दो टूक
इतिहास में पहली बार किसी भारतीय संगीतकार के हाथ में आयी गोल्डन ग्लोब ट्रॉफी को जरा गौर से देखिये! इसकी सुनहरी चमक दरअसल भारत के छोटेड्ढr शहरों और नौजवान आबादी की आभा है। तमिलनाडु के किसी मध्यवर्गीय...
इतिहास में पहली बार किसी भारतीय संगीतकार के हाथ में आयी गोल्डन ग्लोब ट्रॉफी को जरा गौर से देखिये! इसकी सुनहरी चमक दरअसल भारत के छोटेड्ढr शहरों और नौजवान आबादी की आभा है। तमिलनाडु के किसी मध्यवर्गीय परिवार में कोई अल्ला रक्खा रहमान नाम का बच्चा पैदा होता है जो 43 साल की उम्र में भारतीय संगीत की नयी पहचान गढ़ देता है! कहीं दूर इलाहाबाद में कोई विकास स्वरूप नाम की लेखन प्रतिभा परवान चढ़ती है जिसकी एक किताब ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ की शक्ल लेकर विश्वविजयी बन जाती है! हिन्दुस्तान की मलिन बस्तियों में, बेहद साधारण हालात में रहने के बावजूद, जो नौजवां गाना-नाचना नहीं भूलते, सपने देखना नहीं भूलते, उनकी जिजीविषा, उनकी उड़ान की, इतनी अनूठी, इतनी गौरवशाली प्रस्तुति के लिए इस पूरी टीम का अभिवादन!