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Hindi News उग्रवादियों को छोड़ने के मामले पर विस में हंगामा

उग्रवादियों को छोड़ने के मामले पर विस में हंगामा

गिरफ्तार उग्रवादियों को सत्ताधीशों के कहने पर छोड़ने के मामले को लेकर विधानसभा में शनिवार को जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस पर जवाब मांगा। पहले तो सरकार ना-नुकुर करती रही, बाद में स्पीकर के कहने पर...

 उग्रवादियों को छोड़ने के मामले पर विस में हंगामा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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गिरफ्तार उग्रवादियों को सत्ताधीशों के कहने पर छोड़ने के मामले को लेकर विधानसभा में शनिवार को जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस पर जवाब मांगा। पहले तो सरकार ना-नुकुर करती रही, बाद में स्पीकर के कहने पर जवाब देने पर राजी हुई। संसदीय कार्य मंत्री स्टीफन मरांडी ने एक घंटे बाद सदन को बताया कि पुलिस ने मुखबिरी के संदेह में तीन लोगों संजय राय, शिवचंद्र सिंह मुंडा और गंगाधर सिंह मुंडा को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया। उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला। पुलिस ने शक के आधार पर उनको पकड़ा था। किसी उग्रवादी घटना में उनकी संलिप्तता नहीं पायी गयी है। मंत्री के जवाब से विपक्ष ने असहमति जतायी। बार-बार कहा कि सरकार खुलासा कर कि आखिर कौन सी एसी मजबूरी थी कि गिरफ्तार उग्रवादी थाने से छोड़ दिये गये। यह राज्य की जनता और जनप्रतिनिधियों के लिए बहुत ही खतरनाक है। विपक्ष ने मंत्री पर आरोप लगाया- सदन को गुमराह कर रहे हैं मंत्री स्टीफन मरांडी। थोड़ी देर दोनों पक्षों में नोक-झोंक होती रही। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य सदन से बाहर निकल गये। शनिवार को कार्यवाही शुरू होते ही जदयू के राधाकृष्ण किशोर, भाजपा के सरयू राय, सीपी सिंह, रघुवर दास, रवींद्र राय और निर्दलीय इंदर िंसंह नामधारी सहित कई सदस्य अपनी जगह पर खड़े होकर हिन्दुस्तान में छपी खबर का हवाला देते हुए सदन का ध्यान इस ओर खींचा। किशोर ने कहा कि दो हार्डकोर नक्सली छोड़े गये हैं, यह गंभीर बात है। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। सरकार इस पर जवाब दे। मंत्री स्टीफन मरांडी ने मामले को टालने के अंदाज में कहा कि इसे शून्यकाल में उठाइयेगा। मंत्री के इतना कहते ही विपक्षी सदस्य बिफर गये। कई सदस्य अपनी जगह पर खड़े होकर जोर-ाोर से नार लगाने लगे- उग्रवादियों को संरक्षण देना बंद करो। सरकार को जवाब देना होगा, दोना होगा। कई सदस्य वेल में पहुंच गये। तब स्पीकर ने हस्तक्षेप करते हुए निर्देश दिया कि संसदीय कार्य मंत्री इसका जवाब दें। 10 मिनट में इस पर जानकारी लेकर सदन को बतायें।

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