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फ्लोराइड की कमी से दांतों को नुकसान !

दोस्तो, क्या तुम्हें पता है कि पानी में यदि फ्लोराइड की मात्रा कम हो तो दांतों में परेशानी शुरू हो सकती है। दरअसल पानी में इसकी कमी से दांतों में केरीज रोग हो जाता है। इसमें दांत सड़ कर खत्म हो जाते...

फ्लोराइड की कमी से दांतों को नुकसान !
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Aug 2010 12:48 PM
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दोस्तो, क्या तुम्हें पता है कि पानी में यदि फ्लोराइड की मात्रा कम हो तो दांतों में परेशानी शुरू हो सकती है। दरअसल पानी में इसकी कमी से दांतों में केरीज रोग हो जाता है। इसमें दांत सड़ कर खत्म हो जाते हैं। पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्र भी दांतों के लिए ठीक नहीं होती है। इससे दांतों पर धब्बे पड़ जाते हैं, जो देखने में बहुत बुरे लगते है और ये पूरे व्यक्तित्व को खराब कर देते हैं।

डॉ. अमूल्य चड्ढा के मुताबिक हमारे देश में पानी में फ्लोराइड के प्रति लोग इतने जागरूक नहीं हैं, जितना उन्हें होना चाहिए। वास्तव में पानी में फ्लोराइड की मात्र 1पी पीएम यानी एक मिलीग्राम प्रति लीटर के हिसाब से होनी चाहिए। अगर यह
मात्रा इससे ज्यादा या कम होती है तो दांतों की परेशानी शुरू हो जाती है। फ्लोराइड की कमी से दांतों का एनामल अर्थात दांतों की बाहरी परत कमजोर हो जाती है और इनमें कैविटी होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं दूसरी ओर इसकी अधिकता से दांतों पर धब्बे  पड़ जाते है, जिनको किसी भी तरीके से साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये धब्बे एनामल के अंदर तक ही  मौजूद होते हैं।

हालांकि विभिन्न तरीकों के द्वारा दांतों को देखने योग्य अवश्य बनाया जा सकता है। इन धब्बों का कोई नुकसान नहीं है। बल्कि यह इस बात का संकेत है कि एनामल बहुत अधिक मजबूत हो चुका है और ऐसे दांतों में कैविटी होने की संभावना न के बराबर है। दरअसल फ्लोराइड एनामल को हार्ड कर एसिड और कैविटी रोधक बना देता है। डॉ. चड्ढा बताते हैं कि बच्चों को मीठी चीजें और जंक फूड ज्यादा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इन चीजों में कोई विटामिन या मिनरल मौजूद नहीं होते है। ऐसी चीजें दांतों पर चिपक कर सड़न पैदा करती हैं। इसके अलावा जितना हो सके बाजार में मिलने वाला फ्लोराइड टूथपेस्ट ही इस्तेमाल करना चाहिए। फाइबर वाली वस्तुओं का सेवन अधिक मात्र में करना चाहिए। फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। समस्या होने पर तुरंत अपने दंत चिकित्सक से मिलना चाहिए।

(इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली के डेंटल सलाहकार एवं मेक्सिलोफेशियल सर्जन  प्रोफेसर डॉ. अमूल्य चड्ढा से बातचीत  पर आधारित)

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