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फेरी वालों के लिए भी हो जमीनः NAC

सड़कों और पटरियों पर दुकान लगाने वालों और रेहड़ी वालों की आजीविका के संरक्षण के लिए एक केंद्रीय कानून की सिफारिश की गई है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने प्रस्ताव रखा है कि...

फेरी वालों के लिए भी हो जमीनः NAC
एजेंसीSun, 29 May 2011 11:58 AM
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सड़कों और पटरियों पर दुकान लगाने वालों और रेहड़ी वालों की आजीविका के संरक्षण के लिए एक केंद्रीय कानून की सिफारिश की गई है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने प्रस्ताव रखा है कि शहरी जमीन का दो प्रतिशत भाग फेरी वालों के लिए चिन्हित किया जाना चाहिए।

परिषद की हाल ही में हुई बैठक में इस बाबत प्रस्ताव तैयार किया गया और सरकार से कुछ सिफारिशें करने का फैसला किया गया। फेरी वालों के संरक्षण का मुद्दा उठाने वाली एनएसी की एक सदस्य ने बताया कि सरकार से इस बाबत एक केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश करने का फैसला किया गया है, जिसमें यह सिफारिश भी शामिल है कि शहरी भूमि का दो प्रतिशत हिस्सा सड़क और फुटपाथ पर व्यापार के लिए चिन्हित किया जाना चाहिए।

सूत्रों के अनुसार, एनएसी ने फेरी वालों की जिम्मेदारी राज्यों और नगर निकायों पर डालने का विरोध किया है। इससे पहले एनएसी शहरी गरीबों के लिए अलग से कार्यक्रम चलाने की सिफारिश सरकार से कर चुकी है। एनएसी ने कहा कि सड़कों पर व्यापार करना नगर निकायों द्वारा नियमन का मामला नहीं बल्कि शहरी गरीब परिवारों की आजीविका, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।

एनएसी के वक्तव्य के अनुसार, कानून का मकसद फेरी वालों के मौजूदा रोजगार और आजीविका के संरक्षण का होना चाहिए, जिससे तेजी से बढ़ते शहरों में उनके लिए भविष्य में रोजगार के अवसर बढ़ें वहीं पैदल यात्रियों के हितों का भी संरक्षण हो।

केंद्रीय कानून में प्राकृतिक बाजारों के सिद्धांत को शामिल करने की मांग की गई है और प्रस्ताव है कि प्रत्येक कस्बा विक्रय समिति के लिए एक विवाद निस्तारण फोरम बनाया जाना चाहिए और राज्य स्तर पर अपीलीय प्राधिकार हो, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें। देश में लाखों फेरी वालों और सड़क पर दुकान लगाने वाले लोगों के कल्याण के लिए एनएसी ने इसकी जिम्मेदारी राज्यों पर डालने के केंद्र सरकार के सुझाव को दरकिनार कर दिया है।

गौरतलब है कि सरकार ने इससे पहले शहरों में फेरी वालों के लिए राष्ट्रीय नीति को प्रभावी तरह से लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालने की वकालत की थी और कहा था कि इस संबंध में केंद्रीय कानून प्रभावशाली नहीं होगा। एनएसी सदस्य ने कहा कि केंद्र अभी तक प्रदेशों पर जिम्मेदारी डालता रहा है। शहरी गरीबों और फेरी वालों के लिए जिम्मेदारी राज्यों पर डालना सही नहीं होगा। इसके लिए एक केंद्रीय कानून की जरूरत है।

इससे पहले फेरी वालों के राष्ट्रीय संगठन (एनएएसवीआई) ने एनएसी को पत्र लिखकर कहा था कि यदि फेरी वालों के मुद्दे को राज्यों पर छोड़ दिया जाता है तो कानून लागू होने की संभावना खत्म हो जाएगी। 22 राज्यों में फेरी वालों के संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और ट्रेड यूनियनों के संघ एनएएसवीआई ने हाल ही में इस संबंध में प्रधानमंत्री को भी एक ज्ञापन भेजा था।

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