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शरीर पर चित्रकारी त्वचा के लिए हो सकती है घातक

तरह तरह के रंगों से शरीर पर चित्रकारी आज फैशन का पर्याय बन गई है। टैटू कहलाने वाली यह कला अब केवल जनजातीय समुदाय तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि हॉलीवुड तक इसका दीवाना हो चुका है। लेकिन मामूली सी चूक इस...

शरीर पर चित्रकारी त्वचा के लिए हो सकती है घातक
एजेंसीWed, 02 Jun 2010 05:33 PM
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तरह तरह के रंगों से शरीर पर चित्रकारी आज फैशन का पर्याय बन गई है। टैटू कहलाने वाली यह कला अब केवल जनजातीय समुदाय तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि हॉलीवुड तक इसका दीवाना हो चुका है। लेकिन मामूली सी चूक इस शौक को त्वचा की सेहत के लिए घातक बना सकती है।

चिकित्सकों का मानना है कि टैटू बनाने में संक्रमित सुई और संक्रामक स्याही के इस्तेमाल से टिटनेस, हेपेटाइटिस, टीबी और एड्स जैसे जानलेवा संक्रमण हो सकते हैं।

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद खेतान ने बताया कि टैटू बनाने में एक ही सुई के बार बार उपयोग करने से कुष्ठरोग, हेपेटाइटिस, एचआईवी जैसे रक्तजनित संक्रमण होने की संभावना रहती है। इसलिए टैटू हमेशा जानकार और कुशल व्यक्ति से बनवाना चाहिए।

वह कहते हैं इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही भी कई बार संक्रमण का कारण बन जाती है। इसके अलावा, त्वचा की कोशिकाएं टैटू की सुई से कभी इस तरह क्षतिग्रस्त हो जाती हैं कि लंबे समय तक इलाज कराना पड़ता है। कई लोगों की त्वचा अत्यंत संवेदनशील होती है। ऐसे लोगों को टैटू नहीं बनवाना चाहिए।

एक अन्य त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ सुनंदा तनेजा ने बताया टैटू दो तरह के होते हैं स्थाई और अस्थाई। लोग शौक से स्थाई टैटू बनवा लेते हैं। फिर कुछ समय बाद इसे हटवाने के लिए आते हैं। टैटू को हटाना आसान नहीं होता। पूरा काम त्वचा संबंधी होता है और एक बार फिर संक्रमण का ख़तरा होता है।

डॉ सुनंदा कहती हैं अस्थाई टैटू मेहंदी या अन्य ऐसे रंगों से बनाए जाते हैं जो कुछ दिनों बाद खुद की मिट जाते हैं। ऐसे टैटू बनवाना ही बेहतर होता है।
फिल्मी सितारे भी टैटू के दीवाने हैं। संजय दत्त, सलमान ख़ान, सैफ़ अली ख़ान, आमिर ख़ान, दीपिका पादुकोण, मंदिरा बेदी, राखी सावंत शरीर को टैटू से सजाने वाले सितारों की सूची बहुत लंबी है। हॉलीवुड के सितारों में लिंडसे लोहान से लेकर पॉप गायिका मडोना तक टैटू से सजी नज़र आती हैं।

देश के विभिन्न जनजातीय समुदायों और ग्रामीण इलाकों में टैटू को गोदना के नाम से जाना जाता है। नीले रंग की स्याही से बनाए जाने वाला गोदना समाज में कभी परंपरा और समद्धि का पर्याय माना जाता था।

कुछ यूरोपीय देशों में तीन जून को टैटू डे मनाया जाता है। इस दिन की शुरूआत कब और कैसे हुई, इसके बारे में ख़ास जानकारी नहीं मिलती। लेकिन टैटू का प्रागैतिहासिक काल से ही विभिन्न संस्कतियों और समुदायों में चलन रहा है। ख़ास स्थानों में प्रवेश, किसी ख़ास पद को दर्शाने, धार्मिक और आध्यात्मिक समर्पण के प्रतीक के तौर पर भी शरीर के ख़ास हिस्सों पर टैटू बनवाने का प्रचलन था। इसे बहादुरी और विपरीत लिंग को आकर्षित करने लिए भी अपनाया गया। प्राचीन मिस्र की ममियों में भी टैटू पाए गए हैं जो ईसा पूर्व लगभग दो हज़ार साल के अंतिम समय के हैं।

अमेरिका में रेड क्रॉस ने अधिकत स्टूडियो में टैटू नहीं बनवाने वाले लोगों पर 12 महीने तक रक्तदान करने से रोक लगा रखी है। वहीं, ब्रिटेन में ऐसे लोगों पर छह महीने तक रक्तदान करने पर रोक है।

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