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वस्तानवी मामलाः नहीं शुरू हुई जांच

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रशासन की कथित तौर पर तारीफ करने से आलोचना के घेरे में आए दारूल उलूम देवबंद के विवादास्पद कुलपति गुलाम मोहम्मद वस्तानवी के भविष्य पर फैसला करने के लिए गठित...

वस्तानवी मामलाः नहीं शुरू हुई जांच
एजेंसीSun, 27 Mar 2011 11:25 AM
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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रशासन की कथित तौर पर तारीफ करने से आलोचना के घेरे में आए दारूल उलूम देवबंद के विवादास्पद कुलपति गुलाम मोहम्मद वस्तानवी के भविष्य पर फैसला करने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति अब तक अपनी जांच का काम शुरू नहीं कर सकी है। समिति के सदस्य अपनी-अपनी वजहों से व्यस्त हैं। समिति का गठन बीते 23 फरवरी को किया गया था।

समिति को इसी महीने अपना काम आरंभ करना था, लेकिन पहले इम्तेहान और फिर एक सदस्य मौलाना मलक मोहम्मद इब्राहीम के उमरा के लिए सउदी अरब चले जाने से यह नहीं हो सका। समिति के एक अन्य सदस्य और महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य मुफ्ती मुहम्मद इस्माइल सदन का सत्र चलने की वजह से व्यस्त हैं।

गत 23 फरवरी को देवबंद में मजलिस-ए-शूरा की बैठक हुई थी। उसी दिन शूरा ने तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया था। समिति में मुफ्ती मुहम्मद इस्माइल (मालेगांव), मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी (कानपुर) और मौलाना मलक मोहम्मद इब्राहिम (चेन्नई) शामिल हैं। ये तीनों शूरा के सदस्य हैं।

मुफ्ती इस्माइल ने बताया कि देखिए, अब तक हम जांच आरंभ नहीं कर पाए हैं। हम तीनों सदस्य अब तक साथ नहीं बैठे। मैं विधानसभा के सत्र में व्यस्त हूं और मौलाना इब्राहिम उमरा के लिए गए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि विधानसभा का मौजूदा सत्र समाप्त हो जाएगा। उस वक्त तक मौलाना इब्राहिम भी लौट आएंगे। इसके बाद हम लोग अपना काम शुरू करेंगे। उम्मीद है कि अप्रैल के आखिर तक हमारी जांच शुरू होगी।

समिति वस्तानवी के उस बयान की जांच करेगी, जिसमें उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन की कथित तौर पर तारीफ की थी। समिति में मुफ्ती मंजूर सबसे अनुभवी सदस्य हैं। शूरा की उसी बैठक में मौलाना नोमानी को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया था।

इससे पहले संस्थान के कारगुजार मुहतमिम (कार्यवाहक कुलपति) मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा था कि शूरा की बैठक रमजान से पहले यानी जुलाई के महीने में संभव है, जिसमें यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।

वस्तानवी बीते 10 जनवरी को दारूल उलूम देवबंद के कुलपति चुने गए थे। गुजरात के निवासी मौलाना वस्तानवी ने पिछले दिनों कहा था कि गुजरात के मुसलमानों को 2002 के दंगो को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य का मुसलमान खुशहाल है, हालांकि वस्तानवी ने दंगों के लिए मोदी को क्लीनचिट देने से इनकार किया था। उनके इस बयान के बाद ही पूरा विवाद खड़ा हुआ।

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