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टीम इंडिया की प्रतिष्ठा के साथ रैंकिंग दांव पर

दो हफ्ते के अंदर दो ऐतिहासिक हार झेल चुका भारत बुधवार को जब यहां त्रिकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट के आखिरी लीग मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ उतरेगा तो उसके लिए यह न सिर्फ टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने...

टीम इंडिया की प्रतिष्ठा के साथ रैंकिंग दांव पर
एजेंसीTue, 24 Aug 2010 01:25 PM
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दो हफ्ते के अंदर दो ऐतिहासिक हार झेल चुका भारत बुधवार को जब यहां त्रिकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट के आखिरी लीग मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ उतरेगा तो उसके लिए यह न सिर्फ टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने का आखिरी मौका होगा बल्कि कई मामलों में टीम की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी होगी।
 
टूर्नामेंट में अब तक भारत सबसे निचले पायदान पर है और उसे तीन मैचों से केवल पांच अंक हासिल हुए हैं। दूसरी ओर न्यूज़ीलैंड के इतने ही मैचों से सात अंक हैं और फाइनल के लिए उसका दावा ज़्यादा मज़बूत है। भारत के पास जीत के अलावा कोई विकल्प नहीं है जबकि टाई या ड्रा की हालत में भी न्यूज़ीलैंड अंक बांटकर खिताबी भिडंत की ओर बढ़ जाएगा।

इस मैच में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती हाल में मिली दो विस्मयकारी हारों के कारण टीम की धूमिल हुई छवि को सुधारना होगी। ठीक दो महीने पहले जिस ठसक के साथ टीम इंडिया ने इसी मैदान पर एशिया कप में अपना परचम लहराया था, इस समय वह उसका नामोनिशान तक नहीं दिख रहा है।
 
शर्मनाक हारों की सीरीज़ बनाती टीम पर अब यह ज़बर्दस्त मानसिक दवाब है कि बुधवार का मुकाबला जीतकर फाइनल में जगह बनाए और खिलाड़ियों का मनोबल बनाए रखने के लिए ज़ोरदार प्रदर्शन भी करें। हाल के दोनों ही हारे मैचों में जिस तरह टीम 100 रन के आंकडे के आस पास सिमट गई, उससे तो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कही जाने वाली बैटिंग लाइनअप पर भी सवालिया निशान लग गया है।

टूर्नामेंट के पहले मैच में न्यूज़ीलैंड ने ही भारत को 200 से हराया था जो रनों के हिसाब से भारतीय वनडे इतिहास की चौथी सबसे बड़ी हार थी। इसके बाद हालांकि भारत ने श्रीलंका पर छह विकेट से शानदार जीत दर्ज की लेकिन इसका सारा जश्न सूरज रणदीव की नोबाल में खो गया और उसके मेज़बान टीम ने उसे गेंदों के लिहाज़ से अपनी सबसे बड़ी पराजय के रिकॉर्ड का नया जख़्म दे दिया।

श्रीलंका ने 209 गेंद शेष रहते आठ विकेट से मैच जीत लिया था। गेंदों के लिहाज़ से भारत की यह सबसे बड़ी हार है। भारत इससे पहले 1981 में ऑस्ट्रेलिया से 174 गेंद शेष रहते हारा था। इस जीत के साथ श्रीलंका फाइनल में पहुंच चुका है और अंतिम लीग मुकाबले के परिणाम का उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है लेकिन भारत अगर न्यूज़ीलैंड पर बोनस के साथ जीत दर्ज कर पाए तो उसके लिए यह बेहद असरदार मनोवैज्ञानिक घुट्टी होगी।
 
इस हालत में भारत की राह बेहद कठिन मालूम पड़ रही है। टूर्नामेंट में जिस तरह से भारतीय बल्लेबाज़ आत्मसमर्पण करते आए हैं वह हताशाजनक है। ओपनर वीरेंद्र सहवाग को छोड़कर एक भी भारतीय बल्लेबाज़ ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है जो मैच विजई प्रदर्शन कर सके। सहवाग न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका के खिलाफ मैच में सस्ते में आउट हुए, तो भारतीय टीम इन दोनों मैचों में क्रमश 88 और 103 रन के मामूली स्कोर पर सिमट गई।
 
श्रीलंका के खिलाफ दूसरे मैच में सहवाग चले और उन्होंने नाबाद 99 रन बनाए जिसकी बदौलत भारत यह मैच छह विकेट से जीत सका। लेकिन सहवाग के इस प्रदर्शन को छोड़ दिया जाए तो बाकी अन्य सभी बल्लेबाज़ों दिनेश कार्तिक, सुरेश रैना, रोहित शर्मा, विराट कोहली और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सभी ने बुरी तरह निराश किया है।
 
बार बार मौके मिलने के बावजूद आईपीएल के सितारों रोहित शर्मा और दिनेश कार्तिक की चमक खोई हुई है। चर्चा है इन दोनों में से किसी एक के स्थान पर आईपीएल के ही अन्य सितारे और झारखंड के धुरंधर बल्लेबाज़ सौरभ तिवारी को आज़माया जा सकता है। तिवारी लंबे समय से अंतिम एकादश में खेलने का इंतज़ार कर रहे हैं।
 
टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ मैच फिनिशर माने जाने वाले युवराज सिंह की लय अग तक लौट नहीं पाई है। आउट ऑफ फॉर्म रहने के साथ ही चोटों के कारण वह काफी समय तक मैदान से दूर रहे हैं। टूर्नामेंट में चुने जाने के बावजूद डेंगू के कारण वह खेल नहीं पाए थे। डेंगू से उबरने के बाद वह श्रीलंका के खिलाफ हारे मैच में टीम में लौटे थे और उन्होंने भारत के 103 रन में सर्वाधिक 38 रन बनाए थे लेकिन उन्हें दूसरे छोर से किसी भी अन्य बल्लेबाज़ से कोई सहयोग नहीं मिला था।

अगले वर्ष भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाले एकदिवसीय विश्वकप से पहले भारत के युवा बल्लेबाज़ों का ऐसा प्रदर्शन चिंताजनक होने के साथ साथ भारत बेंचस्ट्रेंथ पर भी सवाल उठा रहा है। विश्वकप के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और ओपनर गौतम गंभीर जैसे अनुभवी बल्लेबाज़ों का टीम में लौटना पक्का है लेकिन अन्य स्थानों के लिए युवा बल्लेबाज़ों की दावेदारी पर अभी से सवाल उठने लगे हैं।
 
न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका दोनों के खिलाफ भारतीय बल्लेबाज़ों ने तेज़ गेंदबाज़ों की मददगार पिच पर खेलने की कमज़ोरी दिखाई है। कार्तिक ओपनर की भूमिका में कतई फिट नहीं बैठ रहे हैं और उनके बल्लेबाज़ी करते समय क्रीज़ पर आगे निकल आने की आदत को देखते हुए श्रीलंका के कप्तान एवं विकेटकीपर कुमार संगकारा स्टम्प्स के बिल्कुल पास आकर खड़े हो गए थे जिसका कार्तिक पर खासा दबाव पड़ा।
 
रोहित में बिल्कुल आत्मविश्वास दिखाई नहीं दे रहा है और उन्हें निश्चित ही नेट पर लौटकर अपनी बल्लेबाज़ी पर गंभीरता के साथ मेहनत करने की ज़रूरत है। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शतक ठोंकने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी सुरेश रैना को बल्लेबाज़ी क्रम में उपयुक्त स्थान नहीं मिल पा रहा है।
 
रैना को नंबर तीन पर उतारने की ज़रूरत है लेकिन उन्हें बल्लेबाज़ी क्रम में इससे नीचे रखा जा रहा है। यदि भारत को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ आखिरी मैच में जीत हासिल कर फाइनल में पहुंचना है तो बल्लेबाज़ों को संकल्प के साथ अच्छा प्रदर्शन करना होगा। वरना स्वदेश लौटने पर अगली सीरीज़ के लिए इनमें से कई की छुट्टी हो जानी तय है।
 
बात गेंदबाज़ी की करें तो टेस्ट सीरीज़ के दौरान आलोचनाओं के घेरे में रहे गेंदबाज़ों ने कुल मिलाकर संतोषजनक प्रदर्शन किया है। हालांकि व्यक्तिगत प्रदर्शन में निरंतरता की कमी अब भी मुश्किलों का सबब बनी हुई है। साथ ही ज़हीर खान और हरभजन सिंह की अनुपस्थिति में उनकी जगह भरने की दावेदारी पक्की करने के लिए इन्हें अभी खुद को सही उम्मीदवार साबित करना होगा।

तेज़ गेंदबाज़ नेहरा और प्रवीण कुमार नई गेंद के साथ बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन ईशांत का पूरी तरह लय में नहीं आना चिंताजनक है। हालांकि उन्होंने काफी सुधार किया है और सुधार की यह गति जारी रहे तो बेहतर परिणाम दिख सकते हैं। गेंदबाज़ी में बहुत प्रयोग की ज़रूरत नहीं दिखती है लेकिन फिर भी यदि मुनाफ पटेल को आज़माया जाए तो बेंचस्ट्रेंथ जांचने के लिहाज़ से यह बेहतर हो सकता है।
 
इसके अलावा टीम को टीम टेम्परामेंट के क्षेत्र में भी खुद को साबित करने की चुनौती है। बल्ल्बाज़ों के बीच तालमेल की स्पष्ट बानगी अब तक देखने को नहीं मिली है। गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षरण में बेहतर तालमेल का अभाव भी टूर्नामेंट में झलका है।
 
न सिर्फ व्यक्तिगत प्रदर्शनों और खिताबी भिडंत में जगह पक्की करने के लिए यह मैच महत्वपूर्ण है बल्कि वनडे की अंतताष्ट्रीय रैंकिंग में स्थान की दृष्टि से भी यह काफी अहम है। लगातर उठापटक का सामना कर रही अभी भारतीय टीम इस समय रैंकिंग में दूरे पायदान पर है लेकिन यह मैच गंवाने की स्थिति में वह लंबे समय के लिए यह पोज़ीशन गंवा बैठेगी।
 
मैच हारने की हालत में भारत फिसलकर चौथे स्थान पर फिसल जाएगा। टूर्नामेंट में भारत को 200 रनों से रौंदकर न्यूज़ीलैंड ने पहले भी यह कारनामा कर चुका है लेकिन श्रीलंका के खिलाफ भारत की एक और हार इस स्थिति में बदलाव आ सकता है। टूर्नामेंट के पहले मैच में ही भारत ने समीकरण बदल दिए थे।
 
उस हार के बाद भारत नंबर चार बना था लेकिन अगले मैच में श्रीलंका की शानदार वापसी ने भारत को फिर से नंबर टू बना दिया। अब अगर भारत आखिरी वनडे हार जाए तो फिर से वह नंबर चार पर खिसक जाएगा। इसके बाद लगभग पूरे एक महीने वनडे से दूर रहेगा जिसका नकारात्मक असर टीम रैंकिंग पर आएगा। आगामी सीरीज़ के पहले टीम काफी नीचे लुढ़क सकती है।

बात न्यूज़ीलैंड की करें तो भारत को हराने के बाद श्रीलंका को पानी पिलाने वाले कीवि खिलाड़ियों का मनोबल सातवें आसमान पर है। टीम श्रीलंका के खिलाफ भले हार गई हो लेकिन उसने कडी टक्कर पेश की जिसका मनोवैज्ञानिक लाभ खिलाड़ियों को मिला है। बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों विभागों में उसके खिलाड़ियों ने प्रभावी प्रदर्शन किया है।
 
डेरेल टफी ने जो टफ टास्क पहले मैच में भारतीय बल्लेबाज़ों को दिया, उसका असर अब तक है। पिचों में ज़बर्दस्त उछाल मिलने से कीवी गेंदबाज़ खासे उत्साहित हैं क्योंकि यह उन्हें अपने घरेलू मैदानों जैसा लग रहा है। टफी के जोडीदार के रूप में काईल मिल्स ने भी छाप छोडी है जबकि जैकब ओरम और स्कॉट स्टाइरिश जैसे हरफनमौला खिलाड़ियों ने लगातार उपयोगी योगदान किया है।
 
नाथन मैक्कुलम को बतौर स्पिनर पहली पसंद के रूप में न्यूज़ीलैंड ने चुना है जिसका भरसक फायदा टीम को मिलेगा। भारतीय बल्लेबाज़ स्पिनरों को अच्छी तरह खेलते रहे हैं लेकिन उनके हालिया प्रदर्शन को देखते हुए स्टाइरिश उन्हें छकाते फिरें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
 
बल्लेबाज़ी में भी न्यूज़ीलैंड फॉर्म में है। कप्तान रॉस टेलर और स्टायरिश ने प्रचंड आक्रामकता दिखाते हुए अर्धशतक ठोंके थे और दोनों का निजी स्कोर भारत के कुल स्कोर से कहीं ज़्यादा रहा था। चोटिल मार्टिन गुप्टिल के न रहने से कुछ बेहतरी के संकेत ज़रूर थे लेकिन संभवत वह भारत के खिलाफ उपलब्ध हो सकते हैं। सहवाग की आक्रामकता से प्रेरित पीटर इनग्राम शायद इस मुकाबले में न उपलब्ध रहें लेकिन उनके लिए भी भारत को पूर्व योजना तैयार रखनी होगी।
 
इतना ही नहीं न्यूज़ीलैंड के पुछल्ले क्रम और मध्यक्रम से निपटने के लिए भी भारत को तैयारी रखनी होगी। उनकी फाइटबैक प्रवृति से भारत को सीख लेने की भी ज़रूरत है। विलियम्सन, ग्रांट इलियट और ग्रेट हापकिंस के धारदार प्रहारों ने मिसाल पेश की है और निश्चित रूप से धोनी मैदान में जाने से पहले इन नामों को ज़ेहन में रखेंगे।
 
बहरहाल उम्मीद की जानी चाहिए कि टीम इंडिया अपनी पूरी ताकत झोंककर फाइनल की ओर कदम बढ़ाने की कोशि करेगी ताकि टीम और इसके बल्लेबाज़ों की खोई प्रतिष्ठा वापस जुटाई जा सके। हालांकि कीवी कप्तान रॉस टेलर की अगुआई में उनके रणबांकुरों का जोश मुकाबले को निश्चित तौर पर रोमांचक बनाएगा।

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