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पावर योगा यानी कम टाइम में फिट बॉडी

रीना कपूर, दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ और रानी मुखर्जी में नायिका होने के अलावा और क्या समानता हैं। ये सभी अपने को फिट रखने के लिए पावर योगा करती हैं। जहां तक नायकों की बात है तो सैफ अली खान, अर्जुन...

पावर योगा यानी कम टाइम में फिट बॉडी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 12 Apr 2011 04:51 PM
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रीना कपूर, दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ और रानी मुखर्जी में नायिका होने के अलावा और क्या समानता हैं। ये सभी अपने को फिट रखने के लिए पावर योगा करती हैं। जहां तक नायकों की बात है तो सैफ अली खान, अर्जुन रामपाल और गोविंदा भी इस मॉर्डन योगा का सहारा लेते हैं। आप क्या सोचते हैं, यह पावर योगा अखिर है क्या? दिन-रात बिजी रहने वाले फिल्मी दुनिया के ये चमकते चेहरे क्या करोड़ों की फिल्में और स्टेज शो छोड़कर बाबा रामदेव के भक्तों की तरह सुबह-सुबह योग करते होंगे? दरअसल इस सवाल में ही पावर योगा की परिभाषा भी छुपी हुई है। यह है तो एक तरह का योग ही, लेकिन न तो इसे करने के लिए योग की पारंपरिक मान्यताओं का पालन करना पड़ता है और न ही इसमें ज्यादा समय लगता है। साधारण योग के लिए जहां तमाम नियम और बंदिशें हैं, पावर योगा में ज्यादा से ज्यादा 45 मिनट का समय लगता है। इसे रोज सुबह करने की जरूरत भी नहीं होती। ये सारे स्टार्स इसके लिए सप्ताह में दो या हद से हद तीन बार समय निकालते हैं। इसे करने के लिए सुबह का समय होना ही जरूरी नहीं है, किसी भी समय अपने शेडय़ूल के हिसाब से आप इसे आजमा सकते हैं, बस शर्त इतनी है कि खाली पेट या फिर खाना खाने के तीन घंटे बाद ही इसका अभ्यास करें।

पावर योगा

इसे भारतीय योग के पॉपुलर आसन, सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स और कुछ अन्य आसनों को मिलाकर बनाया गया है। यह शब्द पश्चिमी देशों में 1990 के दशक में सामने आया। माना जाता है कि भारतीय योग से प्रभावित होकर पश्चिमी देशों ने योग को अपनाना तो शुरू किया, लेकिन उनकी फास्ट लाइफ स्टाइल योग को हूबूहू भारतीय रूप में अपनाने की इजाजत नहीं देती थी। उनके पास उसे विधिवत और पारंपरिक रूप से करने के लिए समय की कमी के कारण उन्होंने इसे अपने अनुकूल बनाया और केवल उतने ही स्टेप्स लिए, जितने उन्हें जरूरी लगे। उन्होंने इसे तेज और डायनामिक शैली में करना शुरू किया, यही बाद में पावर योगा के नाम से जाना जाने लगा। 

पारंपरिक योग

माना जाता है कि पारंपरिक यानी भारतीय योग महज एक शारीरिक अभ्यास ही नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। यह शैली  योग से तन को फिट और सुंदर बनाने पर उतना जोर नहीं देती, इसका जोर एक संयमित व नियमों से बंधी दिनचर्या पर होता है। इसमें योग के लिए सुबह सूर्योदय से पहले का समय तय होता है। यह एक तरह से तन से मन की यात्रा है, जिसका उद्देश्य अपने विचारों को शुद्ध बनाना और पूरी मानवता का कल्याण माना जाता है। हाल के सालों में देश में इसके प्रति तेजी से रुझान बढ़ा है, क्योंकि माना जा रहा है कि बाजार और मॉल कल्चर से पैदा होने वाले डिप्रेशन, अकेलेपन और दूसरी तमाम बीमारियों का इलाज योग से ही हो सकता है।

पावर योगा के  फायदे

समय कम लगता है
आपको फिट रखता है
शरीर का आकार संतुलित रखता है
वसा को कम करता है
अनावश्यक कैलोरी को खत्म करता है
16 से 30 साल के युवाओं के लिए ज्यादा बेहतर नतीजे देने वाला है
दिल के रोगियों के लिए इसे करना ठीक नहीं
कम ब्लड प्रेशर वालों और प्रेगनेंट औरतों के लिए नुकसानदायक
35 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए ज्यादा बेहतर परिणाम नहीं

दोनों योगों में अंतर

पावर योगा शरीर फिट रखने के लिए किया जाता है, जबकि पारंपरिक योग मन की शांति और संयमित जीवन जीने में मदद करता है।

योग गुरु सुनील सिंह कहते हैं, ‘पावर योगा शरीर को फिट रखने का एक आसान तरीका है। इसी वजह से यह आजकल फिल्म स्टार्स, सिलेब्रिटीज और युवाओं में काफी प्रचलित हो रहा है। हालांकि मैं मानता हूं कि इसकी खामियां, इसकी खूबियों से ज्यादा हैं। यह केवल दिखावे के लिए शरीर को फिट रखने के तरीके सिखाता है। यह हमारे प्राचीन योग की तरह मन की शांति और संयमित जीवन दर्शन को पाने में कोई मदद नहीं करता। इसमें ध्यान और संयम पर जोर नहीं दिया जाता, जो हमारे पारंपरिक योग का मूल लक्षण है।’

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