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कोसी पुनर्निर्माण में बाधक बन रहा है केंद्र

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र की यूपीए सरकार कोसी क्षेत्र के पुनर्निर्माण में बाधक बन रही है। सोमवार को जनता दरबार में संवाददाताओं से बात करते हुए श्री कुमार ने कहा कि फरवरी में लोकसभा...

 कोसी पुनर्निर्माण में बाधक बन रहा है केंद्र
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र की यूपीए सरकार कोसी क्षेत्र के पुनर्निर्माण में बाधक बन रही है। सोमवार को जनता दरबार में संवाददाताओं से बात करते हुए श्री कुमार ने कहा कि फरवरी में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद आचार संहिता लागू हो जायेगी। पूरा तंत्र चुनाव में लग जायेगा। बाढ़पीड़ितों को भारी दिक्कत हो जायेगी। केन्द्र बार-बार टीम भेज कर कोसी क्षेत्र में तबाही का जायजा ले रहा है लेकिन कोई मदद नहीं दी जा रही। राज्य सरकार अपने संसाधनों से ही पुनर्वास कार्यक्रम चला रही है। कोसी प्रलय को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया लेकिन उस हिसाब से सहायता नहीं मिली। अब मुझे कुसहा जाने से भी रोका जा रहा है। बाढ़पीड़ितों को सुनामी की तर्ज पर तत्काल मदद मिलनी चाहिए। कोसी क्षेत्र में ध्वस्त इंदिरा आवास बनाने के लिए दोबारा राशि दी जायेगी। इसके लिए केन्द्र से भी मदद मांगी गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कुसहा बांध टूटा तो मैं सबसे अनुरोध करता था, बांध विदेश में टूटा है। इसलिए संभल कर बोलना चाहिए। फिर भी केन्द्र के मंत्री मेर ऊपर नस्लकुशी (जेनोसाइट) का मुकदमा चलवाना चाहते थे। अब हम बिहार सरकार का काम को देखने कुसहा जाना चाहते हैं तो केन्द्र सरकार इसे विदेशी मसला बताकर मुझे जाने से रोक रही है। अगर मुख्यमंत्री नहीं रहते तो आराम से कुसहा जा सकते थे लेकिन मुख्यमंत्री को वीजा लेकर ही जाना पड़ेगा।ड्ढr केन्द्र ने पहले तो राजदूत के नहीं रहने के कारण 3 जनवरी के बाद जाने को कहा और अब जाना चाहते हैं तो यह कह दिया कि कॉफर डैम नहीं बना है। इसलिए नहीं जा सकते। संकट आने पर अटैक के लिए सीएम था पर हम अपना काम देखने के लिए भी नहीं जा सकते। हरक एमएलए और एमएलसी की विकास निधि से क्रमश: 25 और 30 लाख रुपये लेकर पुनर्वास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अगर कोसी का प्रलय राष्ट्रीय आपदा है तो हमारी अनदेखी क्यों की जा रही है? ध्वस्त मकानों के लिए डेढ़-डेढ़ लाख रुपये मांगे गये। वह राशि भी नहीं मिली। सीआरएफ कानून में तो झोपड़ियों के लिए दो हजार और कच्चे मकान के लिए 10 हजार ही देने का प्रावधान है।

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