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कर्नाटक में असमंजस की स्थिति बरकरार

कर्नाटक में व्याप्त राजनीतिक संशय का दूसरा सप्ताह शुरू होने को है, लेकिन यह स्थिति कब साफ होगी, कोई भी बता पाने की स्थिति में नहीं है। राज्य सरकार के मंत्री रैलियों में व्यस्त हैं और मुख्यमंत्री...

कर्नाटक में असमंजस की स्थिति बरकरार
एजेंसीSun, 22 May 2011 12:54 PM
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कर्नाटक में व्याप्त राजनीतिक संशय का दूसरा सप्ताह शुरू होने को है, लेकिन यह स्थिति कब साफ होगी, कोई भी बता पाने की स्थिति में नहीं है। राज्य सरकार के मंत्री रैलियों में व्यस्त हैं और मुख्यमंत्री विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं। विपक्ष जवाबी रैलियां आयोजित कर रहा है और इस सब के बीच आम जनता पिस रही है।

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी पार्टी, कांग्रेस की रैलियों की शुरुआत 16 मई से हुई है। इसके एक दिन पहले राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 16 विधायकों की सदस्यता बहाल किए जाने के बाद येदियुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी थी। केंद्र सरकार ने राज्यपाल की रिपोर्ट पर अभी कार्रवाई नहीं की है।

भाजपा बेंगलुरु और पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर रही है और मांग कर रही है कि केंद्र सरकार भारद्वाज की सिफारिश खारिज कर दे और उन्हें कर्नाटक से वापस बुला ले। कांग्रेस अपनी रैलियों के जरिए भाजपा का विरोध कर रही है और भारद्वाज का समर्थन कर रही है। कांग्रेस राज्य में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रही है।

लेकिन संशय बना हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, ''यद्यपि कई मंत्री कार्यालय नहीं आ रहे हैं, लेकिन सचिवालय में दैनिक कामकाज प्रभावित नहीं हुआ है।''

अधिकारी ने हालांकि स्वीकार किया कि कार्यालय में मंत्रियों की अनुपस्थिति के कारण जनता प्रभावित हुई है, खासतौर से वे लोग जो राज्य के विभिन्न हिस्सों से हर रोज सचिावलय उनसे किसी न किसी काम से मिलने आते हैं।  लोगों का कहना है कि येदियुरप्पा मुख्यमंत्री रहे या न रहें, लेकिन सरकार को जल्द कामकाज शुरू कर देना चाहिए।

एक बहुराष्ट्रीय आईटी कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर एसके सुधींद्र ने कहा, ''मैं शिद्दत से ऐसा चाहता हूं, मानसून के दो सप्ताह दूर होने के कारण बेंगलुरु पर खासतौर से तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। शहर में मानसून पूर्व की बारिश ने जो कहर ढाया है, उसने आसन्न बड़े संकट का संकेत दिया है।''

उमा राघव नाम की गृहिणी ने कहा, ''मुझे भय है कि येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बने रहने के बावजूद रैलियों का दौर समाप्त नहीं होगा, क्योंकि भाजपा ने घोषणा कर रखी है कि वह भारद्वाज के वापस बुलाए जाने तक शांत नहीं बैठेगी।'' इतिहास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एम. मल्लिकार्जुन ने कहा, ''इस राजनीतिक और कानूनी लड़ाई के बीच नुकसान सिर्फ हमारे जैसे आम लोगों का हो रहा है।''

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