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छोड़ी ना जाएं दिल्ली की गलियां

नामचीन मॉडल और टीवी एंकर शेफाली तलवार को दिल्ली की बात चलते ही जौक की गजल की पंक्ति ‘कौन जाए जौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर’ याद आ जाती है। दिल्ली आपको कैसी लगती है? दिल्ली के बारे में...

छोड़ी ना जाएं दिल्ली की गलियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Jun 2011 11:58 AM
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नामचीन मॉडल और टीवी एंकर शेफाली तलवार को दिल्ली की बात चलते ही जौक की गजल की पंक्ति ‘कौन जाए जौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर’ याद आ जाती है।

दिल्ली आपको कैसी लगती है?
दिल्ली के बारे में सोचकर मुझे जौक की पंक्तियां याद आती हैं। ..कौन जाए जौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर। सच ही है। दिल्ली की गलियों में बड़ी बातें हैं। इन्हीं कारणों से जो दिल्ली में रह गए, उनके लिए दिल्ली एक ऐसी आदत है, जिसे छोड़ा नहीं जा सकता। हर बदलते मौसम में दिल्ली का अपना रूप होता है, जिसका अपना अलग मजा है। चाहे दिल्ली की सर्दी हो या गर्मी या बरसात। मौसम के साथ दिल्ली का मिजाज भी बदलता रहता है और खूबसूरती भी। यहां तो मौसम के साथ लोग अपना कारोबार तक बदल लेते हैं। गर्मियों में शिकंजी बेचने वाले सर्दियों में समोसे बेचने लग जाते हैं। लोग समय के साथ बदलते हैं, बदलने की इस प्रक्रिया में वे मजबूत भी होते हैं। एक और अच्छी बात है कि यहां देशभर के लोग रहते हैं, उनकी संस्कृति रहती है। यानी समूचा भारत समाया हुआ है दिल्ली में।

पिछले वर्षों में दिल्ली में आपने क्या-क्या बदलाव महसूस किए हैं?
दिल्ली में काफी बदलाव आए हैं। सारे बदलाव अच्छे हैं, लेकिन बीआरटी कोरिडोर वाला बदलाव समझ नहीं आया। मेट्रो बनी है, लेकिन उससे दिल्ली को लाभ कम, नुकसान ज्यादा हुआ है। मेट्रो जहां-जहां से जमीन के ऊपर से गुजरी है, वहां-वहां पेड़ों को काफी नुकसान हुआ है, पत्थरों की भीड़ बढ़ गई है। दिल्ली की बनावटी खूबसूरती भले ही बढ़ी हो, प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली को काफी नुकसान हुआ है।

यहां के सांस्कृतिक माहौल में आप क्या परिवर्तन पाती हैं?
सांस्कृतिक माहौल काफी बेहतर हुआ है। पहले तो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा था और कुछ ग्रुप थे, लेकिन आज बड़े स्तर पर काफी कार्यक्रम होने लगे हैं। मंडी हाउस से लेकर इंडिया हैबिटेट सेंटर और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर तक सांस्कृतिक गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। देशभर के लोग यहां रहते हैं और उनके साथ उनकी संस्कृति भी रहती है। इस तरह देश भर के सांस्कृतिक समारोह यहां होते रहते हैं, जो दिल्ली को सांस्कृतिक रूप से काफी बेहतर बनाते हैं।

दिल्ली की कौन-कौन सी बातें बहुत अच्छी लगती हैं?
दिल्ली की सर्दी के क्या कहने! यहां की सर्दी मुझे बहुत पसंद है। इसके अलावा दिल्ली का खाना भी लाजवाब है। और हां, सेंट्रल दिल्ली की खूबसूरती मुझे खूब आकर्षित करती है। खासकर इंडिया गेट और उसके आसपास का इलाका, इमारतें। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, जयपुर हाउस, बीकानेर हाउस, जोधपुर हाउस आदि काफी अच्छे लगते हैं। ये इमारतें काफी ग्रैंड लगती हैं, सड़कें, गार्डन सब बेहद आकर्षक लगते हैं। इस इलाके को देखकर लगता है कि हम भारत जैसे विशाल देश की राजधानी दिल्ली में हैं।

कौन-कौन सी बातें अच्छी नहीं लगतीं?
यहां के लोगों में बहुत बहस है, धोखाधड़ी है। जबान के मीठे नहीं हैं। सेंट्रल दिल्ली के बाहर के हिस्से में गंदगी काफी है। लगता ही नहीं कि बाहरी दिल्ली देश की राजधानी का ही हिस्सा है।

यहां खाने-पीने के लिए कौन-कौन सी जगहें पसंद हैं?
चाइनीज के लिए इरोज इंटरकॉन्टीनेंटल और हयात के चाइना किचेन में जाती हूं। मौर्या में दमपुख्त का खाना पसंद है, जहां वेज और नॉनवेज दोनों ही मुझे पसंद है।

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