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‘प्लीज लाइसेंस बना दीजिए..मेरा खुद का है’

‘नमस्ते!..कहिए, क्या आदेश है!’ ‘सर, एक साल से दौड़ रहा हूँ। पहले चौकी-थाना फिर लेखपाल, कानूनगो के यहाँ चक्कर लगाया। मजिस्ट्रेट की मिन्नतें की..अब आपके यहाँ फाइल पड़ी है। आचार संहिता लगने वाली है।...

 ‘प्लीज लाइसेंस बना दीजिए..मेरा खुद का है’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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‘नमस्ते!..कहिए, क्या आदेश है!’ ‘सर, एक साल से दौड़ रहा हूँ। पहले चौकी-थाना फिर लेखपाल, कानूनगो के यहाँ चक्कर लगाया। मजिस्ट्रेट की मिन्नतें की..अब आपके यहाँ फाइल पड़ी है। आचार संहिता लगने वाली है। प्लीा, एक लाइसेंस बना दीजिए। मेरा खुद का है!..’ड्ढr शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक डीएम से मिलने आए 157 फरियादियों में से 156 ने इसी अंदाज में शस्त्र लाइसेंस के लिए गुहार लगाई। सआ-दतगंज का एक व्यक्ित जरूर अपवाद था, जिसने हैण्डपम्प लगवाने की गुजारिश की। जल निगम के अधिशासी अभियंता को एक हफ्ते के अन्दर हैण्डपम्प लगवा देने का निर्देश भी जारी कर दिया गया।ड्ढr अदब की नगरी के रसूखदार बाशिंदों का बड़ा तबका असलहा प्रेम की चपेट में फँस गया है। इनमें भी उन लोगों की तादाद ज्यादा है, जो दूसर जिलों से आकर यहाँ के निवासी बने हैं। लाइसेंस की चाहत रखने वालों के अपने-अपने तर्क हैं। कोई सुरक्षा की जरूरत जताता है, कोई स्टेटस सिंबल के लिए लाइसेंस चाहता है। यही वजह है कि फिलहाल जिला प्रशासन के शस्त्र अनुभाग में 25 हाार से अधिक लोगों के आवेदन लंबित हैं। पुलिस के चौकी-थानों में पड़े आवेदनों की संख्या भी इससे कम नहीं है। लंबित आवेदन पत्रों के साथ भारी-भरकम लोगों की सिफारिश भी चस्पा है। लोस चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लग जाएगी। तब कोई भी शस्त्र लाइसेंस जारी नहीं किए जाएँगे। चुनाव पूरे होने और आचार संहिता हटने में तकरीबन साढ़े चार माह का समय लगता है। नियम है कि छह महीने तक लंबित रह गए आवेदन पत्रों को वापस पुलिस के पास भेजकर आवेदक के चरित्र की रिपोर्ट माँगी जाए। इसके चलते आवेदक को शस्त्र लाइसेंस हासिल करने के लिए दोबारा थाना, चौकी दौड़ना होगा। इससे बचने के लिए आवेदकों ने सिफारिशें कराने के साथ ही डीएम चन्द्रभानु और शस्त्र प्रभारी सिटी मजिस्ट्रेट संजय कुमार सिंह को सलाम बजाना शुरू कर दिया है। कई पुलिस वाले भी शस्त्र लाइसेंस की चाहत में सलाम करने चले आए थे। डीएम ने पूछा-कितने एनकाउंटर किए हैं? तुम्हारा सबसे बड़ा गुडवर्क क्या था? जिन्होंने गुडवर्क बता दिए, उन्हें लाइसेंस देने का भरोसा दिलाया गया है।ड्ढr सीधे डीएम से मिलकर शस्त्र लाइसेंस चाहने वालों को वरीयता क्रम में लाइसेंस देने का भरोसा दिलाया गया। डीएम से आश्वासन पाकर बाहर निकले कई फरियादी प्रभारी शस्त्र संजय कुमार सिंह के यहाँ पहुँच गए। उन्हें बताया गया कि लाइसेंस जारी करने का भरोसा मिला है, बस फाइल पुटअप कर दीजिएगा।

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