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भाजपा-जदयू के लिए चुनौती है मिथिलांचल

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 47 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पहले चरण की सीटें मिथिलांचल...

भाजपा-जदयू के लिए चुनौती है मिथिलांचल
एजेंसीTue, 12 Oct 2010 10:33 AM
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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 47 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पहले चरण की सीटें मिथिलांचल और कोशी क्षेत्र की हैं।

इन क्षेत्रों में अधिकांश सीटों पर सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (युनाइटेड) गठबंधन का कब्जा है। ऐसे में इन सीटों पर कब्जा जमाए रखना इस गठबंधन की कोशिश होगी। वहीं इन दलों के वोट बैंक में सेंध लगाकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करना राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की मुख्य चुनौती होगी।

परिसीमन के बाद हो रहे इस पहले चुनाव में मधुबनी की एक सीट मधेपुर का अस्तित्व समाप्त हो गया है। पहले इन इलाकों में कुल 48 विधानसभा क्षेत्र थे जो अब घटकर 47 हो गई है। पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो इन 48 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और जद (यू) गठबंधन के प्रत्याशी 28 सीटों पर विजयी हुए थे, जबकि राजद को मात्र पांच सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

राजद के लिए परेशानी का कारण है राजद के कब्जे वाली मधेपुर सीट का अस्तित्व समाप्त हो जाना। वहीं रूपौली विधानसभा क्षेत्र से विजयी विधायक बीमा भारती ने जद (यू) का दामन थाम लिया है। इसके अलावा पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज भी इस चुनाव में जद (यू) के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। इस तरह राजद के कब्जे वाली पांच सीटों में से एक समाप्त हो गया है तो वहीं राजद के दो विधायकों ने पाला बदलकर जद (यू) का दामन थाम लिया है।

प्रथम चरण में होने वाले चुनाव में चार सीटों- मनिहारी, सिमरी बख्तियारपुर, अमौर और कोढ़ा पर कांग्रेस का कब्जा है। अपनी सीट बचाना कांग्रेस के लिए भी चुनौती होगी।

जानकार बताते हैं कि मधुबनी जिले में पहले कांग्रेस का काफी मजबूत जनाधार रहा था। मैथिल ब्राह्मणों के वर्चस्व वाले इस जिले में अधिकतम सीटें कांग्रेस की झोली में जाती थीं, लेकिन वर्ष 1990 के बाद स्थिति बदल गई। आज स्थिति यह है कि इस जिले में कांग्रेस के कब्जे में एक भी सीट नहीं है। इस चुनाव में हालांकि कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

प्रथम चरण के चुनाव में सरकार के मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, रेणु कुमारी, रामजी दास ऋषिदेव, पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र, पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, बाहुबली सांसद पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर, लेसी सिंह जैसे लोगों की किस्मत दांव पर रहेगी, वहीं राजनीतिक दलों को अपने-अपने गढ़ बचाए रखने की चुनौती होगी।

राजनीतिक विश्लेषक हालांकि मानते हैं कि परिस्थितियां बदली हैं। सभी सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी आने के कारण जद (यू) इस बार अति पिछड़ा, पिछड़ा, महादलित, मुस्लिम और सवर्ण कार्ड खेलने की तैयारी में है। कोसी का इलाका जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र में पिछले चुनाव में भी जद (यू) को भारी सफलता मिली थी। राजद भी यहां के 'माई' समीकरण के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है।

ज्ञात हो कि मधुबनी, अररिया, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और मधेपुरा जिलों के 47 सीटों पर पहले चरण के तहत 21 अक्टूबर को मतदान होना है।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए छह चरणों में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक मतदान होना है। सभी सीटों के लिए मतगणना 24 नवंबर को होगी।

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