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स्‍वाइन फ्लू से मुक्ति नहीं अब 'चगास' का खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया में घातक स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का खौफ अभी लोगों के दिमाग से उतरा भी नहीं था कि उसी तरह के एक नये रोग 'चगास' का खतरा मंडराने लगा है। विश्व स्वास्थ्य...

स्‍वाइन फ्लू से मुक्ति नहीं अब 'चगास' का खतरा
एजेंसीSun, 04 Jul 2010 11:51 AM
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया में घातक स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का खौफ अभी लोगों के दिमाग से उतरा भी नहीं था कि उसी तरह के एक नये रोग 'चगास' का खतरा मंडराने लगा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार चगास मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका की बीमारी है लेकिन बीते एक दशक से अधिक समय में अमेरिका, कनाडा, कई यूरोपीय देशों तथा कुछ पश्चिमी प्रशांत देशों में इसके मामले आ रहे है और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।

'चगास' रोग के प्रसार ने कई देशों में गंभीर रूप धारण कर लिया है। डब्ल्यूएचओ ने प्रभावित देशों में जाने वाले यात्रियों से सतर्क रहने को कहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा योजना महानिदेशक डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में अभी इस रोग के फैलने की कोई आशंका नहीं है लेकिन वर्तमान में प्रभावित देशों से जिस तेजी से यह रोग अन्य देशों में भी फैल रहा है उसे ध्यान में रखते हुए चौकन्ना रहने की आवश्यकता है क्योंकि प्रभावित देशों में यात्रियों के आवागमन से इसके फैलने का खतरा और बढ़ सकता है। इन देशों की यात्रा करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में चगास को अमेरिकी ट्रिप्नोसोमियोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी ट्रिप्नोसोमा क्रूजी नामक परजीवी से फैलती है। एक समय इस बीमारी का प्रकोप लैटिन अमेरिकी क्षेत्रों तक ही सीमित था लेकिन अब इसका प्रसार अन्य क्षेत्रों में हो चुका है।

डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की ओर से अभी इस रोग के नियंत्रण के बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं आये हैं। यदि आएंगे तो उनका पूरी तरह से पालन किया जाएगा और सभी आवश्यक कदम उठाये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू से हम प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं और अब तो उसका स्वदेशी टीका उपलब्ध है फिर भी इस रोग के प्रति हम पूरी तरह सतर्क हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में चगास के संक्रमण से सबसे अधिक बचाव रक्त की जांच से किया जा रहा है। संक्रमण के बाद यदि इसका इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाए तो रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में इस समय करीबन एक करोड़ लोग चगास से प्रभावित हो चुके है जिनमें अधिकांश लैटिन अमेरिकी देशों से हैं। करीबन ढा़ई करोड़ लोगों पर इस रोग का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2008 के दौरान चगास से 10 हजार से अधिक लोग मारे गये थे।

रिपोर्ट के अनुसार संक्रमित रक्त चढा़ने, जन्म के दौरान संक्रमित मां से बच्चों को और संक्रमित रोगी के अंगों के प्रत्यारोपण से चगास फैलता है। चगास से लंबे समय तक प्रभावित 30 प्रतिशत रोगियों को हृदय रोग की समस्याएं जबकि 10 प्रतिशत रोगियों को स्नायु, पाचन संबंधी या ऐसे ही मिले जुले शारीरिक परिवर्तन की आशंका बनी रहती है।

वर्तमान समय में चगास के इलाज में बेंजनीडेजोल या नाइफर्टिमोक्स नामक दवाएं सबसे अधिक प्रभावकारी सिद्ध हो रही हैं। यदि सही समय पर ये दवाएं ली जायें तो 100 प्रतिशत प्रभावी होती हैं।

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