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युवी एंड कंपनी पर अकेले ही भारी पड़ गए वीरू

वीरेंद्र सहवाग हाल में श्रीलंका में समाप्त हुई त्रिकोणीय वनडे सीरीज में भारतीय बल्लेबाजी का कितना बोझ ढो रहे थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि युवराज सिंह, सुरेश रैना, रोहित शर्मा, विराट...

युवी एंड कंपनी पर अकेले ही भारी पड़ गए वीरू
एजेंसीSun, 29 Aug 2010 05:17 PM
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वीरेंद्र सहवाग हाल में श्रीलंका में समाप्त हुई त्रिकोणीय वनडे सीरीज में भारतीय बल्लेबाजी का कितना बोझ ढो रहे थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि युवराज सिंह, सुरेश रैना, रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविंदर जडेजा सरीखे मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने मिलकर जितने रन बनाए, उससे अधिक रन इस विस्फोटक सलामी बल्लेबाज के बल्ले से निकले।

सहवाग ने टूर्नामेंट के पांच में 67.00 की औसत से सर्वाधिक 268 रन बनाए जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक भी शामिल है। यदि श्रीलंका के आफ स्पिनर सूरज रणदीव ने विवादास्पद नोबाल नहीं की होती तो उनका यह अर्धशतक भी शतक में दर्ज होता। सहवाग ने टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाए और उन्हें इस प्रदर्शन के लिए मैन आफ द सीरीज चुना गया।

विश्व कप के लिए टीम तैयार करने में जुटे भारतीय टीम प्रबंधन के लिए सहवाग को छोड़कर अन्य बल्लेबाजों का प्रदर्शन सचमुच चिंताजनक है। युवराज (75 रन), रैना (65), कोहली (45), जडेजा (37) और रोहित (20) पर मध्यक्रम की जिम्मेदारी थी लेकिन इन पांचों बल्लेबाजों ने कुल मिलाकर 242 रन बनाए जो कि सहवाग की कुल रनसंख्या से 26 रन कम है। सहवाग के साथ पारी का आगाज करने वाले दिनेश कार्तिक (33) भी पूरी तरह असफल रहे।

इस तरह से भारत के एक बल्लेबाज ने 268 तो छह प्रमुख बल्लेबाजों ने मिलकर 275 रन बनाए। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतिम मैच में अच्छी पारी खेली जिससे उनके नाम पर पांच मैच में 140 रन दर्ज हैं।

दाम्बुला के रंगीरी इंटरनेशनल स्टेडियम की पिच पर सहवाग के अलावा केवल तिलकरत्ने दिलशान (239) ने ही 200 से अधिक रन बनाए लेकिन उनका औसत भी 50 से कम 47.80 रहा। भारतीय बल्लेबाजों की बात करें तो सहवाग के बाद धोनी ने 35 की औसत से रन बनाए लेकिन अन्य बल्लेबाजों का औसत 20 से भी कम रहा।

भारत के पुछल्ले बल्लेबाजों के अलावा कार्तिक और रोहित का औसत भी दस से कम रहा। कप्तान धोनी ने भी स्वीकार किया कि बल्लेबाज अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि हमारे बल्लेबाज पूरी तरह असफल रहे। हमारे कुछ बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत की लेकिन वे क्रीज पर अधिक समय नहीं बिता पाए।
 
त्रिकोणीय सीरीज से पहले भारत ने श्रीलंका के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेली थी जिसमें बल्लेबाज सफल रहे थे लेकिन तब टीम सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और गौतम गंभीर भी शामिल थे जो वनडे टीम में नहीं थे। टेस्ट सीरीज में गेंदबाज अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए थे लेकिन त्रिकोणीय सीरीज में गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया।

प्रवीण कुमार ने नौ, आशीष नेहरा ने आठ, इशांत शर्मा ने सात और मुनाफ पटेल ने दो मैच में पांच विकेट लिए। जडेजा गेंदबाजी में भी प्रभाव छोड़ने में असफल रहे और उन्होंने 39.33 की औसत से केवल तीन विकेट लिए। भारतीय टीम में से सौरभ तिवारी और आर अश्विन को खेलने का मौका नहीं मिला। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि बल्लेबाजों की लगातार असफलता के बावजूद तिवारी को लगातार दूसरी सीरीज में क्यों मौका नहीं मिला और जडेजा की जगह अश्विन को क्यों नहीं उतारा गया जो निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाजी भी कर लेते हैं।

 

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