भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी मजबूती सिद्ध की: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक और आंतरिक चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया है और अपनी मजबूती को साबित किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश को गरीबी, भूख...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक और आंतरिक चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया है और अपनी मजबूती को साबित किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश को गरीबी, भूख और बीमारी की समस्या दूर करने के लिए अभी विकास का लम्बा सफर तय करना है।
प्रधानमंत्री ने आजादी की 64वीं सालगिरह पर लाल किले से अपने भाषण में कहा कि देश लम्बे समय से आर्थिक वृद्धि कर रहा है और आज विश्व की सबसे तेजी से प्रगति कर रही अर्थव्यवस्थाओं में हैं। मनमोहन ने कहा कि पिछले साल 15 अगस्त को जब मैंने आपके सामने अपनी बात रखी थी, उस वक्त हमारा देश कई मुश्किलों का सामना कर रहा था। देश के कई हिस्सों में सूखे के हालात थे। दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी का भी हम पर असर था। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने इन कठिनाइयों का डटकर मुकाबला किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तमाम कठिनाइयों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ज्यादातर देशों से अच्छी रही है। उन्होंने कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती जाहिर होती है।
उल्लेखनीय है कि 2005 से 2008 के बीच लगातार 9 प्रतिशत या उससे अधिक की वार्षिक वृद्धि दर्ज करने के बाद वैश्विक संकट के प्रभाव में भारत की वृद्धि दर 2008-09 में 6.7 प्रतिशत और 2009-10 में 7.2 प्रतिशत रही। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद भारत सबसे उच्च वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है। चालू वित्तीय वर्ष में आर्थिक वद्धि 8.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, पिछले एक साल में नहीं, बल्कि पिछले कई सालों की अर्थिक प्रगति में साफ दिखाई देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास के साथ साथ समाज को और अधिक संवेदनशील बनना चाहिए तथा हमारी विचारधारा आधुनिक और प्रगतिशील होनी चाहिए। उन्होंने भारत की कामयाबी का श्रेय देश के मजदूरों और किसानों को देते हुए कहा कि देश के सामने कुछ गंभीर चुनौतियां हैं जिनका मुकाबला एकजुट होकर करने की जरूरत है। मनमोहन ने कहा कि जनता को यह संकल्प करना चहिए कि किसी भी हालत में धर्म, प्रांत, जाति और भाषा के नाम पर अपने समाज को नहीं बंटने दिया जाएगा।
मनमोहन सिंह ने कहा कि आजादी के 63 सालों में भारत ने विकास के रास्ते पर लम्बा सफर तय किया है लेकिन अभी मंजिल दूर है। आज भी हमारे बहुत से देशवासी गरीबी, भूख और बीमारी से परेशान हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया जिसके कारण विकास की योजनाएं प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने एक प्रगतिशील नीति के तहत नए भारत के निर्माण का संकल्प लेकर 2004 में काम शुरू किया था। प्रधानमंत्री ने कहा, पर, आज हमें अपने मकसद तक पहुंचने के लिए बहुत से नए कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत नहीं है। बल्कि जरूरत इस बात की है कि जो योजनाएं हमने शुरू की हैं, उन्हें हम अधिक प्रभावी ढंग से लागू करें, ताकि उनमें भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग की गुंजाइश न रहने पाए। उन्होंने इस काम में राज्य सरकारों, पंचायती राज संस्थाओं तथा गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी की जरूरत पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में तेज आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके जरिए ही आर्थिक वृद्धि में आम लोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इन दो क्षेत्रों पर हम उतना ध्यान नहीं दे सके जितना जरूरी थी।