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आईसीएआर 2010-11 में 2,300 करोड़ रुपये खर्च करेगी

कृषि क्षेत्र की विकास दर चार प्रतिशत से अधिक करने के सरकार के लक्ष्य में योगदान करने तथा कृषि को जीवन यापन का बेहतर विकल्प बनाने का आईसीएआर ने संकल्प लिया है। इसी  उद्देश्य से भारतीय कृषि...

आईसीएआर 2010-11 में 2,300 करोड़ रुपये खर्च करेगी
एजेंसीTue, 21 Sep 2010 06:59 PM
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कृषि क्षेत्र की विकास दर चार प्रतिशत से अधिक करने के सरकार के लक्ष्य में योगदान करने तथा कृषि को जीवन यापन का बेहतर विकल्प बनाने का आईसीएआर ने संकल्प लिया है। इसी  उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) चालू वित्त वर्ष में 2,300 करोड़ रूपये का अनुसंधान कार्यक्रम बनाया है।
    
आईसीएआर के महानिदेशक डा एस अयप्पन ने बताया कि अब कृषि क्षेत्र में सभी राज्यों का प्रदर्शन सुधर रहा है। जिनमें बहुत से इस क्षेत्र में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि के स्तर पर पहुंच रहे हैं। वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य चार प्रतिशत है और हम (अनुसंधान कार्यक्रमों पर) 2010-11 में 2,300 करोड़ रुपये का व्यय करेंगे।
    
कार्यक्रम के तहत जो पहल की गई है उसमें जलवायु परिवर्तन की नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना, सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजना और लोगों को कृषि को जीवनयापन के बतौर अपनाने के लिए लोगों को तैयार करने के प्रयास शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन के बारे में देश के सभी पहलुओं पर गहराई से काम कर रहे हैं। सार्वजनिक निजी साझेदारी की पहल किसानों के अलावा दोनों ही क्षेत्रों को फायदा पहुंचायेगा।
    
उन्होंने कहा कि इन दो क्षेत्रों के बीच निकटता और खोज पर अधिक जोर के कारण दोनों क्षेत्रों में तालमेल बढ़ेगा।
    
उन्होंने कहा कि कृषि को आकर्षक पेशा बनाने के लिए किसानों के शिक्षण प्रशिक्षण तथा उनकी क्षमता बढाने के लिए बहुत सी पहल की गयी है। कृषि के नए तरीके भी सुझाने के भी कार्यक्रम बनाए गए है। उहोंने कहा कि सभी जिलों में कृषि में नया प्रयोग करने वालों को पहचानने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत करने की योजना है।
    
अयप्पन ने कहा कि इन सबके अलावा आईसीएआर छात्रों के बीच कृषि क्षेत्र के बारे में जागरूकता अभियान भी संचालित करता है जो उन्हें कृषि संबंधित पढ़ाई को करने के लिए प्रोत्साहित करता है। अयप्पन यहां तमिलनाडु विश्वविद्यालय और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लेने आये थे। उन्होंने कहा कि आईसीएआर की हर परियोजना अथवा उत्पाद के स्तर पर हर पहल राज्यों के परामर्श करने के बाद और क्षेत्र विशेष की जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
    
आईसीएआर के अधिकारी ने कहा कि इंटरनेट सुविधा से कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) विशेषज्ञ, शोधकर्ताओं और किसानों के बीच विचारों और सूचनाओं के आदान प्रदान में सुधार होने की उम्मीद है । इससे प्रौद्योगिकी, पद्धति और नए विचारों के प्रयोग में सुधार में मद्द मिलेगी। आईसीएआर ने हरित क्रांति को आगे ले जाने तथा अपने शोध एवं विकास के जरिये कृषि क्षेत्र के विकास करने में अग्रणी भूमिका निभाई है जिसने 1950-51 के बाद से खाद्यान्न उत्पादन को चार गुना करने, बागवानी फसलों और दूध के उत्पादन को छह गुना करने, मछली उत्पादन नौ गुना करने और अंडो का उत्पादन 27 गुना करने में मद्द की है। आईसीएआर, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि शोध एवं शिक्षण विभाग (डीएआरई) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।

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