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सरकार ने हड़ताल पर गए ट्रक आपरेटरों की डीजल के दामों में कटौती सहित अन्य गैरवाजिब मांगों को मानने से साफ इंकार करते हुए रविवार को कहा कि जरूरत पडने पर ट्रकों के परमिट रद्द करने जैसे सख्त कदम भी उठाए...

लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सरकार ने हड़ताल पर गए ट्रक आपरेटरों की डीजल के दामों में कटौती सहित अन्य गैरवाजिब मांगों को मानने से साफ इंकार करते हुए रविवार को कहा कि जरूरत पडने पर ट्रकों के परमिट रद्द करने जैसे सख्त कदम भी उठाए जा सकते हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव ब्रह्मदत्त ने कहा कि ट्रक आपरेटरों को अपनी गैर-वाजिब मांगें छोड़कर आम आदमी के हित में हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल छह महीने के भीतर ही दूसरी बार हड़ताल करके ट्रक आपरेटरों ने दुर्भाग्यपूर्ण रवैए का परिचय दिया है। इसके बावजूद सरकार उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन उन्हें वाजिब मांगें ही रखनी चाहिए। गौरतलब है कि देश भर में फैले करीब डेढ़ लाख ट्रक आपरेटरों के संगठन अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (एआईएमटीसी) के आह्वान पर करीब 60 लाख ट्रक रविवार की आधी रात से हड़ताल पर चले गए हैं। आपरेटरों ने डीजल के दामों में प्रति लीटर 10 रूपए की कटौती करने के साथ ही टायरों की कीमत में 35 फीसदी की राहत देने की भी मांग रखी है। सरकार ने इस पर कड़ा रूख अख्तियार करते हुए कहा कि ऐसा करना संभव नहीं है। ब्रह्मदत्त ने कहा कि सरकार ने कुछ समय पहले ही डीजल की कीमत में दो रूपए प्रति लीटर की कटौती की है और सरकारी तेल कंपनियों को हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसमें और कमी करने में असमर्थता जताई है। उन्होंने कहा कि हड़ताल की वजह से आम आदमी की दिक्कतें बढ़ने की सूरत में सरकार आवयक वस्तुआें की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी। हम रेलवे, राय सरकारों और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के वाहनों का उपयोग भी इसके लिए करेंगे। वैसे मौजूदा कानूनों के दायरे में ट्रक आपरेटरों का नेशनल परमिट रद्द करने का अधिकार भी सरकार के पास सुरक्षित है। ब्रह्मदत्त ने इस हड़ताल के असर पर अपनी सजग प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसका सही अंदाजा तो दो-तीन दिन के बाद ही चल पाएगा। वैसे शुरूआती जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और पंजाब में इसका आंशिक असर देखा जा रहा है जबकि देश के पूर्वी और पूवर्ोत्तर हिस्से में यह निष्प्रभावी रहा है। जब उनसे यह पूछा गया कि हड़ताल कब तक समापत हो जाएगी तो उन्होंने इसके लिए कोई तय समयसीमा बताने से इंकार करते हुए कहा कि हम ट्रक आपरेटरों के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हैं और रविवार रात तक हमने उन्हें मनाने की भी पूरी कोशिश की। वैसे हम उनकी उस मांग से सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं कि सारे देश में ट्रकों का आवागमन नेशनल परमिट से मुक्त होना चाहिए। ब्रह्मदत्त ने टोल टैक्स के भुगतान पर रोक लगाने संबंधी ट्रक आपरेटरों की मांग को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में एक समिति का गठन गत जुलाई 2008 में हुई हड़ताल के बाद किया जा चुका है। उन्होंने राय सरकारों की तरफ से लगाए जाने वाले सेवा शुल्क को हटाए जाने की मांग को मानने से भी यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह राय सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने आपरेटरों को अपना चेतावनी भरा संदेश देते हुए कहा कि सरकार आपकी हरेक वाजिब मांग को पूरा करने की कोशिश करेगी लेकिन आप भी आम आदमी की परेशानियों का ध्यान रखें। अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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