सात से हड़ताल पर जाना तय
र्मचारी संगठनों को वर्ष 2006 से वास्तविक भुगतान चाहिए। उन्हें सैद्धांतिक सहमति अथवा नोशनल नहीं चाहिए। अगर राज्य सरकार ने छठे वेतन आयोग की अनुशंसाओं को 01.01. 2006 से नहीं लागू किया तो सात जनवरी से...
र्मचारी संगठनों को वर्ष 2006 से वास्तविक भुगतान चाहिए। उन्हें सैद्धांतिक सहमति अथवा नोशनल नहीं चाहिए। अगर राज्य सरकार ने छठे वेतन आयोग की अनुशंसाओं को 01.01. 2006 से नहीं लागू किया तो सात जनवरी से उनका हड़ताल पर जाना तय है। शनिवार को राज्य सरकार के दफ्तरों में अवकाश था लेकिन कर्मचारी संगठन हड़ताल की तैयारियों की समीक्षा में जुटे रहे। अभी कर्मचारी संगठनों का जनजागरण अभियान चल रहा है। इसका समापन छह जनवरी को दिन में प्रदर्शन और शाम में मशाल जुलूस के साथ होगा। इसके बाद सात जनवरी को वे हड़ताल पर चले जाएंगे।ड्ढr ड्ढr सचिवालय सेवा संघ के महासचिव अनिल कुमार सिंह ने बताया कि वे लोग अभी सरकार के रवैये का इंतजार कर रहे हैं। उनके अनुसार राज्य सरकार का यह कहना पूरी तरह गलत है कि जिस तरह पंचम वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू हुई थीं उसी तरह वह छठे वेतन आयोग की अनुशंसाओं को लागू कर रही है। उस समय 01.01. 1से वेतन आयोग को लागू करने की सैद्धांतिक सहमति बनी थी और 01.04. 1से वास्तविक भुगतान किया गया था। उन्होंने कहा कि 1में कर्मचारी संगठनों और राज्य सरकार के बीच समझौता हुआ था कि भविष्य में केन्द्र सरकार की देय तिथि से केन्द्र के अनुरूप वेतन, भत्ता और सुविधाएं राज्यकर्मियों को दी जाएंगी। यही नहीं वेतन निर्धारण फामरूला भी केन्द्र सरकार के अनुरूप ही होगा। 1में इस समझौते को दुहराया गया था। लेकिन अब राज्य सरकार इससे भाग रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को 01.01. 2006 से वास्तविक भुगतान से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। दूसरी तरफ बिहार राज्य श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी संघ के अध्यक्ष सुरन्द्र प्रसाद सिंह ने छठे वेतन आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने के मामले में केन्द्र की भांति संशोधन की पहल को सराहनीय बताया है। लेकिन साथ में उन्होंने यह भी कहा है कि कर्मियों के बकाये का भुगतान 01.01. 2006 से ही होना चाहिए।