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पेड न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त

अगले वर्ष के शुरुआत में कुछ राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनावों के बीच निर्वाचन आयोग ने बुधवार को पेड न्यूज पर चिंता जाहिर करने के साथ ही अधिकारियों को चुनाव संबंधी रिपोर्टों की कड़ी निगरानी करने के...

पेड न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त
एजेंसीWed, 16 Jun 2010 06:10 PM
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अगले वर्ष के शुरुआत में कुछ राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनावों के बीच निर्वाचन आयोग ने बुधवार को पेड न्यूज पर चिंता जाहिर करने के साथ ही अधिकारियों को चुनाव संबंधी रिपोर्टों की कड़ी निगरानी करने के निर्देश दिए।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि पेड न्यूज की हालिया प्रवृत्ति स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के संबंध में चिंता पैदा कर रही है जो चिंताजनक अनुपात में है और गंभीर चुनावी अनियमितता है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को दिए अपने निर्देश में निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों से इस मामले में मीडिया पर कड़ी नजर रखने को भी कहा।

आयोग ने कहा कि जिले में प्रसारित और प्रकाशित सभी समाचारपत्रों की कड़ी जांच पड़ताल के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी चुनाव की घोषणा होते ही जिला स्तरीय समितियों का गठन कर सकते हैं ताकि न्यूज कवरेज की आड़ में प्रकाशित होने वाले राजनीतिक विज्ञापनों का पता लगाया जा सके।

निर्वाचन आयोग ने कहा है कि जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को करीब से प्रिंट मीडिया में जारी होने वाले उन विज्ञापनों पर नजर रखनी चाहिए जिनमें समाचार के रूप में छद्म विज्ञापन हों और जहां जरूरत हो, उन मामलों में उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करना चाहिए ताकि इस मद में आने वाले खर्च को संबंधित उम्मीदवार या पार्टी के चुनावी खर्च में शामिल किया जा सके।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को हाल ही में उनके खिलाफ दायर कथित पेड न्यूज के मामले में एक नोटिस जारी किया गया था। यह मामला पिछले वर्ष राज्य विधानसभा चुनाव के सिलसिले में भाजपा ने दाखिल किया था। आयोग ने कहा है कि जिला समितियों को जिले में इलैक्ट्रोनिक मीडिया में आने वाली चुनाव संबंधी खबरों तथा फीचरों पर नजर रखनी चाहिए।

आयोग ने कहा है कि जब टेलीविजन या रेडियो चैनल्स में किसी उम्मीदवार के भाषण या गतिविधियों की अनुपात से अधिक ऐसी कवरेज होती है, जिससे मतदाताओं के प्रभावित होने की संभावना है और किसी उम्मीदवार विशेष को चुनावी फायदा पहुंचता दिखता है तथा इसी प्रकार की न्यूज कवरेज कई अन्य चैनलों में भी हो रही है तो डीईओ को उम्मीदवार को नोटिस जारी करना चाहिए और उससे पूछा जाना चाहिए कि क्यों न कवरेज को विज्ञापन के तौर पर लिया जाए।

 

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