रांजरंग
ैसा है राज-काजडेमोक्रेटिक सिस्टम में जनप्रतिनिधि बाहर घूमेंगे और ब्यूरोक्रेट राज करंगे। वाह क्या कहने? कल के मिनिस्टर आज एक्स हो गये, शायद कल वाई हो जायेंगे। आज के हालात को देख-देखकर उनका दिल जरूर...
ैसा है राज-काजडेमोक्रेटिक सिस्टम में जनप्रतिनिधि बाहर घूमेंगे और ब्यूरोक्रेट राज करंगे। वाह क्या कहने? कल के मिनिस्टर आज एक्स हो गये, शायद कल वाई हो जायेंगे। आज के हालात को देख-देखकर उनका दिल जरूर कलपता होगा। हाय र तमाड़, ये तूने क्या कर डाला। ठीके-ठाक सरकार चल रही थी कि अचानक कैसा वज्रपात हो गया। सब कुछ छिन गया। सिर पर से लाल बत्ती, आली-महाली, लाव-लश्कर, पीए-पीएस, चाटुकार, दलाल। का नहीं था साथे। अब तो एक-एक दिन काटे नहीं कट रहा है। सभे एमएलए लोग सोच रहा है कि जल्दी फिर से सरकरवा बन जाती, तो उनके दिन हर हो जाते। पता नय का होगा? अभी एक साल बाकी है। अंगुरी में जोड़कर देखने से रोने को दिल करता है। अभी 12 महीना बचल था। भुरकस उड़ाकर रख देते सबलोग। विकास तो एतना करते कि लोग देखते रह जाता, कैसे विकास होता है। लेकिन कोई कर तो क्या, नहीं कर तो क्या? सोच-सोचकर बहुते खराब लगता है। विधानसभा के तरफ तो देखने का मने नय करता है। केतना रौनक था चारों तरफ। अभी बजट सत्र आनेवाला था। पंद्रह-बीस दिन तक एसेंबली का पूरा इलाका गह-गह करता। बजट तो स्टेट का पास होता, लेकिन सबका बजट ठीक हो जाता।