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करियर काउंसलर: छात्रों के भविष्य में संवारें खुद का करियर

जैसे-जैसे छात्र अपने करियर को लेकर जागरूक हो रहे हैं, वैसे-वैसे उनमें इस बात को लेकर भी काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है कि आखिर उनके लिए करियर की सही राह कौन-सी है, किस क्षेत्र में वे बेहतर कर...

करियर काउंसलर: छात्रों के भविष्य में संवारें खुद का करियर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Jun 2011 11:38 AM
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जैसे-जैसे छात्र अपने करियर को लेकर जागरूक हो रहे हैं, वैसे-वैसे उनमें इस बात को लेकर भी काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है कि आखिर उनके लिए करियर की सही राह कौन-सी है, किस क्षेत्र में वे बेहतर कर सकते हैं आदि। करियर काउंसलर  अपनी स्किल तथा अनुभव के आधार पर छात्रों की इसी दुविधा का निवारण करता है।

करियर काउंसलर लोगों की रुचि, प्रतिभा, नजरिया और स्किल्स परख कर उन्हें सलाह देते हैं कि वे किस क्षेत्र में करियर बनाएं। शुरुआती स्तर पर करियर काउंसलर का काम किसी छात्र को यह बताना होता है कि उसकी रुचि और एटिटय़ूड के हिसाब से कैसे-कैसे कोर्स हैं। किन यूनिवर्सिटी या कॉलेज से वह कोर्स किया जा सकता है। वांछित योग्यताएं क्या होनी चाहिए, फीस वगैरह कितनी देनी होगी आदि। करियर काउंसलर इंटरमीडिएट लेवल के छात्रों के कुछ विशेष टेस्ट लेते हैं, जिसके नतीजों के आधार पर छात्रों को अपनी पसंद और प्रतिभा जानने-समझने का मौका मिलता है।

रूटीन

.सुबह 8 बजे: सारे दिन के अपॉइंटमेंट चेक करना
.9 बजे: छात्रों से बात करना
.10 बजे: छात्रों के लिए पर्सनेलिटी टेस्ट की रूपरेखा तैयार करना
.11 बजे: छात्रों के काउंसलिंग सेशन के लिए अपॉइंटमेंट तय करना
.12 बजे के बाद: काउंसलिंग सेशन की शुरुआत करना
.4 बजे के बाद: रिसर्च और जानकारी इकट्ठा करना
.5 बजे: पूरे दिन के कामों को चेक करना

सेलरी

शुरुआती स्तर पर एक करियर काउंसलर 12 से 15 हजार रुपए प्रति माह तक कमा सकता है। जैसे-जैसे उसके काम का अनुभव बढ़ता है, उसकी सेलरी भी बढ़ती जाती है। बाद में वह 35 हजार रुपए तक कमाने लगता है। इसके बाद तो काम के दायरे के आधार पर सेलरी निर्भर करती है। अगर आप अपना करियर काउंसलिंग सेंटर खोलते हैं तो पैसे कमाने की कोई तय सीमा नहीं होती।

स्किल

.कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होनी चाहिए।
.कमांडिंग पर्सनेलिटी होनी चाहिए।
.शिक्षा के क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
.एनालिटिकल एप्रोच होनी चाहिए, ताकि छात्रों के मनोविज्ञान को पढ़ कर उन्हें बेस्ट विकल्प सुझा सकें।

क्वालिफिकेशन

इंटरमीडियट की शिक्षा पूरी करने के बाद मनोविज्ञान में स्नातक करना चाहिए। इसके बाद गाइडेंस और काउंसलिंग में पीजी डिप्लोमा करना चाहिए। बहुत सारे लोग मनोविज्ञान की पढ़ाई किए बिना इस क्षेत्र में करियर बनाते हैं, मगर उन्हें इतनी अच्छी सफलता नहीं मिलती, जितनी इस विषय के जानकारों को मिलती है। 

इसके अलावा ऐसे लोग भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं, जिनमें दूसरों से बात करने और उनकी जरूरतों को समझने की
कला हो।

याद रखें

.ये चुनौतियों से भरा करियर है।
.आप में स्किल्स की जितनी विविधता होगी, करियर के ऑप्शन आपके सामने उतने ज्यादा खुलेंगे।
.इस पेशे में खुद को अपडेट रखना बहुत जरूरी है।

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