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बॉलीवुड पर भी छाया फीफा फीवर

फीफा वर्ल्ड कप 2010 के शुरु होते ही अभिनेता जॉन अब्राहम का लाइफस्टाइल बिलकुल बदल गया है। खबर है कि जॉन ने खुद को टीवी संग चिपका सा लिया है। वह एक भी मैच मिस नहीं करना चाहते। शूटिंग शडय़ूल्स तो आगे...

बॉलीवुड पर भी छाया फीफा फीवर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 11 Jun 2010 04:57 PM
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फीफा वर्ल्ड कप 2010 के शुरु होते ही अभिनेता जॉन अब्राहम का लाइफस्टाइल बिलकुल बदल गया है। खबर है कि जॉन ने खुद को टीवी संग चिपका सा लिया है। वह एक भी मैच मिस नहीं करना चाहते। शूटिंग शडय़ूल्स तो आगे खिसक ही गये हैं, पार्टीज पर भी एक महीने के लिए फुल स्टॉप लग गया है। फीफा वर्ल्ड कम को देखते हुए जॉन का फुटबॉल प्रेम समझा जा सकता है। खैर, जॉन और उनके फुटबॉल प्रेम के बारे में कुछ और बातें करने से पहले जरा नजर डालें कि बी-टाउन में अन्य सितारे फीफा को लेकर क्या कर रहे हैं।

अब अपने सैफ अली खान को ही लीजिए। वह भी क्रिकेट छोड़ फुटबाल को सपोर्ट कर रहे हैं। अब जब सैफ मियां फुटबॉल शुटबॉल हाय रब्बा कर रहे हैं तो सैफीना यानी करीना कपूर कैसे पीछे रह सकती हैं। लेकिन करीना का फुटबॉल प्रेम कुछ अलग किस्म का है। फीफा वर्ल्ड कप 2010 के लिए बनाए जा रहे एक खास म्यूजिक वीडियो में करीना कपूर हॉलीवुड के नामचीन सितारों के साथ नजर आएंगी। इस वीडियो में उनके अलावा मैट्ट डैमन और जेसिका अल्बा भी होंगे। करीना कहती हैं- ‘हां, मैंने इस आयोजन के लिए एक ऑडियो-विजुअल शूट किया है, लेकिन यह सब सिर्फ डांस और म्यूजिक से ही नहीं जुड़ा है। इसमें खेल और शिक्षा के संदेश के साथ-साथ जरूरतमंद बच्चों की मदद का नेक मकसद भी शामिल है।’ गौरतलब है कि करीना अकेली ऐसी भारतीय हैं, जो इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं। करीना आगे कहती हैं, ‘क्या आपको पता है कि विश्व में करीब 72 मिलियन बच्चे ऐसे हैं, जो स्कूल जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते। मुझे लगता है कि शिक्षा के माध्यम से उनकी गरीबी को दूर किया जा सकता है, इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि कलाकार इस तरह के प्रोजेक्ट्स से जुड़ें।’

करीना का मानना है कि फुटबॉल क्रिकेट से ज्यादा ऊर्जावान खेल है। वह कहती हैं, ‘ये सच है कि देश में क्रिकेट को दीवानगी की हद तक पसंद किया जाता है, लेकिन मैं फुटबॉल एन्जाय करती हूं।’ करीना ब्राजील की फुटबॉल टीम का समर्थन करती हैं और उनके फेवरेट फुटबॉल प्लेयर हैं क्रिस्टीआनो रोनाल्डो। हां, तो अब बात जॉन के बारे में। जॉन ने मैच देखने के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस एक मीडिया रूम तैयार करवाया है, जिसमें एक बड़ी-सी प्लाज्मा स्क्रीन के साथ बड़े-बड़े स्पीकर्स, सराउंड साउंड का बंदोबस्त है। रूम का सिटिंग प्लान लाउंज सरीखा है। अर्जेन्टीना और ब्राजील की टीमों के मैचों को लेकर वह खासे उत्साहित भी हैं। फाइनल को लेकर अपने प्लान के बारे में वह कहते हैं,‘हालांकि सारी बातें मेरे शडय़ूल पर निर्भर हैं, लेकिन इस बीच अगर मुझे जरा भी समय मिला तो मैं साउथ अफ्रीका जरूर जाऊंगा।’

बेशक फीफा वर्ल्ड कप 2010 को लेकर जॉन अब्राहम के प्लान्स बॉलीवुड के अन्य सितारों पर भारी तो दिखते हैं, लेकिन एक बात सहजता से गले नहीं उतरती। वो ये कि फीफा वर्ल्ड कप का ब्रांड एम्बेसेडर होने के नाते वह ओपनिंग मैच के दौरान जोहंसबर्ग में उपस्थित नहीं थे। इस बारे में जॉन कहते हैं, ‘बेशक मैं वहां रहना चाहता था, लेकिन मुझे अपने टाइट शडय़ूल की वजह से प्लान में कुछ तब्दीली करनी पड़ी।’ फुटबॉल को लेकर अपने इमोशनल टच के बारे में शाहरुख खान ने भी ट्वीट किया। शाहरुख ने लिखा कि, ‘हां, फीफा को लेकर मैं काफी इमोशनल हूं, क्योंकि इसकी यादें मेरी मां के साथ जुड़ी हैं। उस जमाने में जब टीवी ही मनोरंजन का एकमात्र जरिया  था और लोग केवल दूरदर्शन पर ही आश्रित थे तो हम लोग रात रात भर जागकर फीफा के मैच देखा करते थे। हम लोग एक भी मैच मिस नहीं करते थे, लेकिन आज मैं अपनी मां को बहुत मिस करता हूं।’

एस्केप टू विक्ट्री (1981)

फुटबॉल पर केन्द्रित बेहतरीन फिल्मों में इस फिल्म को सबसे पहले शुमार किया जाता है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्धबंदी जर्मनी की एक जेल में आते हैं और देखते ही देखते एक बेहद दिलचस्प मैच का हिस्सा बन जाते हैं। फिल्म का निर्देशन जॉन ह्यूस्टन ने किया था। फिल्म में माइकल केन और सिलेविस्टर स्टैलन के अलावा महान खिलाड़ी पेले, बॉबी मूर, ओस्वाल्डो आर्दिलेस आदि भी थे।

बेंड इट लाइक बेकहम (2002)

इस फिल्म में एक सिख युवती के फुटबॉल प्रेम को दिखाया गया है। लीड भूमिका परमिंदर नागरा ने की थी। उनके पिता की भूमिका अनुपम खेर ने निभाई थी। साथ में थीं किइरा नाइटली। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से एक भारतीय लड़की लंदन में रह कर फुटबॉल खेलने के लिए न केवल अपने परिवार से, बल्कि वहां के खिलाड़ियों और विभिन्न टीमों से जूझती है और अंत में जीत कर ही दम लेती है।

गोल 2 (2007)

गोल ट्रायलॉजी के तहत आयी ‘गोल 2’ में एक फिक्शनल किरदार सैंटियागो मुटेंज की कहानी को दिखाया गया है। हालांकि इस कड़ी का पहली और तीसरी कड़ी से कोई सीधा नाता तो नहीं है, लेकिन एक ट्रायलॉजी के हिसाब से इसे फुटबॉल के उसी जोश और जुनून के हिसाब से बनाया गया था, जो इसके पहले दो भागों में था। फिल्म का निर्देशन जॉमी लेट्ट सेरा ने किया था।

एनी गिवन संडे (1999)

अल पचीनो, कैमरून डियाज, डैनिस क्वैड, जेम्स वुड्स जैसे सितारों के साथ निर्देशक ऑलिवर स्टोन ने इस फिल्म से साबित कर दिया था कि वो केवल थ्रिलर फिल्मों के शहंशाह ही नहीं हैं। फिल्म में फुटबॉल टीमों, विभिन्न क्लबों के बीच फुटबॉल खिलाड़ियों, सटोरियों और माफिया की झलकियों के साथ दिखाया गया था कि जितना खेल मैदान पर होता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर भी होता है।

शॉओलिन सॉकर  (2001)

हांगकांग की इस फिल्म को भारत में काफी पसंद किया गया। हालांकि यह एक कॉमेडी फिल्म थी, लेकिन फिल्म में दिखाया गया कि किस तरह से एक सनकी और जुझारु फुटबॉल प्रेमी द्वारा शाओलिन का इस्तेमाल फुटबॉल में किया जा सकता है। शाओलिन के इस्तेमाल से कैसे फुलबॉल और ज्यादा दिलचस्प और रोमांचभरी हो सकती है। फिल्म का निर्देशन स्टीफन चाओ ने किया था।

ग्रेसी (2007)

माना जाता है कि इस फिल्म ने अमेरिका में महिलाओं द्वारा फुटबॉल खेले जाने की सोच को काफी हद तक बदलने का काम किया। मुख्य किरदार ग्रेसी बॉवेन अभिनेत्री कार्ले शॉडर द्वारा निभाया गया था। फिल्म में सत्तर के अंतिम और अस्सी के शुरुआती दशकों के फुटबॉल जुनून को दिखाया गया है।

गोल (2007)

जॉन अब्राहम की लीड भूमिका के साथ ‘गोल’ बॉलीवुड में फुटबाल पर बनी यह संभवत: पहली फिल्म होगी। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं चली थी, लेकिन फिल्म में फुटबाल की जीवंतता लाने के लिए जॉन ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। फिल्म में बिपाशा बसु के अलावा बोमन ईरानी, अरशद वारसी, राज जुत्शी, दिलीप ताहिल आदि थे। फिल्म का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया था और निर्माण यूटीवी ने। फिल्म में दिखाया गया था कि अच्छे टैलेंट के बावजूद किस तरह से साउथहॉल, लंदन में रहने वाले भारतीयों की एक फुटबॉल टीम स्थानीय क्लबों की उपेक्षा का शिकार होती है।

रिमेम्बर दि टाइटन्स (2000)

वॉल्ट डिजनी की इस फिल्म में मुख्य भूमिका हॉलीवुड के दिग्गज डेंजिल वॉशिंगटन ने निभाई थी। फिल्म सॉकर पर केन्द्रित न होकर अमेरिकी फुटबॉल पर फोकस की गयी थी। चूंकि यह एक बेहतरीन स्पोर्ट फिल्म भी मानी जाती है तो इस लिहाज से इसे फीफा फीवर के तहत हर बार रेकमंड किया जाता है। फिल्म में एक कोच और उसकी टीम के साथ कमाल के नेटवर्क और भावनाओं के ताने-बाने को  फुटबॉल के जोश और जुनून को भी दिखाया गया है।

भारतीय क्रिकेट टीम के दो पूर्व कप्तानों, मंसूर अली खां पटौदी और इफ्तिखार अली खां के खानदान की युवा पीढ़ी के चिराग और बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान का झुकाव भी फुटबॉल की ओर हो गया है। सैफ क्रिकेट से ऊब गये हैं और अब फुटबॉल में दिलचस्पी लेने लगे हैं। सैफ कहते हैं ‘किक्रेट तो पूरा साल ही होता रहता है। मैं अब फुटबाल की ओर ज्यादा आकर्षित हूं। अब मेरा पूरा फोकस फीफा वर्ल्ड कप पर है।’ उल्लेखनीय है कि सैफ आजकल अपने प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म ‘एजेंट विनोद’ की शूटिंग की तैयारियों में व्यस्त हैं।

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