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उड़ने को तैयार हैं हम

अगर लड़की ज्यादा पढ़ गई तो उसकी शादी कैसे होगी? यह भी एक जमाना था। अब स्थिति बदल गई है। छोटे शहरों की लड़कियां भी अब उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रही हैं। पर, समस्या कम नहीं हुई। उनके लिए छोटे शहरों...

उड़ने को तैयार हैं हम
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Jun 2011 12:07 PM
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अगर लड़की ज्यादा पढ़ गई तो उसकी शादी कैसे होगी? यह भी एक जमाना था। अब स्थिति बदल गई है। छोटे शहरों की लड़कियां भी अब उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रही हैं। पर, समस्या कम नहीं हुई। उनके लिए छोटे शहरों में अभी तक नौकरी के अवसर पैदा नहीं हुए हैं। वो साजो-सामान के साथ उड़ने को तैयार हैं, पर उनके सामने खुला आकाश ही नहीं है। बता रही हैं क्षमा शर्मा

एक जमाने में माना जाता था कि अगर लड़की ज्यादा पढ़ गई तो उसकी शादी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए लाखों लड़कियां जो इंद्रधनुषी सपने देख सकती थीं वे सपने सिर्फ आंखों में ही कैद होकर रह गए। वे पढ़ नहीं सकीं। जो पढ़ीं भी उनकी डिग्रियां अलमारी और संदूक के किसी ऐसे कोने में बंद कर दी गईं कि धूल भी नहीं झड़ सकी। लेकिन आज ये स्त्रियां खुश हैं। जो सपने वे खुद नहीं देख पाईं, जिसके लिए कभी अवसर नहीं मिला, वे उनकी बेटियां पूरे कर रही हैं। उच्च शिक्षा की तरफ लड़कियों के कदम बढ़ चले हैं। एच आर डी मिनिस्ट्री की मानें तो उच्च शिक्षा में लड़कियों का एनरोलमेंट लगातार बढ़ रहा है। आजादी के वक्त जहां पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या मात्र दस प्रतिशत थी वहीं 2010-2011 में 56 लाख लड़कियों ने खुद को उच्च शिक्षा के लिए एनरोल कराया है। एक लड़की को आगे बढ़ते देख, दूसरी लड़कियां और उनके माता-पिता भी सीख रहे हैं। पड़ोस की लड़की डांक्टर बन सकती है, इंजीनियर बन सकती है, एमबीए कर सकती है, नाम कमा सकती हैं तो हमारी लड़की क्यों नहीं कर सकती ऐसा? लड़की पढ़ती है, पैसा कमाती है आगे बढ़ती है तो उसके लिए घर और वर भी अच्छा मिलता है।

शायद यही वजह है कि जिस उत्तरप्रदेश को लड़कियों के विकास के बारे में बहुत पिछड़ा हुआ और भदेस माना जाता था, वहां 2008-09 में पूरे देश के मुकाबले उच्च शिक्षा में लड़कियों का एनरोलमेंट सबसे ज्यादा हुआ था। यह संख्या थी, 8.4 लाख। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र था। दो सालों में स्थिति और बदल गई है।

आज लड़कियां उच्च शिक्षा की तरफ मात्र इसलिए नहीं जा रहीं कि इससे उन्हें वर मिलने में सुविधा होगी। आज उच्च शिक्षा का सवाल उनकी स्वायत्तता, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान से जुड़ गया है। पिछली जेनरेशन की तरह आज की लड़की सिर्फ इसलिए नहीं नौकरी करना चाहती कि वह कमाएगी, पैसा आएगा तो घर ठीक से चलेगा। आज की लड़की कुछ करके दिखाना चाहती है। वह किसी से पीछे नहीं रहना चाहती। बहुत पीछे रह लिया। बहुत पदचिह्नों पर चलकर देख लिया। अब तो खुद ऐसा रास्ता बनाएं, जिस पर दूसरे चलना चाहें। 

यही नहीं आज लड़कियों के लिए उच्चशिक्षा का मतलब मात्र बीए-एमए करना नहीं है। उच्च शिक्षा का मतलब है, ऐसी शिक्षा जो उन्हें अपने पांव पर खड़ा कर सके, रोजगार दिला सके। इसीलिए छोटे शहर की लड़कियां भी जल्दी से जल्दी पढ़ाई करके रोजगार पाना चाहती हैं। यह बात अलग है कि उन्हें रोजगार नहीं मिलता।

छोटा शहर, बड़े-बड़े सपने

कुछ साल पहले टीवी पर एक गाना जोरों से बजता था-जाना है मुझे बोम्बे। इसे कुछ लड़कियां गाती दीखती थीं। यानी कि एक लड़की जो जीवन में बहुत कुछ करना चाहती है, उसे छोटे शहर नहीं मुंबई जैसे बड़े शहर ही स्पेस और रोजगार दे सकते हैं। वहीं उसके सपनों का अनंत आकाश खुल सकता है। यह सचमुच सोचने की बात है। आखिर छोटे शहरों में बड़ी संख्या में उच्चशिक्षा प्राप्त लड़कियां हैं, मगर रोजगार के अवसर नहीं हैं। अगर इन लड़कियों को रोजगार के अवसर मिलें तो ये बहुत कुछ कर सकती हैं। बाधा की हर दीवार को लांघकर आगे बढ़ सकती हैं।

कई बार लड़कियां पत्र लिखती हैं, मैसेज करती हैं। मेल की सुविधा अभी छोटे शहरों में हर घर में नहीं पहुंची है। इन पत्रों में इन लड़कियों की छटपटाहट दिखाई देती है। वे पढ़ी-लिखी हैं, मगर कुछ करना चाहती हैं। अपने छोटे शहर से निकलना चाहती हैं। सिर्फ शादी के इंतजार में साल दर साल नहीं गुजारना चाहतीं। कोई कहती है कि कितना अच्छा होता कि वह भी अपनी मौसेरी बहन की तरह दिल्ली में रहती होतीं।  जिस तरह वह सक्सेसफुल है वह भी सफल होतीं। कोई जानना चाहती है कि उसके शहर में शिक्षा है मगर रोजगार क्यों नहीं? इन दिनों हर लड़की के मन में कुछ न कुछ करने का अंधड़ चल रहा है, जरूरत है इसे दिशा देने की है। हायर एजुकेशन इन लड़कियों की सफलता में वह पहला पडा़व है जहां से ये आगे बढ़ने की सही दिशा तलाश सकती हैं।

चाहिए परिवार का सहयोग

जिन घरों में आज भी यह माना जाता है कि लड़की ज्यादा पढ़ाई नहीं, उसकी शादी जरूरी है उन्हें उन लड़कियों की ओर देखना चाहिए जिन्होंने विवाह से पहले अपनी पढ़ाई पूरी की और जीवन में हर मंजिल को पाने की कोशिश की। ये लड़कियां अपने परिवार के सहयोग के कारण ही ऐसा कर सकीं। लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने पर वे न केवल परिवार बल्कि समाज के लिए भी बहुत कुछ कर सकती हैं। बेटियां अपने सपनों को तभी सच कर पाएंगी, जब परिवार और समाज दोनों उसका साथ देगा।

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