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अनुबंध के सभी दायित्व निभाएंगेः केयर्न

ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी ने अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया की बहुलांश हिस्सेदारी के लिए वेदांता रिसोर्सेज को सही उम्मीदवार ठहराते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सूचित किया है कि...

अनुबंध के सभी दायित्व निभाएंगेः केयर्न
एजेंसीFri, 27 Aug 2010 05:41 PM
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ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी ने अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया की बहुलांश हिस्सेदारी के लिए वेदांता रिसोर्सेज को सही उम्मीदवार ठहराते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सूचित किया है कि सौदा होने के बाद भी भारत सरकार के साथ किए गए समझौते के सभी वादों को पूरा किया जाएगा।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा केयर्न एनर्जी ने उन सभी मुद्दों पर स्पष्टीकरण दिया है जिनपर मंत्रालय ने जानकारी लेनी चाही थी।  अधिकारी ने बताया कि ब्रिटेन के एडिनबर्ग स्थित कंपनी ने कहा है कि वह भारतीय कानूनों के तहत अपने सभी अनुबंधात्मक दायित्वों को पूरा करेगी।

केयर्न एनर्जी अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया की 62.37 प्रतिशत में से बहुलांश हिस्सेदारी अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की वेदांता रिसोर्सेज को बेच रही है। मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी बताया कि कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया है कि केयर्न इंडिया के अधिकार वाले कुछ तेल अथवा गैस ब्लॉक में नियंत्रण बदलने की स्थिति में सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।

कंपनी ने तेल मंत्रालय से कहा है कि वह अनुबंध में किए गए वादों को पूरा करने के लिए वचनबद्ध हैं। केयर्न एनर्जी ने कहा है कि केयर्न इंडिया का प्रबंधन वेदांता रिसोर्सेज के हाथों में देने से भारत सरकार के साथ किए गए उत्पादन भागीदारी अनुंबंध (पीएससी) के दायित्वों को निभाने में कहीं भी किसी तरह का कोई असर नहीं होगा।

केयर्न एनर्जी ने कहा है कि वेदांता रिसोर्सेज उसके द्वारा किए गए सभी तरह के वादों और गारंटी को पूरा करने में सक्षम है। वेदांता दुनिया की पांचवीं बड़ी खनिज कंपनी है और उसके पास केयर्न एनर्जी पीएलसी की तुलना में 10 गुणा ज्यादा बेहतर वित्तीय क्षमता है।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने वेदांता रिसोर्सेज को केयन इंडिया की लगाम सौंपने के प्रस्ताव पर कुछ सवाल उठाए हैं। वेदांता को तेल एवं गैस क्षेत्र का अनुभव नहीं है। मंत्रालय ने 19 अगस्त को केयर्न एनर्जी को पत्र लिखकर उससे पूछा था कि ऐसे मामलों में क्या होगा जहां सरकार को केयर्न इंडिया की ओर से मूल कंपनी ने गारंटी दे रखी है और जहां मालिकाना हक में बदलाव के लिए सरकारी अनुमति की शर्त जुड़ी है।

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