अयोध्या पर फैसले की कॉपी में रोचक गलती
अयोध्या मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आए फैसले की प्रति में एक रोचक गलती सामने आई है। 'विवादित स्थल' को रामलला का जन्म स्थान बताने वाले इस फैसले में एक तारीख गलत लिखे जाने से इतिहास में...
अयोध्या मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आए फैसले की प्रति में एक रोचक गलती सामने आई है। 'विवादित स्थल' को रामलला का जन्म स्थान बताने वाले इस फैसले में एक तारीख गलत लिखे जाने से इतिहास में दर्ज घटना में 100 सालों का फर्क पैदा कर दिया गया है।
इलाहबाद हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रेषित न्यायमूर्ति एसयू खान के फैसले के सातवें पृष्ठ पर लिखा है, ''रेलिंग/ग्रिल या तो 1956 में उस समय बनी जब अवध पर ब्रिटिशों ने कब्जा कर लिया था या फिर यह 1957 के स्वतंत्रता संघर्ष के तुरंत बाद बनी।'' यह बात 1855 में एक दंगे के बाद अयोध्या के विवादित स्थल के दो भागों में हुए बंटवारे के संदर्भ में कही गई है। न्यायमूर्ति खान के मुताबिक उस दंगे में कई मुसलमान मारे गए थे।
गौरतलब है कि अंग्रेजों के खिलाफ देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1957 में नहीं 1857 में हुआ था।
वैसे निश्चित रूप से यह गलती टंकण त्रुटि है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि फैसले के सार्वजनिक होने से पहले इस त्रुटि को पहचानकर इसे दूर क्यों नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति खान, डीवी शर्मा और सुधीर अग्रवाल ने अयोध्या के विवादित स्थल के बारे में गुरुवार को अपना फैसला सुनाया था। फैसले में विवादित स्थल को तीन हिस्से में बांटने की बात कही गई है।