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12वीं योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत: मनमोहन

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये जरूरी संसाधनों की कमी की चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार किए जाने की जरूरत पर बल...

12वीं योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी की जरूरत: मनमोहन
एजेंसीThu, 21 Apr 2011 07:38 PM
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आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये जरूरी संसाधनों की कमी की चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार किए जाने की जरूरत पर बल दिया है।
 
योजना आयोग की पूर्ण बैठक में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने आज यहां कहा, किसी भी योजना में महत्वपूर्ण मुददा संसाधनों की उपलब्धता होता हैं। हम जानते है कि संसाधनों की तंगी है। ऐसे में जरूरत है कि संसाधनों के बेहतर उपयोग की जरूरत के साथ साथ जहां जहां संभव हो सार्वजनिक संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र के संसाधनों की मद्द ली जाए।
  
आयोग ने अगली पंचवर्षीय योजना में औसतन 9 से 9.5 प्रतिशत वार्षिक आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखा है। आयोग का अनुमान है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) में औसतन 8.2 प्रतिशत वार्षिक की आर्थिक वृद्धि रहेगी।
  
12वीं योजना की तैयारी से संबंधित बैठक में योजना आयोग ने अपनी प्रस्तुती में कहा कि 12वीं योजना में दोहरे अंक में आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखना व्यवहारिक होगा लेकिन 9 प्रतिशत की वृद्धि दर के लिये भी विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिये ठोस कार्रवाई की जरूरत होगी। सिंह ने कहा कि अगली योजना का मकसद अधिक तीव्र, ज्यादा समावेशी और सतत वृद्धि होनी चाहिए।
  
उन्होंने कहा, इसके लिये हमें नये लक्ष्यों को परिभाषित करने की जरूरत है। हमें महत्वपूर्ण क्षेत्रों के पहचान की जरूरत है जहां मौजूदा नीतियां और कार्यक्रम के वांछित परिणाम नहीं आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों की नीतियों और कार्यक्रमों को ठीक किया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर पुनर्गठित करने चाहिए।
  
योजना आयोग ने कहा है कि विशिष्ट विनिर्माण उद्योग, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अधिक उदार नियम और उदार व्यापार नीतियां और बेहतर नियमन ढांचा इसका इलाज है। प्रस्तुतीकरण के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने चेताया कि विनिर्माण क्षेत्र वांछित नतीजे नहीं दे पा रहा है और इसका विपरीत असर पड़ सकता है। ऐसे में इस दिशा में नई पहल की जरूरत है।
     
आयोग ने कारोबार की लागत को कम करने तथा पारदर्शिता के लिए कारोबार नियमन ढांचे में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया है। आयोग ने कहा, आमतौर पर यह धारणा है कि उद्योगों को अनिश्चितता तथा राजनीतिक जोड़तोड़ के भय से बचाने के लिए नियमन में पारदर्शी व्यवस्था की जरूरत है।
     
योजना आयोग ने कहा है कि चालू योजनावधि (2007-12) के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर औसतन 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 11वीं योजना के लक्ष्य 9 प्रतिशत से कम है। हालांकि, आयोग का मानना है कि 8.2 प्रतिशत की वृद्धि भी वैश्विक आर्थिक मंदी को देखते हुए शानदार कही जा सकती है। योजना आयोग ने इस बात का जिक्र किया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र को एफडीआई के लिए खोल नहीं पाई है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों से इसका पुरजोर विरोध हो रहा है।
    
आयोग ने कहा, ऐसा माना जाता है कि उदार एफडीआई नीति से न केवल मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी, पर इससे श्रमबल का भी नियमन हो सकेगा। प्रस्तुतीकरण में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) के समक्ष आ रही दिक्कतों का भी उल्लेख किया गया है, क्योंकि कुछ वर्गों और लोगों में यह आशंका है कि इससे उत्पादक कृषि भूमि उनसे छिन जाएगी। आयोग ने सूक्ष्म, लघु और मंझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए क्लस्टर को आगे बढ़ाने का सुक्षाव दिया है, जिससे इस क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
    
अन्य सुक्षावों में आयोग ने कहा है कि सरकार को 2012 से शुरू हो रही पंचवर्षीय योजना के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए 4 प्रतिशत की वृद्धि दर के लक्ष्य को लेकर चलना चाहिए। इस उददेश्य के लिए किसानों को बेहतर ग्रामीण ढांचा मुहैया कराए जाने की जरूरत है। साथ ही भंडारण तथा खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं को भी बेहतर बनाया जाना चाहिए।

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