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कस्टमाइज्ड इंटीरियर, कम दाम में ड्रीम होम

अगर आप अपने घर के इंटीरियर में एक पर्सनल टच देना चाहते हैं और ‘साइज फिट्स फॉर ऑल’ के कंसेप्ट को नापसंद करते हैं तो आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है ‘कस्टमाइज्ड इंटीरियर’। आज...

कस्टमाइज्ड इंटीरियर, कम दाम में ड्रीम होम
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 03 Aug 2010 01:16 PM
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अगर आप अपने घर के इंटीरियर में एक पर्सनल टच देना चाहते हैं और ‘साइज फिट्स फॉर ऑल’ के कंसेप्ट को नापसंद करते हैं तो आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है ‘कस्टमाइज्ड इंटीरियर’। आज बाजार में ऐसे अनगिनत सर्विस प्रोवाइडर हैं, जो डेकोर व अन्य सजावट की एक्सेसरीज को ग्राहक की रुचि व आवश्यकता के अनुसार तैयार कर देते हैं। पर घर के इंटीरियर को एक पर्सनल टच देने के लिए किसी इंटीरियर डिजाइनर की ही मदद ली जाए, ऐसा जरूरी नहीं है। अगर आपका बजट किसी इंटीरियर डेकोरेटर पर पैसा खर्च करने जितना नहीं है तो भी आप स्वयं अपने लिए कम दामों में एक डिजाइनर घर बना सकते हैं, वह भी अपनी पसंद का इंटीरियर चुनकर।

इसके लिए सबसे पहले आप यह तय करें कि आपको किस तरह का इंटीरियर चाहिए- ट्रेडिशनल, कंटेम्परेरी, फ्यूजन। इसके बाद लाइटिंग विकल्प, फर्नीचर, फ्लोरिंग, पेंट आदि की कीमतों के बारे में पता लगाएं और फिर जो आपके बजट में फिट बैठें, उन चीजों का इस्तेमाल करें। यह देखें कि आपको होम डेकोर पर बहुत ज्यादा खर्च करना है या न्यूनतम खर्च में ही उसे इस तरह सजाना है कि आपकी पसंद व जरू रतों दोनों का ही उसमें समावेश हो जाए।

बढ़ता चलन

इसके बढ़ते चलन की सबसे बड़ी वजह है भारतीय उपभोक्ता की सोच व जीवनशैली में आया बदलाव। उसकी सोच न सिर्फ पहनावे, खाने या जीवन की छोटी सी छोटी चीज से झलकने लगी है, बल्कि होम डेकोर को लेकर भी वह अत्यधिक सतर्क हुआ है। घर को खास अंदाज में सजाना अब केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं रहा है, मध्यम वर्ग की जीवनशैली का भी यह हिस्सा बनता जा रहा है। यही वजह है कि डेकोर मार्केट में तेजी आई है। अब वह समय चला गया जब घर के डिजाइन के लिए पूरी तरह आर्किटेक्ट और कॉन्ट्रेक्टर पर ही निर्भर रहते थे और जैसा फर्नीचर या फर्निशिंग मिल जाती थी, उसका ही प्रयोग कर लिया जाता था।

लेकिन आज बदलते ट्रेंड व घर को एक डिफरेंट व अपनी अनिवार्यताओं के हिसाब से लुक देने के लिए डिजाइन के अनगिनत विकल्पों के मौजूद होने के कारण कस्टमाइज्ड इंटीरियर फैशन में आ गया है। डिजाइनर मधूलिका राय का मानना है कि कस्टमाइज्ड लुक की लोकप्रियता के पीछे मीडिया की भी अहम भूमिका है। बेहतर जिंदगी जीने के ढंग व सिलेब्रिटीज के घरों को टीवी पर दिखाकर उसने लोगों के मन में वैसा ही घर बनाने की चाह प्रबल की है। लोग किसी टेली-सीरियल में देखे डेकोर
या थीम को अपने घर में भी लगाने की मांग करने लगे हैं।

ला सोरोगीका ब्रांड की डायरेक्टर और सीईओ अंजलि गोयल के अनुसार, ‘आज जब हम इंटीरियर की बात करते हैं तो सबसे पहली चीज जो हमारे दिमाग में आती है, वह है स्टाइलाइज्ड लुक, जिसे कस्टमाइज्ड डिजाइनिंग के द्वारा पाया जा सकता है। इसमें इंटीरियर डिजाइनर लोगों की आवश्यकताओं, उपयोगिता व जगह को ध्यान में रखते हुए एक उचित, खूबसूरत व उपयोगी थीम, प्रोडक्ट व पूरी सजावट के बारे में समाधान सुझाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में क्रिएटिविटी होने के साथ-साथ तकनीकी पहलुओं का भी इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए तकनीकी रूप से भी इंटीरियर डिजाइनर का कुशल होना जरूरी है।’

स्टाइलिश भी, डिफरेंट भी

होम डेकोर में कस्टमाइज्ड अवधारणा को अपनाने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि प्रत्येक ग्राहक अपनी निजी पसंद के अनुसार एक अलग डिजाइन व स्टाइल निर्र्मित कर सकता है। पहले किसी के सोफे का डिजाइन या पर्दे के स्टाइल को देख दूसरे को भी वैसा ही अपने घर के लिए चाहिए होता था, यही वजह थी कि सबके घरों में एक समय में बेंत की कुर्सियां या सफेद ग्लास की मेजें और एक ही शेप के सोफे या फिर वॉशबेसिन देखने को मिलते थे। किसी भी चीज से एक निजता की छाप नहीं झलकती थी। आज हर किसी की कोशिश होती है कि उसके घर में रखी हर वस्तु सबसे अलग व अनोखी हो, इसीलिए बहुत चुनकर और हर तरह की बारीकियों का ध्यान रखते हुए घर के हर कोने की डिजाइनिंग की जाती है। इसके पीछे सुविधा व आराम की भावना भी बहुत बड़ी भूमिका निभाने लगी है।

अंजलि गोयल के अनुसार, ‘कस्टमाइज्ड इंटीरियर विभिन्न डिजाइन तत्वों का प्रयोग करते हुए व उन्हें उस जगह का उपयोग करने वाले व्यक्ति की आवश्यकताओं के साथ तालमेल बिठाते हुए तैयार किया जा सकता है। ऐसा लुक देना बहुत आवश्यक होता है, जिससे उसमें रहने वाले व्यक्ति की निजी छाप उसमें दिखाई दे। इस तरह की डिजाइनिंग से पूरे घर को ही बदला जा सकता है। फर्नीचर इसमें बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप किस तरह से एक मेज या कुर्सी को डिजाइन करते या रखते हैं, उससे पूरी जगह का लुक ही बदल जाता है। न केवल फर्नीचर बल्कि उसमें लगा मैटीरियल, पॉलिश या फैब्रिक भी रंग संयोजन व थीम (फ्लोरिंग व सीलिंग का) से मेल खाता होना चाहिए। अगर लैदर की अपहोल्स्ट्री के साथ उपयोग किया गया सोलिड वुड फर्नीचर एक ऊष्मा प्रदान करता है तो शीशों का उपयोग एक आलीशान लुक व परिष्कृत रुचि होने का परिचायक होता है। इस तरह की डिजाइनिंग में विकल्पों की कमी नहीं है, आप चाहें तो बहुत ही मॉडर्न लुक दे सकते हैं या ट्रेडिशनल लुक को ही क्रिएट कर सकते हैं। इन दिनों फ्यूजन लुक ज्यादा पसंद किया जा रहा है, क्योंकि इस तरह हर कमरे को एक खास टच दिया जा सकता है।’ 

कम बजट में भी मनचाहा डेकोर

आम लोगों के मन में यही धारणा है कि अपनी पसंद व उपयोगिता के हिसाब से घर सजाने का अर्थ है बहुत सारे पैसे का निवेश। यह बात कुछ समय पहले तक शायद सही मानी जाती थी, पर आज ऐसा नहीं है। वजह है बाजार में हर वैराइटी व मैटीरियल में चीजों का उपलब्ध होना। आप सोफा या बेड खरीदना चाहते हैं तो बहुत महंगी लकड़ी का न लेकर कम दाम की लकड़ी का ले सकते हैं। उसी तरह फैब्रिक या किचन एक्सेसरीज या डेकोरेशन की एक्सेसरीज भी इतने प्रकार की आपको मिल जाएंगी कि वे आपके छोटे से फ्लैट या अपार्टमेंट के हिसाब से एकदम उपयुक्त व बजट में होंगी। आवश्यकता है तो सिर्फ बहुत सारी जानकारी और खोज करने की। दूसरे क्या सोचते हैं, इस पर ध्यान न देते हुए अपनी पसंद व आवश्यकताओं पर ध्यान दें और जिएं एक सुविधाजनक जिंदगी।

जैसी जरूरत, वैसा आकार दें

एक्सपर्ट कमेंट्स
लिपिका सूद, प्रिंसिपल डिजाइनर, लिपिका सूद एसोसिएट्स

कस्टमाइज्ड डिजाइनिंग का मतलब क्या होता है?

जब व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार घर में या हर कमरे, किचन, बाथरूम, बालकनी, यानी हर जगह को ध्यान में रखते हुए सजावट की जाती है तो उसे कस्टमाइज्ड इंटीरियर कहा जाता है। इस सज्जा में हर चीज की जरूरत, रंग, शेप, फैब्रिक, मैटीरियल, डिजाइनिंग आदि के अनुसार एक-दूसरे से मेल खाती है। चाहे वह सोफा हो, कुशन, दीवार, सीलिंग, पर्दे या फिर एक्सेसरीज। अगर आप बाजार जाकर जो भी वहां उपलब्ध होता है, खरीद लेते हैं तो हो सकता है वह आपके कमरों के आकार के अनुसार फिट न बैठें, इसलिए जरूरी है कि ऐसी चीजें लगाई जाएं जो पूरे डेकोर के साथ कोर्डिनेट करने के साथ-साथ आपके बजट में भी हों। अगर आपका लिविंग रूम छोटा है और आप बाजार से एक बड़ा सोफा खरीद लाते हैं तो जाहिर सी बात है कि आपको इसमें असुविधा होगी। इसलिए अपने कमरे के आकार के अनुसार छोटे सोफे तैयार करवाए जा सकते हैं और उसी आकार में बाकी फर्नीचर भी।

क्या किचन में भी इस तरह की डिजाइनिंग की जा सकती है?

किचन में तो इसकी जरूरत सबसे ज्यादा होती है। मान लीजिए कोई महिला जो बहुत लंबी नहीं है, उसकी किचन में इतने ऊंचे कैबिनट बने हुए हैं कि उसे स्टूल पर चढ़कर सामान उतारना पड़ता है तो क्या यह सुविधाजनक स्थिति होगी। उसे अपनी लंबाई के अनुसार ही कैबिनट आदि बनवाने होंगे। किचन में आटे का डिब्बा या मसाले रखने के लिए बहुत स्टोरेज की आवश्यकता होती है, इसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है। किचन का उपयोग करने वाले की लंबाई इसमें बहुत महत्त्व रखती है।

फर्निशिंग में किस तरह बदलाव किया जा सकता है?

आप जिस रंग के पर्दे लगाते हैं, उसी रंग के बेडकवर, कुशन कवर लगा सकते हैं, जिससे एक तालमेल बना रहता है। पर्दों पर झालरें या लेस लगाना चाहते हैं तो दीवार के रंग से मैच करते हुए लगवाई जा सकती हैं। आपका घर छोटा है तो उसे बड़ा लुक देने के लिए दीवारों पर वॉल पेपर या वॉल पेपर पर पेंट करवाया जा सकता है। कोई भी चीज जो खरीदकर लगाई जाती है, वह जरूरी नहीं कि आपके डेकोर में फिट बैठे या उसके साथ मैच करे। अक्सर घरों में फ्लोरिंग चिप्स वाली ही होती है, अगर आपके सोफे का रंग नीला है तो टरक्वाएज टाइलें उसके ऊपर लगवाई जा सकती हैं, उसी तरह की वॉल हैंगिग टांग सकती हैं। इस तरह एक कम्पलीट लुक आ जाता है और उपयोग करने वाले को किसी तरह की असुविधा नहीं होती।

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