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हर घूंट, सेहत से भरपूर हर्बल चाय

मानसून में चाय की चुस्कियां और भी सुकून देने वाली लगती हैं। और अगर हर घूंट के साथ सेहत और सुंदरता भी मिल रही हो तो हर कोई यही कहेगा, वाह! हर्बल चाय वाह! खासकर दिल्ली जैसे शहर में तो सेहत के प्रति...

हर घूंट, सेहत से भरपूर हर्बल चाय
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 06 Jul 2011 01:18 PM
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मानसून में चाय की चुस्कियां और भी सुकून देने वाली लगती हैं। और अगर हर घूंट के साथ सेहत और सुंदरता भी मिल रही हो तो हर कोई यही कहेगा, वाह! हर्बल चाय वाह! खासकर दिल्ली जैसे शहर में तो सेहत के प्रति सतर्क लोगों की हेल्थ डाइट में कम चीनी वाली कड़क चाय की जगह हर्बल टी ने ले ली है। पूनम जैन का आलेख

कृपया हर्बल टी को चाय मत कहो, यह तो काढ़ा है। इससे न तो चाय का असली स्वाद मिल सकता है और न ही उसकी तलब को शांत किया जा सकता है। पटेल नगर में रहने वाली गीतिका हर्बल चाय को लेकर कुछ समय पहले तक यही सोच रखती थीं। पर आज गीतिका और उनके पति अपने दिन की शुरुआत हर्बल टी से करते हैं। पिछले कुछ समय में हर्बल चाय बड़े शहरों में लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बनती जा रही है। विभिन्न मार्केट शोध भी बताते हैं कि एक ओर जहां पारंपरिक चाय को पसंद करने वालों की संख्या घट रही है, वहीं हर्बल चाय का बाजार महानगरों में तेजी से जोर पकड़ रहा है। सेहत और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति सतर्क लोगों की हेल्थ डाइट में तेज और कड़क चाय की जगह हर्बल टी ने ले ली है। कैलोरी फ्री होने से वजन कम करने के इच्छुकों में भी इसकी मांग बढ़ रही है।

हर्बल चाय की चुस्की

पारंपरिक चाय की तरह हर्बल चाय कैमेलिया सिनेसिस बुश वाले पौधे से नहीं मिलती। ये विभिन्न ताजे फूल, बीज, जड़ और औषधियों को सुखाकर बनायी जाती है। गुड़गांव स्थित आर्टिमिस हॉस्पिटल में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी जोशी के अनुसार, ‘हर्बल टी में एंटी-ऑक्सीडेंट या फ्लेवोनॉयड भरपूर मात्र में होते हैं, जो हृदय रोगों में लाभकारी हैं। फ्लेवोनॉयड खून को जमने से भी रोकते हैं और कैंसर की संभावना को कम करते हैं। एल-थियानाइन नाम एमिनोएसिड विशेष तौर पर ग्रीन टी में पाया जाता है, जो वजन कम रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। हर्बल चाय आप अपनी जरूरत के अनुसार बनवा भी सकते हैं।

मीनाक्षी जोशी कहती हैं- आयुर्वेद में चाय नाम का इस्तेमाल नहीं होता, इसे फांट या काढ़ा कहा जाता है। कंपनियों की हर्बल टी में फ्लेवर का ध्यान भी रखा जाता है, पर आयुर्वेद में स्वास्थ्य लाभ के लिए इसका सेवन करते हैं। जैसे जुकाम और साइनस में तुलसी और अदरक की चाय अच्छी रहती है, तो वहीं जोड़ों के दर्द में दशमूल, रासना, अदरक, अर्जुन की चाय बतायी जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा में पत्तियों को खूब उबाला जाता है। 

न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. शिखा शर्मा के अनुसार, हर्बल चाय शरीर को ठंडक पहुंचाती है और पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करती है। साइको-सोमैटिक और फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे सिर दर्द, कब्ज, मोटापा, तनाव आदि में इनका सेवन लाभकर है। हर्बल टी  अधिक लेने का भी नुकसान नहीं है।  दूध और चीनी की जरूरत नहीं होने के कारण डाइटिंग कर रहे लोगों के लिए भी यह मुफीद है।

डॉ. मीनाक्षी के अनुसार, चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन के कारण इनकी लत लग जाती है। कई लोग इसी आदत को छोड़ने के लिए हर्बल चाय की ओर बढ़ रहे हैं।

कहां से खरीदें

प्रज्ञा चाय, गुरुकुल कांगडी आश्रम, खादी ग्राम उद्योग या हर्बल उत्पाद बेचने वाली संस्थाओं के अलावा विभिन्न ब्रांड्स की हर्बल टी खरीद सकते हैं। सामान्य चाय की तुलना में यह कुछ महंगी जरूर है।

हर्बल चाय बनाने की विधि

हर्बल चाय बनाने की विधि एकदम आसान है। इसे आप ऑफिस में भी बना सकते हैं। हर्बल पत्तियों से अधिकतम लाभ हासिल करने के लिए गर्म पानी की मात्र, तापमान और समय सीमा का ध्यान रखना जरूरी है। उदाहरण के लिए कैमोमाइल चाय बनाते समय तेज गर्म पानी को गैस से उतारकर कुछ सेकेंड के लिए रखें। फिर उसे चाय पर डालकर पांच मिनट के लिए ढककर रख दें, इससे चाय में मौजूद असेंशियल ऑयल उसमें बने रहेंगे और रंग व फ्लेवर भी अच्छा आएगा। बाद में छानकर पी लें। जैसमिन टी को दो मिनट से अधिक गर्म पानी में रखने पर कड़वाहट आ जाती है। गुलदाउदी चाय को गर्म पानी में तीन-चार मिनट तक ढक कर रखें। इसका  रंग पीला हो जाएगा।

ध्यान रखें

हर्बल टी पैकेज पर लिखे निर्देशों का पालन करें। यदि संभव हो, टी बैग्स की जगह खुली हर्बल चाय खरीदें।
एक बार चाय बनाने के बाद आप दोबारा भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
हर्बल टी को एक से दो मिनट ढककर रखें और फिर छानकर पीएं।
हर्बल पत्तियों को पानी के साथ नहीं उबालें, वे ऑक्सीडाइज्ड हो जाती हैं।

हर्बल टी और उनके लाभ

कैमोमाइल टी: बबूने के फूल से बनी इस हर्बल टी में ठंडक और आराम देने वाले गुण होते हैं। गैस या फिर मांसपेशियों के खिंचाव में इसका सेवन राहत देता है। प्राचीन समय में मिस्र के लोगों द्वारा इन फूलों को उगाया जाता था। इसका सेवन अनिद्रा से राहत देता है। महिलाओं में अनियमित माहवारी में भी यह फायदेमंद है। किडनी  और तिल्ली से जुड़ी परेशानियों में भी राहत मिलती है।

ग्रीन चाय: यह हर्बल चाय खासतौर पर चीन से संबंध रखती है। यह कम ऑक्सीडाइज्ड होती है। लॉगजिंग इसकी लोकप्रिय वैरायटी है। वजन कम करने के साथ इसमें कैसर प्रतिरोधक गुण भी पाए जाते हैं। हृदय रोगों और कंप्यूटर पर देर तक काम करने के कारण आंखों में उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए भी इसका सेवन कर सकते हैं।

गुलदाउदी यानी क्रायसेंथियम टी: पूर्वी एशिया में यह चाय काफी लोकप्रिय है। यह चाय अपने स्वाद और सुगंध के लिए जानी जाती है। इसमें विटामिन ए और सी काफी मात्र में होते हैं, इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, फाइबर और केरोटीन भी इसमें होता है। आई ड्राइनेस के साथ-साथ इसका सेवन त्वचा रोगों में भी फायदेमंद है। जुकाम, कफ और बुखार में लाभ के साथ शरीर की गर्मी को भी यह चाय ठंडक पहुंचाती है।

जैसमिन टी: चमेली के फूलों के समान ही इसकी खुशबू और स्वाद दोनों ही पसंद आने वाले हैं। यह चाय महिलाओं में लोकप्रिय है। इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण फ्री रेडिकल से सुरक्षा व त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभावों को नियंत्रित रखते हैं। हाई बीपी में भी फायदेमंद है। कैंसर सेल की वृद्धि नियंत्रित रखती है।

देसी हर्बल टी : यानी अदरक, सौंफ, तुलसी और दाल-चीनी वाली चाय, भारत में पुराने समय से जुकाम, रक्त संचार, अपच, बुखार व सिर दर्द आदि के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। एसिडिटी के शिकार लोगों को सौंफ का पानी पीने की सलाह दी जाती है। हर्बल चाय भी इन्हीं गुणों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आप इन्हें घर में सुखाकर भी बना सकते हैं।
पिपरमिंट टी: इसमें मेंथॉल होता है, जिसका सेवन सिर दर्द, जुकाम, डायरिया और उल्टी से राहत दिलाता है।

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