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महंगाई रोकने की कोशिशें जारी, हम होंगे कामयाब: पीएम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को स्वीकार किया कि रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने से इस समय आम लोग परेशान हैं और उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के उपाय कर रही है और इसमें कामयाबी...

महंगाई रोकने की कोशिशें जारी, हम होंगे कामयाब: पीएम
एजेंसीSun, 15 Aug 2010 03:12 PM
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को स्वीकार किया कि रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने से इस समय आम लोग परेशान हैं और उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के उपाय कर रही है और इसमें कामयाबी मिलेगी।

देश की स्वतंत्रता की 64वीं वर्षगांठ पर रविवार को ऐतिहासिक लाल किले की प्रचार से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि खाने पीने की चीजों के दाम कुछ इस लिए भी बढे़ हैं क्यों कि सरकार ने किसानों की उपज के दाम काफी बढा़ दिए हैं।

मनमोहन सिंह ने कहा कि हम महंगाई को कम करने की हर मुमकिन कोशिश में लगे हैं और मुझे भरोसा है कि हमें इसमें कामयाबी मिलेगी। प्रधानमंत्री ने माना कि पिछले कुछ महीनों से लोग बढी हुई कीमतों से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर हमारी गरीब जतना पर पड़ता है, खासतौर पर तब, जब अनाज, दाल, सब्जी जैसी रोजमर्रा की चाजों के दाम बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि बाजार में बढ़ते हुए दामों का बोझ गरीबों पर न पड़े।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2003-04 की तुलना में गेहूं का समर्थन मूल्य 630 से बढा़कर 1100 रुपए प्रति क्विंटल और धान का 550 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। पर इस तरह के कदमों का असर बाजार में खाने पीने की चीजों की कीमत पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल के ज्यादा दाम मिलने का एक असर यह होता है कि बाजार में भी खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांकों पर आधारित महंगाई दर (मुद्रास्फीति) इस समय दस प्रतिशत से अधिक चल रही है। इसी तरह दाल, दूध, चीनी, फल सब्जियों और अन्य जरूरी चीजों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस साल के शुरू में 20 प्रतिशत के इर्द गिर्द चली गई थी जो 31 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घट कर 11.40 प्रतिशत पर आ गई है।

सरकार ने महंगाई पर अंकुश लगाने के उपायों के तहत जहां गेहूं ,चावल और दालों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी हैं, वहीं इनके आयात पर शुल्क हटा लिए हैं ताकि आपूर्ति बढा़ई जा सके। इसके साथ ही गरीबों को राशन की दुकानों से सस्ते दाम में अनाज का वितरण बढा़ने के उपाय भी किए गए हैं।

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