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अदालत के फैसले पर भोपाल में रोष

हजारों लोगों की जान लेने वाले भोपाल गैस त्रासदी मामले में कोर्ट के फैसले को लेकर आज भी भोपाल के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। लोगों का मानना है कि इस घटना के लिए अदालत ने दोषियों को बहुत ही कम सजा...

अदालत के फैसले पर भोपाल में रोष
एजेंसीTue, 08 Jun 2010 02:28 PM
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हजारों लोगों की जान लेने वाले भोपाल गैस त्रासदी मामले में कोर्ट के फैसले को लेकर आज भी भोपाल के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। लोगों का मानना है कि इस घटना के लिए अदालत ने दोषियों को बहुत ही कम सजा सुनाई है।

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा कि हादसे की चपेट में आए लोगों को अपने जीवन में एक नहीं, बल्कि दो त्रासदियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पहली त्रासदी उस वक्त हुई जब दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड कारखाने से मिथाइल आइसो सायनेट [एमआईसी] गैस रिसी थी और दूसरी त्रासदी कल उस वक्त हुई, जब उस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

उल्लेखनीय है कि कल आए फैसले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सात दोषियों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है, लेकिन सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। त्रासदी से पीड़ित शमशाद बी ने कहा कि यह बहुत ही दुख की बात है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी जिम्मेदार लोगों को जमानत पर छोड़ दिया गया और उन्हें जेल में एक रात भी नहीं बितानी पड़ी।

इस मामले में लोगों में इस बात को लेकर भी काफी नाराजगी है कि कल अदालत में दोषी लोगों को आराम से अंदर जाने दिया गया, लेकिन गैस पीड़ितों की संस्थाओं के नुमाइंदों को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इससे अदालत के बाहर खड़े उन लोगों की पुलिस से कई बार तू-तू-मैं-मैं भी हुई।
 अदालत परिसर में जाने की अनुमति न मिलने से गुस्साए गैस पीड़ित कोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और तरह-तरह के नारे भी लगा रहे थे।

उनका कहना है कि अदालत के कल के फैसले का मतलब यह नहीं है कि गैस पीड़ितों के कानूनी दुखों का अंत हो गया है। अब यह मामला सत्र न्यायालय जाएगा, वहां से उस पर उच्च न्यायालय में बहस होगी और अंतिम फैसला उच्चतम न्यायालय में आएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव है कि इन अदालतों में मामले की सुनवाई के लिए 25 साल न लगे, पर अभी भी कोई यह नहीं कह सकता है कि यहां पर कार्रवाई कबतक चलेगी।

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