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ज्वालामुखी फटने से दो की मौत, हजारों का पलायन

इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में रविवार को पिछले 400 साल के इतिहास में पहली बार एक ज्वालामुखी अचानक काला धुआं और राख उगलने लगी। इसकी वजह से इलाके में अफरातफरी मच गई और सांस की समस्या के कारण दो...

ज्वालामुखी फटने से दो की मौत, हजारों का पलायन
एजेंसीSun, 29 Aug 2010 10:21 PM
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इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में रविवार को पिछले 400 साल के इतिहास में पहली बार एक ज्वालामुखी अचानक काला धुआं और राख उगलने लगी। इसकी वजह से इलाके में अफरातफरी मच गई और सांस की समस्या के कारण दो व्यक्तियों की मौत हो गई। इलाके से हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा है।

राख व धुएं का गुबार आसमान में 1500 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया है। गहरे धुएं की वजह से दृश्यता महज पांच मीटर तक रह गई है। इलाके से 17 समुदायों के 10000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। हालांकि अब तक राख और धुएं की वजह से विमान सेवाएं बाधित नहीं हुई हैं।

उत्तरी सुमात्रा प्रांत के कारो जिले में आधी रात के बीतने के थोड़ी ही देर बाद माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी अचानक लावा और अन्य पदार्थ उगलने लगा। जकार्ता से 1300 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में स्थित इस 2451 मीटर ऊंची चोटी से धुआं और राख निकलने से चंद मिनट पहले सरकार के ज्वालामुखी अध्ययन से संबंद्ध निदेशालय ने खतरे के उच्चतम स्तर की चेतावनी जारी की थी।

सरकारी समाचार एजेंसी अंतारा ने खबर दी है कि स्थानीय प्रशासन ने ट्रक, बस, एंबुलेंस आदि वाहनों की मदद से हजारों स्थानीय लोगों को वहां से हटाना शुरू कर दिया। राहत कार्य में मदद दे रहे रेडक्रॉस के अधिकारी मुहम्मद इरसाल ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि सांस की समस्या के कारण दो व्यक्तियों ने दम तोड़ दिया। एक 54 वर्षीय व्यक्ति ने सुरक्षित स्थान पर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया।

स्थानीय मीडिया ने खबर दी है कि लावा उत्तरी सुमात्रा के पर्यटक स्थल बेरास्तागी सहित कई किलोमीटर की दूरी से भी दिखाई दे रहा है, जबकि ज्वालामुखी की धूल प्रांतीय राजधानी मेदान तक पहुंच चुकी है।

क्षेत्र में तैनात रेडक्रॉस के एक कर्मी मुहम्मद इरसाल ने बताया कि 17 समुदायों के 10000 से ज्यादा लोगों को वहां से हटाया गया है। उन लोगों ने सरकारी इमारतों में पनाह ली है और तंबू भी लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि गहरे धुएं की वजह से दृश्यता महज पांच मीटर तक रह गई है।

अब तक राख और धुएं की वजह से विमान सेवाएं बाधित नहीं हुई हैं। निदेशालय के प्रमुख सुरोनो ने बताया, ‘ज्वालामुखी फटने से पहले माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी में कोई हलचल नहीं हुई, इसलिए 1600 के बाद से इस पर ज्यादा निगरानी नहीं रखी जा रही थी।’

उन्होंने बताया कि निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजे जाने के साथ-साथ उन्हें ज्वालामुखी की राख से बचने के लिए नकाब लगाने को भी कहा गया है। नदियों के किनारे रहने वालों को लावा की वजह से आने वाली बाढ़ की आशंका के प्रति भी सचेत कर दिया गया है। उन्होंने बताया, ‘हम नागरिकों को सुझाव दे रहे हैं कि अगली सूचना तक वे राहत केंद्रों पर बने रहें।’

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