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क्या सरकार सो रही थीः SC

सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में जमा कालेधन के विशिष्ट स्रोतों की जांच नहीं करने के लिए सरकार की सोमवार को आलोचना की और केंद्र से कहा कि वह इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरों के संबंध में...

क्या सरकार सो रही थीः SC
एजेंसीMon, 28 Mar 2011 04:36 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में जमा कालेधन के विशिष्ट स्रोतों की जांच नहीं करने के लिए सरकार की सोमवार को आलोचना की और केंद्र से कहा कि वह इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरों के संबंध में की गई जांच से उसे अवगत कराए।

न्यायालय ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कालेधन के मुद्दे पर सरकार की जांच पुणे के व्यापारी हसन अली खान पर ही केंद्रित रही और विदेशों में धन जमा कराने के मामले में किसी अन्य व्यक्ति का नाम नहीं आया।

न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से सवाल किया कि कोई और जानकारी सामने नहीं आ रही है। सिर्फ एक ही व्यक्ति है। अन्य कहां हैं? सुब्रमण्यम ने सीलंबद लिफाफे में प्रवर्तन निदेशालय की जांच की स्थिति रिपोर्ट पीठ को सौंपी।

स्थिति रिपोर्ट देखने के बाद पीठ ने खान के खिलाफ पासपोर्ट मामले सहित विभिन्न मामलों में जांच के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना की। पीठ ने टिप्पणी की कि स्थिति रिपोर्ट देखने के बाद शांत और चुप रहना कठिन है।

पीठ ने कहा कि ये सब एजेंसियां 2008 से क्यों सोई हुई थीं उन्होंने तब कार्रवाई क्यों की जब हमने पहल की। अगर रिट याचिका दायर नहीं की गई होती तो कुछ नहीं होता। शीर्ष अदालत पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी।

न्यायालय ने विदेशी बैंकों में जमा काले धने से जुड़े मुद्दे की गहन जांच के लिए खुफिया ब्यूरो, रॉ, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की फिर बात की।

सालिसिटर जनरल ने कहा कि मामले में जांच से राजनीतिज्ञों के एक करीबी व्यक्ति के शामिल होने का खुलासा हुआ है। उन्होंने न्यायालय को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि खान से संबंधित मामले में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि खान से जुड़ा मामला सिर्फ पासपोर्ट में छेड़छाड़ का मामला नहीं है बल्कि इसके कई गंभीर पहलू हैं।

सुब्रमण्यम ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने खान के बयानों को गंभीरता से लिया है, जिनमें उन्होंने अपने और परिवार के सदस्यों को सुरक्षा देने की मांग की है। न्यायालय ने 18 मार्च को पिछली सुनवाई के दौरान भी एसआईटी गठित करने की बात की थी।

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