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बल्लेबाजों को जूझना पड़ सकता है पी सारा ओवल में

सिंहलीज स्पोटर्स क्लब ग्राउंड में एक-एक विकेट के लिए तरसने वाले भारत और श्रीलंका के गेंदबाजों के लिए इसे अच्छी खबर कहा जा सकता है कि उन्हें अब तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच खेलने के लिए पी सारा ओवल के उस...

बल्लेबाजों को जूझना पड़ सकता है पी सारा ओवल में
एजेंसीSun, 01 Aug 2010 06:27 PM
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सिंहलीज स्पोटर्स क्लब ग्राउंड में एक-एक विकेट के लिए तरसने वाले भारत और श्रीलंका के गेंदबाजों के लिए इसे अच्छी खबर कहा जा सकता है कि उन्हें अब तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच खेलने के लिए पी सारा ओवल के उस मैदान पर उतरना है जहां बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए अक्सर जूझना पड़ा है।

पीएसएस की पिच बल्लेबाजों को बहुत अधिक नहीं भाती, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां अब तक जिन दस मैच का परिणाम निकला है उनमें से चार मैच तो केवल तीन दिन के अंदर निबट गए जबकि दो मैच चार दिन ही चल पाए। भारत पिछली बार यानी 2008 में जब यहां खेलने उतरा था तो उसे केवल चार दिन में ही हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा था।

बल्लेबाजों को पीएसएस की पिच पर रन बनाने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है इसका एक सबूत यह भी है कि यहां अब तक जो 49 टेस्ट पारियां खेली गई है उनमें से केवल सात बार ही स्कोर 400 के उपर पहुंचा है। इस पिच पर सर्वाधिक स्कोर नौ विकेट पर 541 रन है जो श्रीलंका ने 2002 में बांग्लादेश के खिलाफ बनाया था। भारतीय टीम पांच पारियों में केवल 1993 में यहां एक बार यहां 446 रन बना पाई थी।

भारत और उसके बल्लेबाजों के लिए यह मैदान कभी भाग्यशाली नहीं रहा। भारत ने अब तक पीएसएस में तीन मैच खेले हैं जिसमें से दो में उसे हार मिली जबकि 1993 में वह ड्रा खेलने में सफल रहा। यहां भारत की तरफ से केवल एक शतक बना है और वह भी 17 साल पहले विनोद कांबली (120) ने बनाया था।

पिछले मैच में पांचवां दोहरा शतक जमाने वाले तेंदुलकर ने यहां दो मैच खेले हैं लेकिन इनमें वह केवल 91 रन बना पाए हैं। अन्य भारतीय खिलाड़ी 2008 में ही इस मैदान पर टेस्ट मैच खेले थे। इस मैच की दोनों पारियों में गौतम गंभीर ने 98, वीवीएस लक्ष्मण ने 86, राहुल द्रविड़ ने 78 और वीरेंद्र सहवाग ने 55 रन बनाए थे।

भारतीय ही नहीं श्रीलंका के बल्लेबाजों को भी यहां जूझना पड़ा है। श्रीलंकाई रन मशीन महेला जयवर्धने ने गाले, कैंडी और एसएससी में रनों का अंबार लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन पीएसएस में वह सात मैच में केवल 353 रन ही बना पाए जिसमें केवल एक शतक शामिल है।

कप्तान कुमार संगकारा ने यहां जरूर अच्छा प्रदर्शन किया है और उनके नाम पर सात मैच में 681 रन दर्ज हैं जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ 2007 में खेली गई 200 रन की नाबाद पारी भी शामिल है। वह पिछली बार भारत के खिलाफ भी 144 रन की बेजोड़ पारी खेलकर मैन आफ द मैच बने थे। संगकारा अब आठ रन बनाते ही इस मैदान पर सर्वाधिक रन का अरविंद डिसिल्वा (688) का रिकार्ड अपने नाम कर देंगे। उनके अलावा तिलन समरवीरा ने यहां तीन मैच में 200 और तिलकरत्ने दिलशान ने पांच मैच में 233 रन बनाए हैं।

पीएसएस के क्यूरेटर अनुराधा पोलोनोविटा हमेशा से जीवंत पिच बनाने के लिए मशहूर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि पिच जीवंत होगी और इसमें परिणाम निकलेगा। उन्होंने कहा कि पिच जीवंत होगी। इसमें बल्लेबाज के लिए भी रन बनाने के पर्याप्त मौके होंगे तो तेज गेंदबाज और स्पिनर दोनों के लिए यह उपयोगी होगी।

श्रीलंका के लिए वैसे यह मैदान भाग्यशाली रहा है। उसने यहां जो 13 मैच खेले हैं उनमें से सात में उसे जीत मिली और दो में हार। उसने यहां जो पिछले पांच खेले उन सभी में उसने जीत दर्ज की है। उसने पिछले साल जुलाई में पाकिस्तान को यहां 90 रन पर जबकि 2007 में बांग्लादेश को 62 रन पर ढेर कर दिया था। यहीं नहीं श्रीलंका ने इसी मैदान पर अपनी पहली टेस्ट जीत (भारत के खिलाफ 1985 में) हासिल की थी।

श्रीलंकाई टीम को वैसे इस मैदान पर मुथैया मुरलीधरन की कमी खलेगी जो पहले टेस्ट के बाद संन्यास ले चुके हैं। मुरलीधरन ने यहां नौ मैच में 52 विकेट चटकाए हैं लेकिन भारतीयों को अजंता मेंडिस से सतर्क रहने की जरूरत है जिन्होंने पिछली बार अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। मेंडिस ने उस मैच में आठ विकेट लिए थे।

भारतीय गेंदबाजों में वर्तमान टीम से केवल हरभजन सिंह और ईशांत शर्मा ने ही यहां टेस्ट मैच खेला है। हरभजन ने तब चार विकेट जबकि ईशांत शर्मा ने केवल एक विकेट हासिल किया था।

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