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छात्रों पर भार नहीं डालने की सीबीएसई की सलाह

दसवीं बोर्ड में पारंपरिक परीक्षा के स्थान पर सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) प्रणाली लागू किए जाने पर छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए सीबीएसई ने कहा है कि इसका...

छात्रों पर भार नहीं डालने की सीबीएसई की सलाह
एजेंसीSat, 11 Sep 2010 08:38 PM
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दसवीं बोर्ड में पारंपरिक परीक्षा के स्थान पर सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) प्रणाली लागू किए जाने पर छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए सीबीएसई ने कहा है कि इसका उद्देश्य छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा को आगे लाना है। उसने कहा कि शुरुआत में ही कार्यों की रूपरेखा तैयार करने पर यह अधिक फलदायक और कम परिश्रम वाला होगा।

सीबीएसई के अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा कि बोर्ड ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इस तरह के कार्य स्कूलों में समूहों में आयोजित किए जाने चाहिए और इसे अभिभावकों पर बोझ नहीं बनाया जाना चाहिए। सीसीई का उद्देश्य छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा को आगे लाना है। छात्र और शिक्षक अगर शुरुआत में इन कार्यों की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं, तो यह अधिक फलदायक और कम परिश्रम वाला होगा।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2009-10 से अपने स्कूलों में माध्यमिक स्तर पर सतत समग्र मूल्यांकन और अंक प्रणाली के स्थान पर ग्रेडिंग की व्यवस्था को लागू किया है। हालांकि बोर्ड की ओर से मांगी गई राय में छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों ने सीसीई के तहत समेटिव (विषयात्मक: एवं फार्मेटिव रचनात्मक परख) मूल्यांकन के बारे में कुछ चिंताएं जताई थी।

इन चिंताओं में सीसीई के तहत काफी संख्या में एसाइनमेंट, प्रोजेक्ट वर्क, गृह कार्य देने और परीक्षा की प्रकृति के छोटी से छोटी चीजों पर ध्यान देने, शिक्षकोत्तर गतिविधियों के लिए समय नहीं मिलने, अभिभावक शिक्षक बैठक आयोजित नहीं करने जैसी बातें शामिल थी।

यहां अभिभावकों एवं अन्य पक्षों के साथ परिचर्चा सत्र में जोशी ने कहा कि हम छात्रों, अभिभावकों की समस्यों को दूर करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। परिचर्चा सत्र में कई अभिभावकों ने शिकायत की कि बोर्ड ने हालांकि ग्रेडिंग प्रणाली लागू की है लेकिन आईआईएम जैसे उच्च शिक्षण संस्थाओं में नामांकन के लिए 10वीं में अर्जित अंक मांगे जाते हैं जिससे छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जोशी ने कहा कि हम विभिन्न स्कूल बोर्ड, विश्वविद्यालय एवं कालेजों के साथ बातचीत कर रहे हैं और उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है कि आने वाले समय में यह समस्या नहीं रहेगी। सूत्रों ने बताया कि सीबीएसई के संज्ञान में यह बात भी आई है कि शिक्षकों का एक वर्ग यह महसूस करता है कि नई व्यवस्था के कारण उन्हें पाठ्य योजना, फर्मेटिव परीक्षा से जुड़ी गतिविधियों का डिजाइन और अन्य पाठ्य सामग्री तैयार करनी पड़ती है जिससे उनका काम काफी बढ़ गया है।

बोर्ड ने कहा है कि कोई भी नई व्यवस्था एक नया अनुभव होता है। शिक्षकों को हालांकि अभी उनका कार्य थोड़ा चुनौतीपूर्ण जरूर लग रहा है लेकिन जल्द ही वह इसका लुत्फ उठा सकेंगे, इसके लिए कार्यक्रम के शुरुआत में ही योजना तैयार करना महत्वपूर्ण होगा।

सीबीएसई ने फर्मेटिव मूल्यांकन के संबंध में हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विषय में शिक्षक नियमावली तैयार की है जिसमें इसके विभिन्न आयामों के बारे में व्याख्या की गई है। स्कूलों से भी इस सामग्रियों, परिपत्रों एवं नियमों के बारे में छात्रों एवं अभिभावकों को जानकारी देने और शिक्षकोत्तर कार्यों का मूल्यांकन करने की सलाह दी गई है।

शिक्षकों से प्रोजेक्ट कार्य में छात्रों को सहयोग देने तथा समय समय पर छात्र एवं अभिभावकों से उनकी राय लेने को कहा गया है। बोर्ड की ओर से सीसीई के लिए प्रशिक्षकों का सृजन किया जा रहा है और इस मूल्यांकन प्रणाली के सभी स्कूल में लागू हो जाने के बाद शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही बोर्ड अभिभावकों के सतत सम्पर्क में है।

 

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