युवा खिलाड़ियों का रवैया भारत के लिए चिंता का सबब
आठ महीने बाद होने वाले विश्वकप के मद्देनज़र युवाओं का ध्यान चयनकर्ताओं को आकर्षित करने पर होना चाहिए लेकिन प्रज्ञान ओझा और सौरभ तिवारी जैसे खिलाड़ियों के तेवर टीम इंडिया के लिए चिंता का विषय बनते जा...
आठ महीने बाद होने वाले विश्वकप के मद्देनज़र युवाओं का ध्यान चयनकर्ताओं को आकर्षित करने पर होना चाहिए लेकिन प्रज्ञान ओझा और सौरभ तिवारी जैसे खिलाड़ियों के तेवर टीम इंडिया के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं।
विश्वकप 2011 के लिए टीम इंडिया का स्वरूप लगभग तय है लेकिन बाकी बचे स्थानों के लिए चयनकर्ताओं की नज़रें उन युवाओं के चयन पर है जो विशेष ज़िम्मेदारियां निभा सके।
ऐसे में युवाओं को अपना दावा पक्का करने के लिए और मेहनत करनी चाहिए लेकिन एशिया कप में कल बांग्लादेश के ख़िलाफ मैच में ओझा और तिवारी का रवैया निराशाजनक रहा।
लंच ब्रेक के दौरान अशोक डिंडा, आर अश्विन, ओझा और तिवारी को शेडयूल दिया गया था। डिंडा और अश्विन ने रणगिरी दाम्बुला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के छह चक्कर लगाकर काम पूरा कर दिया लेकिन ओझा और तिवारी ने ऐसा नहीं किया।
टीम के ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन को उन्हें अपने चक्कर पूरे करने के लिए धकेलना पड़ा। सामने खड़ा मीडिया इस पूरी घटना का गवाह बना। इससे पहले भी भारत के पूर्व फील्डिंग कोच राबिन सिंह ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ सीरीज़ के दौरान ओझा को आड़े हाथों लिया था। बाएं हाथ के इस स्पिनर की अभ्यास और फील्डिंग की कसरतों में रूचि नहीं रहती है। दूसरे खिलाड़ी जहां नेट पर पसीना बहाते दिखते हैं, वही यह आराम फरमाते नज़र आते हैं।
आशीष नेहरा की जगह खेलने वाले तिवारी का भी कमोबेश यही हाल है। उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग में अच्छे प्रदर्शन के दम पर टीम में जगह मिली है।