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दंतेवाड़ा पूरी तरह हमारे नियंत्रण में नहीं: रमन सिंह

दंतेवाड़ा आगजनी मामले में दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। घटना के दोषी बच नहीं पाएंगे। यह बात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कही। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह इलाका...

दंतेवाड़ा पूरी तरह हमारे नियंत्रण में नहीं: रमन सिंह
एजेंसीThu, 31 Mar 2011 07:28 PM
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दंतेवाड़ा आगजनी मामले में दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। घटना के दोषी बच नहीं पाएंगे। यह बात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कही। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह इलाका पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में नहीं है।

मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि दंतेवाड़ा की आगजनी की घटना में पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से राज्य के तीन जनजातीय बस्तियों में उपद्रव किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिस इलाके में उपद्रव की बात कही जा रही है वह क्षेत्र सरकार के नियंत्रण में पूरी तरह नहीं है।

सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वामी को दंतेवाड़ा जाने से आगाह किया था, क्योंकि वहां 'लोगों की नाराजगी' प्रकट होने की आशंका थी।

उन्होंने कहा, ''जांच समिति की रिपोर्ट में यदि पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। कोई भी पुलिसकर्मी बच नहीं पाएगा।

ज्ञात हो कि सत्ता में आने के बाद दंतेवाड़ा घटना के लिए भाजपा को संभवत: अब तक की अपनी सबसे बड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

तारमेतला के ग्रामीणों और दंतेवाड़ा जिले के दो अन्य जनजातीय बस्तियों के लोगों ने आरोप लगाया है कि गत 11 और 16 मार्च के बीच पुलिसकर्मियों ने उत्पात मचाते हुए उनके 200 से अधिक घरों में आग लगाई। उन्होंने लोगों की हत्याएं करने के साथ ही महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया।

सिंह ने हालांकि कहा कि तारमेतला पुरी तरह से सरकार के नियंत्रण में नहीं है।

उन्होंने कहा, ''सभी जानते हैं कि तारमेतला इलाका पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में नहीं है। हाल के महीनों में पुलिस नक्सलियों के कुछ इलाकों में दाखिल हुई है और स्थानीय लोगों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करने वाले नक्सलियों को चुनौती दी है।''

उल्लेखनीय है कि तारमेतला राजधानी रायपुर से करीब 500 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। गत वर्ष के छह अप्रैल को इसी इलाके में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के 76 जवानों को मार दिया था। इनमें से 75 जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के थे।

मुख्यमंत्री ने इस घटना की न्यायिक जांच का आदेश देने के अलावा मामले की जांच के लिए गत 24 मार्च को चार सदस्यीय जांच समिति का भी गठन किया। इलाके में हुए उपद्रव की तस्वीरें समाचार पत्रों में छपी हैं। सिंह ने कहा कि घटना की जांच 'निष्पक्ष और पारदर्शी' होगी।

 

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