के लक्षित, दुस्साहसी और जानबूझकर किए जाने वाले हमलों के चलते बड़ा खतरा बना हुआ है।

चिदंबरम ने दक्षेस में प्रभावी तरीकों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहने की भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि देश यह सुनिश्चित कराने के लिए पुरजोर प्रयास करेगा कि समूह एक सक्रिय क्षेत्रीय आर्थिक संगठन के रूप में उभरे।

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