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अब संघ की बेरुखी से बढ़ी आडवाणी की मुश्किलें

प्रधानमंत्री के रूप में लालकृष्ण आडवाणी की दावेदारी को लगातार विभिन्न कोणों से चुनौती मिल रही है। पहले तो शेखावत ने लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर आडवाणी के लिए परेशानी खड़ी कर दी तो अब भाजपा की...

 अब संघ की बेरुखी से बढ़ी आडवाणी की मुश्किलें
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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प्रधानमंत्री के रूप में लालकृष्ण आडवाणी की दावेदारी को लगातार विभिन्न कोणों से चुनौती मिल रही है। पहले तो शेखावत ने लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर आडवाणी के लिए परेशानी खड़ी कर दी तो अब भाजपा की पितृसंगठन भारतीय स्वंसेवक संघ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में खुलकर सामने आ गया है। लगता है मोदी के सितारे पिछले कुछ दिनों से बुलंद नजर आ रहे हैं। पहले तो कार्पोरेट जगत ने उनके समर्थन में जोरदार आवाज उठाई और उन्हें भारत के प्रधानमंत्री के योग्य करार दिया वहीं अब संघ ने भी अपने स्वयंसेवक मोदी के नाम पर अपनी मुहर लगा दी है। पिछले एक साल से भाजपा विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार के तौर पर पेश कर रही थी और कापर्ोरेट जगत से मोदी के नाम पर समर्थन मिलने के बाद इस बात को उत्सुकता से देखा जा रहा था कि आखिर पार्टी का पैतृक संगठन क्या रुख अपनाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि संघ इस मामले में खामोशी अख्तियार करना ही उचित समझेगा। लेकिन संघ ने अपने मुखपत्र पांचजन्य के माध्यम से मोदी की प्रशंसा में पूरा संपादकीय समर्पित करके एक तरह से मोदी के नेतृत्व में अपनी जोरदार आस्था व्यक्त कर दी है। ‘विकास विरोधी सेकुलर राग’ के नाम से प्रकाशित इस संपादकीय के माध्यम से संघ ने अपने स्वयंसेवकों को यह भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय जगत मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि से प्रभावित नहीं है। संघ ने कहा कि ‘वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन’ में संयुक्त अरब अमीरात, आेमान, मलेशिया, ब्रुनेई, मालदीव, ईरान, इंडोनेशिया और 22 मुस्लिम देशों के संगठन अरब लीग के औद्योगिक प्रतिनिधि शामिल हुए और उन्होंने मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार को नकार दिया। संघ का यह मोदी प्रेम उस समय उमड़ा है जब पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जताकर पहले ही आडवाणी के प्रधानमंत्री के दावे पर आंच ला चुके हैं। कापर्ोरेट जगत से मोदी को प्रबल समर्थन मिलने से भाजपा में कुलबुलाहट थी जो संघ के रुख से और भी तेवर के साथ मुखर हो सकती है। संघ ने इस बात पर भी गौर किया है कि आर्थिक मंदी के दौर में दुनिया के बड़े-बड़े निवेशक राष्ट्रों ने गुजरात सरकार को समर्थन दिया। संपादकीय में कहा गया कि मंदी के इस दौर में भी 12 प्रतिशत की दर से विकास कर रहे गुजरात ने आर्थिक प्रगति का एक नया प्रतिमान गढ़ा है, लेकिन कांग्रेस एवं सेकुलर नेता गुजरात के दंगों के राग से ऊपर नहीं उठ पा रहे। संघ का कहना है कि मोदी विरोधी राग फ्लॉप हो चुका है और पूरी दुनिया का उद्योग जगत यहां तक कि मुस्लिम देश भी गुजरात के विकास में अपनी भागीदारी दिखाने को उत्सुक हैं। संपादकीय में कहा गया है कि पूरी दुनिया का उद्योग जगत गुजरात के विकास एवं सुशासन पर अपनी मुहर लगा रहा है तब सेकुलर नेता अपना रोना रेने के लिए कहां जाएंगे। आडवाणी ने पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा की थी तो इसे उनके धर्म निरपेक्ष छवि चमकाने और स्वीकार्य प्रधानमंत्री बनने की कवायद के तौर पर देखा गया था लेकिन संघ को यह प्रशंसा बहुत नागवार गुजरी थी।

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