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बिहार में बिगड़ रही है सूखे की स्थिति

बिहार में सूखे से स्थिति खराब होती जा रही है। राज्य में अब तक मात्र 43 प्रतिशत खेतों में ही धान के बीज डाले गए हैं। धान का कटोरा कहा जाने वाला शाहाबाद हो या बासमती चावल का इलाका भागलपुर या फिर पानी...

बिहार में बिगड़ रही है सूखे की स्थिति
एजेंसीThu, 12 Aug 2010 12:46 PM
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बिहार में सूखे से स्थिति खराब होती जा रही है। राज्य में अब तक मात्र 43 प्रतिशत खेतों में ही धान के बीज डाले गए हैं।

धान का कटोरा कहा जाने वाला शाहाबाद हो या बासमती चावल का इलाका भागलपुर या फिर पानी का इलाका मिथिलांचल हो, सभी क्षेत्रों के किसान पानी की बाट जोह रहे हैं। सबकी फसल पानी के अभाव में बर्बाद हो गई है। सबसे खराब स्थिति धान का क्षेत्र माने जाने वाले कैमूर और औरंगाबाद जिले की है।

कैमूर जिले के जिलाधिकारी मयंक बरबड़े भी मानते हैं कि स्थिति भयावह है। उन्होंने कहा कि अब तक जिले में फसलों का मात्र 33 प्रतिशत ही रोपण हो पाया है।

औरंगाबाद के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं लेकिन वहां अब तक मात्र 25 प्रतिशत रोपण हो पाया है। इसके अलावा राज्य के गया जिले में 10 अगस्त तक 1.52 प्रतिशत, नालंदा में 2.33 प्रतिशत, जहानाबाद में 1.70, नवादा में 3.67, शेखपुरा में 5.29 और लखीसराय में भी 5.29 प्रतिशत ही रोपण हो पाया है।

राज्य सरकार की रिपोर्ट की मानें तो इस माह सामान्यत: 28,51,303 हेक्टेयर भूमि में धान का रोपण होना था परंतु इस वर्ष अब तक 15,25,850 हेक्टेयर भूमि पर ही धान रोपण हो पाया है। हालांकि सरकार ने राज्य के 38 में से 28 जिलों को सूखाग्रस्त जिला घोषित कर राहत कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं।

सरकार ने किसानों के पटवन के लिए डीजल में अनुदान के लिए 35.75 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करा दी है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर करीब 5062 करोड़ रुपए की मदद देने की गुहार लगाई है।

इधर, केंद्रीय दल भी सूखे का जायजा लेने के लिए राज्य के दौरे पर है। केंद्रीय दल का नेतृत्व कर रहे कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव पंकज कुमार भी मानते हैं कि उन्होंने अब तक समस्तीपुर, बेगूसराय तथा वैशाली जिलों का जायजा लिया है, जहां स्थिति सचमुच भयावह है।

उल्लेखनीय है कि बिहार लगातार चार सालों से प्राकृतिक आपदा झेल रहा है। वर्ष 2007 में जहां राज्य के कई जिले बाढ़ की चपेट में थे तो उसके एक वर्ष के बाद 2008 में राज्य कोसी नदी की प्रलयकारी बाढ़ का शिकार हो गया। आज भी कोसी क्षेत्र के लोग इस आपदा से पूरी तरह नहीं उबर सके हैं। वर्ष 2009 में राज्य के 26 जिले सूखे की चपेट में आ गए थे और इस वर्ष फिर से मानसून की बेरुखी के कारण किसान सूखे की मार झेल रहे हैं।

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