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इमोशनल अत्याचार तोड़ें अपनी चुप्पी

‘‘तुम्हें क्या बिलकुल अक्ल नहीं है? कस्टमर मांग क्या रहा है और तुम उसे दिखा क्या रही हो? यू आर सिंपली स्टूपिड नेहा’’ सुहास जब सामने खड़े कस्टमर्स के सामने उस पर चिल्लाया तो वह...

इमोशनल अत्याचार तोड़ें अपनी चुप्पी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Sep 2010 01:45 PM
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‘‘तुम्हें क्या बिलकुल अक्ल नहीं है? कस्टमर मांग क्या रहा है और तुम उसे दिखा क्या रही हो? यू आर सिंपली स्टूपिड नेहा’’ सुहास जब सामने खड़े कस्टमर्स के सामने उस पर चिल्लाया तो वह इतनी आहत हुई कि तुरंत काउंटर से हट गई। यह कोई आज की बात नहीं थी। सुहास इसी तरह सबके सामने उसकी इंसल्ट करता था, कोई गलती न होने पर भी उसको गलत ठहराता था। वह कुछ भी कहती तो उसकी बात को गलत ठहरा देता या सबके सामने उसकी बात काटता। कभी-कभी तो नेहा को यह महसूस होता था कि उसकी बेज्जती करने में सुहास को एक तरह का सुख मिलता है। शायद ऐसा वह अपने को उससे कहीं बेहतर साबित करने के प्रयास में करता था। यहां तक कि फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर भी वह उससे डिस्कस नहीं करता था। नेहा तो सुहास के बहुत बाध्य करने पर ही अपनी नौकरी छोड़ उसकी शॉप में उसका हाथ बंटाने को तैयार हुई थी। अपना सारा पैसा तक उसने शॉप में लगा दिया था। आज उसके हाथ में पैसा भी नहीं था और सुहास के अमानवीय व्यवहार, गालियों व असम्मानजनक सूचक शब्दों को उसे झेलना पड़ रहा था। यह सच था कि सुहास ने कभी उसके ऊपर हाथ नहीं उठाया था, पर बार-बार सबसे सामने उसे अपमानित करना और उसकी भावनाओं की कद्र न करने ने उसे अवसाद का शिकार बना दिया था। सही काम करते हुए भी उसके हाथ कांपते थे, कस्टमर्स से डील करते हुए उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता था। 

हर्ट किया जाता है

नेहा इमोशनल एब्यूज का शिकार है। भावनात्मक रूप से जब कोई आहत होता है तो उसे समझ पाना या उसे बता पाना ज्यादा कठिन होता है। ऐसी यातनाओं के लिए कानून की मदद भी नहीं ली जा सकती, क्योंकि अपनी बात को सच साबित करने का कोई प्रूफ नहीं होता। यह शिकायत दर्ज कराना मुश्किल होता है कि आपके पति का पैसे पर पूरा अधिकार है और वह आपको खर्चने के लिए पैसे नहीं देता है, उसने आपको आपके परिवार वालों, मित्रों आदि से भी दूर कर दिया है या वह हमेशा आप पर अपनी बात थोपने की कोशिश करता है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इमोशनल एब्यूज का शिकार लोग समझ ही नहीं पाते कि वे इससे पीड़ित हैं। वे अपने रिश्ते से दुखी तो अवश्य रहते हैं, पर इसे वे अपने साथी के व्यवहार के साथ जोड़ नहीं पाते हैं। जब कोई अपने को लेकर अच्छा नहीं सोच पाता या यह सोचकर कुछ कहने या करने में डर लगता है कि उससे गलती ही होगी, तो वह इमोशनल एब्यूज का शिकार होता है। उसकी भावनाओं को किसी न किसी तरह से आहत किया जाता है और यह करते हुए दूसरे साथी को मजा आता है। उसे लगता है कि वह ज्यादा सुपीरियर है और इस तरह हर्ट करके वह अपनी कुंठाओं को शांत करने की कोशिश करता है।

असहमति जताना

यह माना जाता है कि प्यार न जताना या साथी की हर बात से असहमत होना भी एक तरह का इमोशनल एब्यूज ही है। यह शारीरिक यातना से ज्यादा पीड़ादायक होता है। जिसे आप प्यार करते हैं, जिसके साथ जिंदगी गुजारते हैं, उसका आपको बात-बात पर बेइज्जत करना, कितना दुखी कर सकता है, इसे केवल इसे सहने वाला ही समझ सकता है। अध्ययनों से यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि 72 प्रतिशत औरतें इसका शिकार हैं, पर पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं। महिलाएं भी उनकी बेइज्जती करती हैं, गालियां देती हैं, आलोचना करती हैं, उनका सम्मान नहीं करतीं और उन्हें नजरअंदाज करती हैं। यही नहीं अक्‍सर वे चुप्पी को अपना हथियार बना लेती हैं। उनसे किसी भी तरह की बात करने से इंकार कर देती हैं और रिश्ते को कायम रखने के लिए किसी भी तरह से योगदान से मना कर देती हैं चाहे वह घर संभालना हो, पैसे का मामला हो या सेक्स संबंध हों। बच्चों को भी पति को इमोशनली एब्यूज करने का माध्यम बनाया जाता है। बच्चों को लेकर चले जाने की धमकी वे अक्‍सर देती हैं या फिर उसे ये एहसास कराती हैं कि वह अक्षम है, उसकी कोई कद्र नहीं है तथा उसे कोई नहीं पसंद करता है। इसके साथ ही चिल्लाना व पति पर चीजें फेंकना भी शामिल होता है।

यूजलेस होने की फीलिंग

‘‘मेरा पति सबके सामने मुझे बदसूरत कहता है। बार-बार दूसरी शादी करने की धमकी दे मेरी पढ़ाई का मजाक उड़ाता है। मैं जानती हूं कि वह ऐसा इसलिए करता है, क्योंकि मैं उससे कहीं ज्यादा क्वालीफाइड हूं, पर इसके बावजूद वह मेरे नौकरी करने के खिलाफ है। मैं गोरी नहीं हूं, इसलिए वह मुझे एब्यूज करता है और बार-बार मुझसे कहता है कि मैं उसका एहसान मानूं कि उसने मुझ जैसी काली औरत से शादी की है.’’ कहना है 27 वर्षीय कनिका (बदला हुआ नाम) का जो विवाह से पहले एक प्राइवेट कंपनी में एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत थी।

किसी को बेकार कहना या उसके वजूद को नकारना कहीं न कहीं एक तरह से हीन भावना की ही अभिव्यक्ति होती है। इस तरह व्यक्ति अपने को तो सुपीरियर साबित करने की कोशिश करता ही है, साथ ही साथी का अपमान कर उसका ईगो संतुष्ट होता है।

कंट्रोल फैक्टर

विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी को मानसिक रूप से आहत करने के पीछे एक ही वजह होती है-दूसरे पर कंट्रोल करने की इच्छा. अक्‍सर एब्यूज करने वाला व्यक्ति अपने साथी पर इसलिए नियंत्रण करता है, ताकि केवल वही उसके जीवन का केंद्र बना रह। उसके दोस्तों व परिवारजनों के साथ बुरा व्यवहार करता है, ताकि वे उससे मिलने न आ सकें और वह सबसे सबसे दूर हो जाए। एब्यूज करने वाला व्यक्ति साथी पर कंट्रोल करने के लिए उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है। वह कहां जा रहा है, किससे बात कर रहा है या क्या कर रह है, इसकी उसे खबर रहती है। ऐसे में वह उसे फोन का प्रयोग नहीं करने देता, उसके मित्रों व परिवार के लोगों से उसे मिलने नहीं देता, और उसके हर काम में कोई न कोई गलती निकाल उसके अंदर लगातार गलत होने की गिल्ट भरता रहता है। उसकी सोशल लाइफ को भी बाधित कर देता है। एब्यूज करने वाला पति साथी के टाइम, स्पेस, इमोशंस, फ्रेंडशिप और फाइनेंस सब पर कंट्रोल कर लेता है या कर लेना चाहता है। पूरी तरह से अपने ऊपर निर्भर करने की इच्छा उन्हें उसे हर तरह के सपोर्ट सिस्टम से काट लेने को प्रेरित करती है।

अवसाद का शिकार

अधिकांश औरतों को यह समझने में बहुत देर लग जाती है कि वे इमोशनल एब्यूज का शिकार हैं। उन्हें शारीरिक यातनाएं नहीं झेलनी पड़ रही हैं, वे इसी में संतुष्ट रहती हैं। पता लगने पर भी उनमें इसके खिलाफ जाने या पति को छोड़ देने की हिम्मत नहीं होती, क्योंकि वे चीजों के ठीक होना का इंतजार करती हैं। महिलाओं पर शारीरिक व मनोवैज्ञानिक रूप से इमोशनल एब्यूज का प्रभाव पड़ता है। अवसाद, लगातार सिरदर्द रहना, कमर में दर्द व पेट की समस्याएं उन्हें घेरे रहता है। जिसके कारण जीने व कुछ करने की इच्छा ही उनके अंदर से मिट जाती है। काबिल महिलाएं कई बार गुमनामी के अंधेरों में खो जाती हैं या अपने अस्तित्व को ही नकारने लगती हैं। बार-बार उसका आत्मसम्मान आहत होने से वह अपने होने पर ही सवाल करने लगती है। दूसरों के सामने अपमान होने से रिजेक्शन और असुरक्षा भी घेर लेती है। यह एहसास आत्मविश्वास को यह बिलकुल पंगु बना देता है तथा बेकार होने की भावना उस पर हावी हो जाती है।  

एक-दूसरे को सम्मान दें

बेहतर होगा कि साथी को आहत करने के बजाय अपनी कमियों को दूर करने में उसकी मदद लें। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सीमाएं तय करना आवश्यक है, पर उनमें इतनी लचीलापन होना चाहिए कि एक-दूसरे को दूसरे की खुशियों का मान रखते हुए अपनी तरह से जीने का मौका मिले। आपसी सम्मान रखते हुए ही अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार दोनों आगे बढ़ने की राह में कदम उठा सकेंगे। दोनों एक-दूसरे को समान समझें, सुपीरियर या इंफीरियर नहीं। उसकी आलोचना करने के बजाय कांप्लीमेंट दें। अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लें, साथी पर न डालें। अपने डर को साथी के साथ बांटें, उसे साथी को परेशान करने का हथियार न बनाएं। भूल से भी बच्चों को इमोशनल एब्यूज का शिकार न बनाएं और न ही आपसी लड़ाई में उन्हें शामिल करें।

ऐसा है तो आप इमोशनल अत्याचार से पीड़ित हैं?

साथी हमेशा आपकी आलोचना करता है, अपमान करता है, आपकी काबिलियत का मजाक उड़ाता है?

आपकी भावनाओं को नजरअंदाज करता है?

आपको आपके मित्रों व परिवार के लोगों से संपर्क न रखने के लिए बाध्य करता है?

कई बार आपको लगता है कि उसके मूड अक्‍सर बदलते रहते हैं?

क्या आपको लगता है कि आपका कांफिडेंट और सिक्योर फील करना उसे बुरा लगता है?

आपको लगता है कि आप मानसिक रूप से छली गई हैं?

साइकोलॉजिकल एंगिल
प्रो. तुलसी पटेल, (मनोविज्ञान विभाग, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी)

चूंकि हमारे समाज सदा से ही पुरुष प्रधान रहा है, इसलिए इसमें औरतों की अपेक्षा पुरुषों को अधिक सम्मान से देखा जाता है. ऐसी सूरत में अगर कोई पुरुष अपने साथी के साथ बुरा व्यवहार करता भी है तो उसे अनुचित न मानते हुए सहज स्वीकार कर लिया जाता है. इसलिए औरत को बहुत समय तक तो यह समझ ही नहीं आता कि उसको इमोशनली एब्यूज किया जा रहा है, और अगर वह जानती भी है तो परिवार की सुख-शांति की खातिर चुप ही रहती है. पर अगर ऐसा औरत की तरफ से होता है तो पुरुष तुरंत उस पर प्रतिक्रिया करता है और यह बात चर्चा का विषय भी बन जाती है. ऐसी स्थिति वहां ज्यादा आती है जहां औरत वर्किंग होती है और जितना समय व अटेंशन उसे पुरु ष को देनी चाहिए वह नहीं दे पाती है. यह अपनी ओर ध्यान खींचने का एक तरीका भी होता है.

डॉ. पारुल टैंक, (मनोवैज्ञानिक, वोकहार्ड अस्पताल, मुंबई)

इमोशनल एब्यूज बातों से या बिना कुछ कहे, अपने व्यवहार से किया गया अत्याचार या साथी को तंग करना होता है। जब रिश्ते में यह स्थिति आ जाती है तो इसका अर्थ होता है कि युगल के बीच आपसी विश्वास नहीं रहा है, क्योंकि अगर एक साथी दूसरे साथी को भावनात्मक रूप से परेशान करता है, उनके बीच से सम्मान का सेतु टूट जाता है। यह इमोशनल एब्यूज नियंत्रण करने, अपने व्यवहार से उसे चिढ़ाने या अपनी तरह से उसे जीने के लिए बाध्य करने, अपेक्षा से अधिक उससे इच्छाएं रखने, अत्यधिक पजेसिव होने के रूप में हो सकता है. इससे साथी के मन में अवसाद, अस्वीकृत व असहाय होने की भावना या एकाकीपन समा जाता है। देखा यह गया है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इसका अधिक शिकार होती हैं। घरेलु हिंसा व धमकियों के साथ ही अकसर इमोशनल एब्यूज किया जाता है। युगल को किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए। तभी यह पता लगाया जा सकता है कि ऐसा होने की मुख्य वजह क्या है।

इमोशनल एब्यूज से निपटने के लिए 10 टिप्स
डॉ. गीतांजलि शर्मा (मैरिज एंड फैमिली काउंसलर)

1. सकारात्मक सोच रखते हुए रिश्ते में कड़वाहट आने दिए बिना अपने साथी के साथ नए सिरे से जिंदगी बिताने के लिए तैयार रहें।

2. मानसिक यातना देने वाले साथी की मनोस्थिति को समझें। जानें कि वह आपसे किस बात से नाराज या नाखुश है। आपसे जो वह अपेक्षाएं रखता है वे अवास्तविक तो नहीं है। अगर ऐसा है तो आराम से बैठकर उन्हें बताएं।

3. यह समझ लें कि आपके साथ जो हो रहा है, उसका कारण आप नहीं हैं, अपने को एक बार इस गिल्ट से निकाल लेने पर आपको एहसास होगा कि जो भी गलत व्यवहार आपके साथ हो रहा है, उसकी जिम्मेदार आप नहीं हैं आप संबंध को संभालने की कोशिश बेहतर ढंग से कर पाएंगी।

4. अपने प्रति होने वाले व्यवहार के बारे में अपनी नजदीकी दोस्त या रिश्तेदार को बताने में हिचकिचाएं नहीं। जिन लोगों पर आप विश्वास करती हैं, उनका ऐसे समय में प्यार व समर्थन पाना आपके लिए आवश्यक है। हो सकता है कि वे ही आपको इसका कोई निदान बता दें।

5. किसी अन्य माध्यम की तलाश करें। अपनी भावनाओं, क्रोध व दर्द को व्यक्त करने के लिए कोई माध्यम ढूंढें। लिखना, पेंटिंग करना, संगीत या नृत्य जैसे शौक अपनाने से आपको राहत महसूस होगी। इससे आपके दिमाग से दर्द और तनाव हट जाएगा और साथी के साथ बिताए हुए खुशनुमा पलों को आप याद कर पाएंगी।

6. कई बार ऐसा भी होता है कि जो इंसान इमोशनल एब्यूज कर रहा होता है, उसे इस बात का भान तक नहीं होता है। ऐसा करना  उसके व्यवहार का हिस्सा होता है। साथी को बताएं कि उसके इस तरह व्यवहार करने से आपको कितना दुख होता है। अगर वह आपको प्यार करता है तो अवश्य ही आपकी बात का सम्मान करेगा।

7. अत्याचार सहते रहने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी आ जाती है, अपने आत्मसम्मान व आत्मविश्वास को बनाए रखें। ऐसी गतिविधियां करें जिनसे आपको खुशी मिलती है। अपनी योग्यता पर यकीन रखे। आपके साथ बुरा व्यवहार करने वाला व्यक्ति इस लायक नहीं है कि वह आपकी योग्यता को समझ सके।

8. हीन भावना या कंट्रोल करने की चाहत से किया जाने वाले एब्यूज से उभरने के लिए साथी की प्रशंसा करें। इससे उसका सेल्फ-इस्टीम बढ़ेगा और अहं आहत न होने से वह आपका अपमान भी नहीं करेगा। अपने को बेहतर साबित करने की लड़ाई में अगर वह आपको नीचा दिखाता है तो आप उसकी प्रशंसा कर उसे बेहतर साबित होने दें।

9. अपने से प्यार व सम्मान करें। अगर हमेशा खुद में ही गलतियां व कमियां ढूंढ़ते रहेंगे तो कुछ हासिल नहीं होगा।

10. अगर आपका साथी किसी तरह से भी समझने को तैयार न हो तो काउंसलर की मदद लें।

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