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नालंदा विश्वविद्यालय के लिए विधेयक मानसून सत्र में

सरकार ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह...

नालंदा विश्वविद्यालय के लिए विधेयक मानसून सत्र में
एजेंसीThu, 08 Jul 2010 02:34 PM
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सरकार ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला हुआ। बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संवाददाताओं को बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक 2010  संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना पर 1005 करोड़ रूपये खर्च होगा।

विदेश मंत्रालय ने विधेयक को तैयार किया है। थाइलैंड में अक्टूबर 2009 में हुए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इस बारे में आम सहमति बनी थी। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए नई दिल्ली में परियोजना कार्यालय बनाया गया है। विधेयक के संसद में पारित होते ही यह कार्यालय काम करने लगेगा।

अंबिका ने बताया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन, दर्शन शास्त्र और धर्म, इतिहास, अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं शांति, प्रबंधन, भाषा, साहित्य और पर्यावरण जैसे विषयों के स्कूल होंगे। परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए आयोजक देश के रूप में भारत शुरुआती चरण में अधिक योगदान करेगा। योजना आयोग ने विशेष अनुदान के रूप में 50 करोड़ रूपए का आवंटन किया है।

बिहार सरकार ने राजगीर में इस विश्वविद्यालय के लिए 500 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है। जिस जगह भूमि अधिग्रहण किया गया है, ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय वहीं हुआ करता था। प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी वहां मौजूद हैं। प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए 500 एकड़ और भूमि का अधिग्रहण भी प्रदेश सरकार करेगी।

अंबिका ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना से नालंदा को पूर्वी और दक्षिण एशिया में शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में फिर से स्थापित किया जा सकेगा। इस विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने से यह भारत के बौद्ध सर्किट से जुड़ेगा और इससे पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में दुनिया भर से छात्र और अनुसंधानकर्ता आएंगे, जबकि स्थानीय लोगों को भी इससे फायदा होगा। विश्वविद्यालय को 200 उन स्थानीय गांवों से संबद्ध किया जाएगा, जिनका प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से संबंध हुआ करता था।

विधेयक में प्रोफेसर अमर्त्य सेन की अध्यक्षता वाले नालंदा संरक्षक समूह को एक साल के लिए विश्वविद्यालय का अंतरिम प्रशासनिक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है। इस समूह का गठन केन्द्र सरकार ने जून 2007 में किया था । विश्वविद्यालय सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में तैयार होगा।

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