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बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई प्रयास करें: प्रणव

वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति दर की नियंत्रित करने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही...

बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई प्रयास करें: प्रणव
एजेंसीMon, 13 Sep 2010 06:43 PM
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वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति दर की नियंत्रित करने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही मौद्रिक समीक्षा 16 सितंबर को प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक अपनी दरों में वृद्धि कर सकता है। श्री मुखर्जी ने भी कहा है कि महंगाई को काबू करने लिए मौद्रिक उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आरबीआई इस संबंध में उचित कदम उठाएगा लेकिन इससे देश की आर्थिक विकास दर प्रभावित नहीं होगी।

मुखर्जी ने कहा कि मुद्रास्फीति चिंता का विषय है। कीमतें बढ़ने को लेकर सरकार चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की दर 8.5 प्रतिशत से लेकर 8.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

विश्लेषकों का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन में भारी वृद्धि और मुद्रास्फीति में वृद्धि के मद्देनजर रिजर्व बैंक 16 सितंबर को लोन एवं मौद्रिक नीति की मध्यावधि तिमाही समीक्षा के दौरान प्रमुख नीतिगत दरों में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। मुखर्जी के बयान से विश्लेषकों की राय को बल मिला है।

हालांकि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा है कि मुद्रास्फीति का दबाव तत्काल कम नहीं होगा। इसमें दिसंबर में कमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास दर में नरमी आ रही है लेकिन कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर बढ़ रही है।
 
केन्द्रीय बैंक इस वर्ष मार्च के बाद से अब तक अल्पकालिक ब्याज दरों रेपो में एक प्रतिशत की वृद्धि और रिवर्स रेपो में 1.25 प्रतिशत की बढोत्तरी कर चुका है। वर्तमान में रेपो दर 5.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो 4.50 प्रतिशत है।
 
रिजर्व बैंक के सूत्रों का कहना है कि नीतिगत दरो में वृद्धि की पूरी संभावना है। लेकिन यह औद्योगिक उत्पादन और थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुख्य मुद्रास्फीति की दर पर निर्भर करता है। रिजर्व बैंक कई बार कह चुका है कि मुद्रास्फीति पर उसकी नजर है और इसे नियंत्रित करना उसकी प्राथमिकताओं में शामिल है।

   
वहीं सरकार का मानना है कि इस सप्ताह बृहस्पतिवार को जारी होने वाले महंगाई के आंकड़ों में खाद्य मुद्रास्फीति की दर घट जाएगी। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बासू ने सोमवार को कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। इसका असर इस सप्ताह दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह वृहस्पतिवार को जारी होने वाले महंगाई के आंकड़ों में खाद्य मुद्रास्फीति की दर एक प्रतिशत अंक तक कमी आने की संभावना है।

इस बीच ताजा आंकडों के अनुसार मानसून के दौरान आपूर्ति बाधित होने से कीमतों में हुई वृद्धि से गत 28 अगस्त को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर के 0.61 प्रतिशत बढ़कर 11.47 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने भारतीय रिजर्व बैंक पर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे कठोर मौद्रिक उपायों को जारी रखने का दबाव बना है। इससे पिछले सप्ताह में यह 10.86 प्रतिशत पर रही थी।

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