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पॉलिटिशियन ऑफ द ईयर पुरस्कार: कहीं आलोचना तो कहीं सराहना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पॉलिटिशियन ऑफ द ईयर-2008 पुरस्कार मिलने पर विपक्ष ने मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राजद ने जहां इसकी आलोचना की है वहीं कांग्रस ने सराहना की है। राजद ने कहा है कि...

 पॉलिटिशियन ऑफ द ईयर पुरस्कार: कहीं आलोचना तो कहीं सराहना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पॉलिटिशियन ऑफ द ईयर-2008 पुरस्कार मिलने पर विपक्ष ने मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राजद ने जहां इसकी आलोचना की है वहीं कांग्रस ने सराहना की है। राजद ने कहा है कि मुख्यमंत्री को यह पुरस्कार उनके विकास के लिए नहीं बल्कि विफलताओं के लिए दिया गया है। वहीं कांग्रस के वरीय नेता एवं विधान पार्षद डा. रविन्द्र यादव, आजमी बारी एवं मुन्ना शाही ने कहा है कि अच्छे काम की सराहना होनी चाहिए। यही कारण है कि संकीर्णता से ऊपर उठकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की है।ड्ढr ड्ढr उधर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता श्याम रजक एवं प्रांतीय महासचिव निहोरा प्रसाद यादव ने विफलताओं की सूची गिनायी है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में कोसी के प्रलय में हजारों लोगों की जान गई। महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और बच्चों के खिलाफ अपराध में वृद्धि हुई। फर्जी शिक्षक बहाल हुए जिससे सूबे की शिक्षा बर्बाद हुई। घूसखोरी, कमीशनखोरी और नौकरशाही का परचम लहराया। एक ही जिले के एक ही जाति के लोगों को अधिकतर पदों पर बैठाया गया। बीपीएल सूची में बड़ों का नाम जुटा और राशन-किरासन कूपन नहीं बंटे। गरीबों के कल्याण के करोड़ों रुपए विज्ञापन में बहाये गये। गांव-गांव में शराब की दुकानें खुली। प्रदेश अंधेर में रहा। सिंचाई वाले नलकूप बन्द रहे, सुखाड़ वाले इलाकों में डीजल सब्सिडी नहीं मिली और खाद-बीज की कालाबाजारी हुई। कमजोर वर्ग के पंचायत प्रतिनिधियों को अपमानित किया गया। विकास यात्रा के नाम पर गरीबों के करोड़ों रुपए बहा दिये गये। पटना शहर डूबा।

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