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खिलाड़ी तय करेंगे राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता : माइक हूपर

दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति भले ही अब तक के सर्वश्रेष्ठ खेलों की मेज़बानी का दावा कर रही हो लेकिन राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के सीईओ माइक हूपर का मानना है कि 14 अक्टूबर को खिलाड़ी ही तय करेंगे...

खिलाड़ी तय करेंगे राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता : माइक हूपर
एजेंसीFri, 10 Sep 2010 03:26 PM
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दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति भले ही अब तक के सर्वश्रेष्ठ खेलों की मेज़बानी का दावा कर रही हो लेकिन राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के सीईओ माइक हूपर का मानना है कि 14 अक्टूबर को खिलाड़ी ही तय करेंगे कि ये खेल कितने कामयाब रहे।
     
हूपर ने एक इंटरव्यू में कहा कि मैं या कोई और यह तय नहीं कर सकता कि ये खेल मेलबर्न (2006) या मैनचेस्टर (2002) से बेहतर होंगे या नहीं। यह तो 14 अक्टूबर को समापन समारोह के साथ खिलाड़ी ही बता पाएंगे।
     
खेलों की तैयारी के सिलसिले में तीन साल के भारत प्रवास को अच्छा अनुभव बताते हुए न्यूज़ीलैंड के इस अनुभवी खेल प्रशासक ने कहा कि वह अपने कार्यकाल से अभी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं संतुष्ट तभी होउंगा जब 14 अक्टूबर को सारे खिलाड़ी चेहरे पर मुस्कान और इन खेलों की अच्छी यादें लेकर रवाना होंगे। हमें यह इत्मीनान होगा कि सारे ड्रामे के बावजूद दिल्ली खेलों की बेहतरीन मेज़बानी करने में कामयाब रहा और उम्मीद है कि ऐसा होगा।
     
हूपर ने कहा कि वेन्यू कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद अब पूरा ध्यान संचालन संबंधी पहलू पर है और सारी एजेंसियां मिलकर इस दिशा में युद्धस्तर पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार की शाम को सारे वेन्यू के लिए कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल गया और अब ऑपरेशनल पार्ट पर पूरा फोकस है। हमें पता है कि काम की गति धीमी रही है लेकिन इन्हीं हालात में हमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके दिखाना है। छोटी मोटी समस्याएं तो तीन अक्टूबर को उद्घाटन समारोह से पहले तक रहेंगी।

हूपर ने कहा कि मेलबर्न, मैनचेस्टर या पहले भी हर बार खेलों से पहले ऐन समय तक तैयारियां चलती रही है। दिल्ली में ही पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है लेकिन यह ज़रूर है कि समय बहुत कम रह गया है। 16 सितंबर से खेलगांव खुल रहा है और टीमें आनी शुरू हो जाएंगी। 15 सितंबर को मैं खुद सीजीएफ की टीम के साथ जाकर अंतिम मुआयना करूंगा।
     
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और कर्णीसिंह शूटिंग रेंज समेत कई स्थानों के पूरी तरह तैयार नहीं होने की खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ईमारतें सारी तैयार है बस कुछ हद तक सौंदर्यीकरण बाकी है। उन्होंने कहा कि यह कहना हास्यास्पद और अनुचित होगा कि वेन्यू तैयार नहीं है। ईमारतें तैयार हो चुकी हैं। मलबा हटाने और उन्हें सुंदर बनाना बाकी है ताकि दिल्ली की खूबसूरत छवि बाहर जाए। खेलों के आयोजन के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं, बाकी बातें इसके आगे गौण हैं।
     
तैयारियों के चलते दिल्लीवासियों को हुई परेशानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि खेलों के चलते राजधानी दस साल आगे प्रगति कर गई है और इसे खूबसूरत बुनियादी ढांचे की सौगात मिली है। हूपर ने कहा कि एक अनुभवी अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासक ने मुझसे पिछले दिनों कहा कि इन खेलों के लिए तैयार वेलाड्रोम बीजिंग ओलंपिक के बाद दूसरा सबसे खूबसूरत वेलोड्रोम है। यह बहुत बड़ी बात है। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम हो, नेशनल स्टेडियम या फिर कोई और वेन्यू, सभी बेहद खूबसूरत कारीगरी का नमूना है। इसका श्रेय खेलों को दिया जाना चाहिए।

यह पूछने पर कि क्या दिल्ली अगले कुछ साल में एशियाड या ओलंपिक जैसे और बड़े आयोजनों की मेज़बानी को तैयार है, हूपर ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों को इस दिशा में पहला कदम करार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सही दिशा में पहला कदम है। इन खेलों के बाद खिलाड़ियों की पाज़ीटिव रिपोर्ट भारत की दावेदारी को पुख्ता करेगी। मेरा मानना है कि दिल्ली में ओलंपिक की मेज़बानी की क्षमता है लेकिन कितने साल बाद, यह मैं नहीं कह सकता। इसके अलावा मेज़बानी हासिल करने के लिए कई और पहलू भी अहम होते हैं।
     
सुरक्षा को लेकर तमाम चिंताओं को खारिज करते हुए हूपर ने कहा कि अब किसी भी देश ने इस पहलू पर कोई आशंका नहीं जताई है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। मुझसे किसी ने कोई चिंता नहीं जताई थी। इमारतें बनाने में घटिया सामग्री के इस्तेमाल संबंधी सीवीसी रिपोर्ट के बाद जो चिंतायें थी, उनका भी निराकरण कर दिया गया है।

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