सरकारी उपायों का असर, आद्योगिक उत्पादन बढ़ा
वैश्विक आर्थिक मंदी से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को दूर करने के लिए सरकार के उपाय कारगर साबित होते नजर आने लगे हैं। इसके परिणामस्वरुप औद्योगिक उत्पादन सूचकांक फिर पटरी पर लौटकर नवंबर...
वैश्विक आर्थिक मंदी से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को दूर करने के लिए सरकार के उपाय कारगर साबित होते नजर आने लगे हैं। इसके परिणामस्वरुप औद्योगिक उत्पादन सूचकांक फिर पटरी पर लौटकर नवंबर 08 में 2.4 प्रतिशत की बढ़त पाने में सफल रहा। पंद्रह साल के लंबे अंतराल के बाद अक्टूबर 08 में पहली बार औद्योगिक उत्पादन में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आंकड़ों के अनुसार नवम्बर 08 में उपभोक्ता वस्तुआें के उद्योग में 4.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई, जबकि पिछले साल यह 2.प्रतिशत नकारात्मक था। सरकार ने मंदी से बचने और मांग में वृद्धि के उद्देश्य से सैनवैट दर में चार प्रतिशत कटौती की थी। इसके अलावा ब्याज दरों में कमी लाने के साथ ही तरलता को बढ़ाने की दिशा में एक-एक कर कई कदम उठाए गए। माह के दौरान उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुआें के सूचकांक की गिरावट दर भी पिछले साल के साढ़े पांच प्रतिशत की तुलना में घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई, जबकि उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुआें के उद्योग में 7.3 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई। पिछले साल इस उद्योग में दो प्रतिशत की गिरावट थी। पूंजीगत वस्तुआें के उद्योग में 2.3 प्रतिशत की गिरावट रही जो पिछले साल 24.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ा था, जबकि खनन उद्योग में आधा पहले के 6.3 प्रतिशत की तुलना में मात्र आधा प्रतिशत की वृद्धि रही। इलैक््रिटसिटी उद्योग की रफ्तार पहले के 5.8 प्रतिशत की तुलना में कुछ धीमी पडकर 3.1 प्रतिशत रह गई। चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 3.प्रतिशत रही है। पिछले वित्त वर्ष में औद्योगिक उत्पादन में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।