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बड़े खेल में तो रिस्क लेना पड़ता है: इमरान

आमिर खान की आने वाली होम प्रोडक्शन फिल्म ‘डेल्ही बेली’ के साथ इमरान खान एक बार फिर आस्तीनें चढ़ाए दिख रहे हैं। वो बात दीगर है कि डीके बोस गीत के कारण उनकी यह फिल्म पहले से ही चर्चा में...

बड़े खेल में तो रिस्क लेना पड़ता है: इमरान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Jun 2011 03:01 PM
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आमिर खान की आने वाली होम प्रोडक्शन फिल्म ‘डेल्ही बेली’ के साथ इमरान खान एक बार फिर आस्तीनें चढ़ाए दिख रहे हैं। वो बात दीगर है कि डीके बोस गीत के कारण उनकी यह फिल्म पहले से ही चर्चा में है। पेश है इमरान से हुई बातचीत के कुछ अंश।

डेल्ही बेली में आप एकदम नए अवतार में नजर आ रहे हैं?
मैं हमेशा कुछ अलग करना चाहता हूं। एक तरह के किरदार से मैं बोर हो जाता हूं। हमेशा मेरी कोशिश होती है कि मैं हर बार कुछ अलग करूं और ऐसे किरदार निभाऊं जो थोड़े-से अलग हों। डेल्ही बेली में पहली बार मैं ऐसा किरदार निभाने जा रहा हूं, जो एकदम अलग है।

आपको रिस्क नहीं लगता है। अगर दर्शकों को यह फिल्म पसंद नहीं आई तो?
हो सकता है कि यह फिल्म लोगों को पसंद नहीं आए, लेकिन अगर आपको कोई बड़ा खेल खेलना होता है तो रिस्क लेना पड़ता है। यह फिल्म मेरे लिए एक तरह की रिस्क है। आमिर मामू फिल्म के प्रोडय़ूसर हैं इसलिए फिल्म को अच्छी बैकिंग मिलेगी। भले ही यह फिल्म न चले पर मुङो खुशी है कि मैंने इसमें काम किया।

बड़े खेल से आपका क्या तात्पर्य है?
दरअसल शुरुआत में हमने डेल्ही बेली अंग्रेजी में बनाई थी, लेकिन जब हमने फिल्म देखी तो हमें एहसास हुआ कि यदि इसे हिंदी में भी बनाते हैं तो हमारे दर्शकों के पास भी दो विकल्प हो जाएंगे। उसे देखेंगे। इसलिए हमने इसे हिंदी में भी बनाया। लेकिन यह फिल्म मेच्योर आडियंस के लिए है। इसलिए उसका ट्रीटमेंट वैसा ही है।

इसके गानों में द्विअर्थी शब्दों का काफी इस्तेमाल हुआ है?
जहां तक डबल मीनिंग की आप बात कर रही हैं, वैसे जोक्स तो लगभग हर फिल्म में देखने और सुनने को मिल जाएंगे। ऐसे कई शब्द भी हैं, जिनका बार-बार प्रयोग गाली में बदल जाता है। दरअसल लोग आमिर मामू को टारगेट करते हैं क्योंकि वो शरीफ हैं। डीके बोस एक नाम है। लेकिन कोई इसे उल्टा करके गाली की तरह ही ले तो वो उसकी समस्या है।

क्या निजी जीवन में आप कभी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं?
कमीना शब्द का मैं बहुत इस्तेमाल करता हूं। दरअसल यह मेरे दोस्तों के बीच एक रनिंग जोक है। मैं गुस्से में चिल्लाता नहीं हूं। मेरा गुस्सा शांत है। लेकिन मैं आज की जेनरेशन हूं इसलिए मुङो गालियों से परहेज भी नहीं है। दोस्तों के बीच ऐसे शब्दों का इस्तेमाल होता है, पर मुझे इतनी समझ है कि वक्त आने पर मैं खुद को कंट्रोल करूं।

आपको नहीं लगता कि एक कलाकार होने का नाते आपके ऊपर कुछ सामाजिक जिम्मेदारी भी है?
बतौर कलाकार मैं वही करता हूं जो मेरा निर्देशक करने के लिए कहता है। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं जो भी कर सकता हूं वो समाज के लिए करने की कोशिश करता हूं। मैं अमेरिकन सिटीजन हूं इसलिए यहां पर वोट नहीं कर सकता हूं। लेकिन पिछले तीन सालों से वोटिंग के लिए कैंपेन कर रहा हूं। मैं हर साल कालेजों में जाता हूं और वहां पर सबसे कहता हूं कि मैं वोट नहीं कर सकता हूं पर वो अपने वोट का इस्तेमाल जरूर करें।

फिल्म साइन करते हुए आप किन बातों का ध्यान रखते हैं?
डायरेक्टर, प्रोडय़ूसर और स्क्रिप्ट मेरे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। सबसे पहले मैं स्क्रिप्ट पढ़ता हूं। अगर वो मुझे पसंद आती है और उसे पढ़कर बोर नहीं होता तो फिर प्रोडय़ूसर और निर्देशक देखता हूं।

लेकिन अगर बात आपके मामू आमिर खान के प्रोडक्शन की हो तो?
वैसे मैं आपको बता दूं, मैंने इस फिल्म के लिए तीन से चार बार स्क्रीन टेस्ट दिया। कई बार चीजें बदलीं, जिसकी वजह से हां-ना चलता रहा, फिर जाकर यह फिल्म मिली। जिस तरह से यह जरूरी नहीं है कि आमिर मामू जो फिल्म बना रहे हैं उसमें मैं ही काम करूंगा, वैसे ही ये जरूरी नहीं है कि मैं भी आमिर मामू की हर फिल्म के लिए हां कहूंगा। पर मैं जानता हूं कि मामू मुझे ऐसा कोई किरदार ऑफर नहीं करेंगे जो मुझे सूट नहीं करेगा। 

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