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अपने फैसले खुद लेने होंगे

‘राइट टु इन्फॉर्मेशन एक्ट’, इस कानून से आज पूरा देश वाकिफ है, पर राष्ट्रीय स्तर पर इसे कानून बनाने में अहम भूमिका निभाई अरुणा रॉय ने और इसका ड्राफ्ट तैयार किया अरविंद केजरीवाल ने। हरियाणा...

अपने फैसले खुद लेने होंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 23 Mar 2011 04:45 PM
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‘राइट टु इन्फॉर्मेशन एक्ट’, इस कानून से आज पूरा देश वाकिफ है, पर राष्ट्रीय स्तर पर इसे कानून बनाने में अहम भूमिका निभाई अरुणा रॉय ने और इसका ड्राफ्ट तैयार किया अरविंद केजरीवाल ने। हरियाणा के अरविंद शैक्षिक तौर पर एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। बाद में उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की परीक्षा में सफलता हासिल की और दिल्ली के आयकर विभाग में कमिश्नर की भूमिका निभाई।

अपनी इस अहम भूमिका को निभाने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज भी बुलंद की। अपनी नौकरी के दौरान ही उन्होंने ‘परिवर्तन’ नामक संस्था की नींव रखी। इस संस्था के जरिये अरविंद और उनके दोस्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। आज वे न सिर्फ विभाग, बल्कि पूरे तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चे पर डटे हुए हैं। उनका कहना है, ‘इसके लिए हम पारदर्शी, जवाबदेह, न्यायपूर्ण और भागीदारी वाली व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।’

वर्ष 2000 से विभाग से छुट्टी लेकर ‘परिवर्तन’ के जरिये सरकार से सवाल-जवाब कर रहे अरविंद ने वर्ष 2006 में आयकर विभाग को आधिकारिक रूप से अलविदा कह दिया। विभाग में कमिश्नर की नौकरी छोड़ने का उन्हें कोई दुख नहीं है। अरविंद कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि जो जिंदगी पैसा कमाने के लिए खर्च कर दी जाए, वह जिंदगी ही खराब है।’

भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘परिवर्तन’ का जन्म कैसे हुआ, इस पर अरविंद का कहना है, ‘ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार मुझे विभाग में आने के बाद ही दिखाई दिया। इसने धीरे-धीरे मेरे जीवन पर अपनी गहरी छाप छोड़नी शुरू कर दी। नौकरी के दौरान कई मामले मेरे सामने आए और फिर वर्ष 2000 में मैंने और मेरे कुछ दोस्तों ने मिल कर परिवर्तन की नींव रखी। हमारा मकसद इसके जरिये व्यवस्था तंत्र में सुधार लाना है, न कि परिवर्तन को बढ़ाना। आज भी हम पांच-छह लोग ही इसमें काम करते हैं।’
एक अच्छे छात्र के गुण तो अरविंद केजरीवाल में थे, यह तो आईआईटी में उनके प्रवेश से साबित होता है, लेकिन इसके अलावा वे एक अच्छे अभिनेता भी रहे हैं। कॉलेज के दिनों से ही अरविंद कॉलेज के नाटक ग्रुप के साथ जुड़ गए थे।

शायद कॉलेज के इन्हीं नाटकों ने अरविंद में एक जिम्मेदार नागरिक के बीज को अंकुरित कर दिया और वहीं से उनके दिल में देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ। आज अरविंद केजरीवाल को सूचना के अधिकार से जोड़ कर देखा जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के अधिकार के कानून के लिए अरविंद ने 2005 में ड्राफ्ट तैयार किया। इसकी प्रेरणा के बारे में अरविंद का कहना है, ‘2000 तक तो मैं इस बारे में कुछ जानता ही नहीं था। 2001 में सूचना का अधिकार कानून दिल्ली के साथ कुल 9 राज्यों में लागू हुआ। दिल्ली में कानून के आने के बाद मैंने इसके बारे में काफी पढ़ा और समझा। फिर जब बात इसे राष्ट्रीय स्तर पर लाने की हुई तो मैंने इसके लिए ड्राफ्ट बनाने का काम शुरू किया और इसे कानून बनाने में अहम भूमिका निभाई अरुणा रॉय ने।’

आप आम जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं, ‘आम जनता का पूरा अधिकार है कि वह जाने कि उसके लिए क्या किया जा रहा है। आज हमारे सभी निर्णय तो ऊपर बैठे नेता और अधिकारी कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि आम जनता खुद अपने फैसले ले। इसके लिए सूचना का अधिकार एक बढ़िया साधन है। और जहां जरूरत लगे, इस अधिकार का उपयोग करें।’

फैक्ट फाइल

नाम : अरविंद केजरीवाल
जन्म वर्ष : 1968
जन्म स्थान: हिसार, हरियाणा
शिक्षा : मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी खड़गपुर (1989)
ग्रेजुएशन के बाद टाटा स्टील में नौकरी
इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) 1992
आयकर विभाग दिल्ली में कमिश्नर के रूप में नियुक्ति
वर्ष 2000 में ‘परिवर्तन’ की नींव रखी और आयकर विभाग से छुट्टी ली
वर्ष 2006 में आधिकारिक रूप से नौकरी छोड़ी
वर्ष 2006 में मेगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित
लेखन : ‘सूचना के अधिकार’ में विष्णु राजगड़िया के साथ सह लेखक और देश के राजनीतिक स्वरूप की परिकल्पना के रूप में ‘स्वराज’ का लेखन
अभियान : 5 अप्रैल, 2011 से ‘जन लोकपाल बिल’

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