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वाममोर्चे की करारी शिकस्त, तृणमूल ने जीती केएमसी

पश्चिम बंगाल में वामपंथ के अभेद्य दुर्ग में सेंध लगाते हुए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने निकाय चुनावों में भारी जीत दर्ज की है। कोलकाता नगर निगम की 141 सीटों में से अभी तक घोषित 135 सीटों के...

वाममोर्चे की करारी शिकस्त, तृणमूल ने जीती केएमसी
एजेंसीWed, 02 Jun 2010 08:56 PM
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पश्चिम बंगाल में वामपंथ के अभेद्य दुर्ग में सेंध लगाते हुए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने निकाय चुनावों में भारी जीत दर्ज की है।

कोलकाता नगर निगम की 141 सीटों में से अभी तक घोषित 135 सीटों के नतीजों में तृणमूल ने 94 पर कब्जा जमा लिया है, वहीं वाम मोर्चे को मात्र 29 सीटों पर संतोष करना पड़ा है।

राज्य के 16 जिलों के 81 निकायों पर रविवार को हुए चुनाव में अभी तक घोषित 43 निकायों के नतीजों में से 20 पर तृणमूल ने अपना परचम लहरा दिया है। वहीं तणमूल ने स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ी निकायों की आठ सीटों पर जीत दर्ज की है।

इन चुनावों में वाम मोर्चें ने 12 पर विजय प्राप्त की है, वहीं कांग्रेस तीन पर सब पर भारी पड़ी। कोलकाता नगर निगम चुनावों में तृणमूल ने अकेले दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है। वहां अभी तक घोषित नतीजों में तृणमूल को 135 में से 94 सीटें हासिल हुई हैं।

वर्ष 2005 में हुए निकाय चुनावों में 75 सीटें जीतने वाले वाम मोर्चा को इस बार अभी तक मात्र 29 सीटें प्राप्त हुई हैं। वहीं कांग्रेस को नौ और भाजपा को पिछली बार की तरह तीन सीटें हासिल हुई हैं। गौरतलब है कि पिछले चुनावों में जहां वाम मोर्चे को 141 में से 75 सीटें मिली थीं, वहीं तृणमूल 42 सीटों पर जीतने में सफल हुई थी। अन्य सीटों में से कांग्रेस ने 21 और भाजपा ने तीन पर फतह किया था।

केन्द्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रणव मुखर्जी ने निकाय चुनाव के नतीजों पर ममता बनर्जी को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें यह जनादेश स्वीकार्य है। राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में मुखर्जी ने कहा कि अभी अंतिम नतीजे आने बाकी हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए वास्तविक लाभ या हानि का आकलन कर पाना मुश्किल काम है, लेकिन उनके पास जो 14 सीटें थीं, उनमें से कुछ में फायदा हुआ है, तो कुछ में नुकसान पहुंचा है।

मुखर्जी ने कहा कि सबसे पहले मैं ममता बनर्जी को कोलकाता और अन्य जिलों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बधाई देना चाहूंगा। मैं कांग्रेस की उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने को स्वीकार करता हूं। मैं पूरी विनम्रता से जनता के जनादेश को स्वीकार करता हूं।

निकाय चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाली तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राज्य में तत्काल विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा कि अब माकपा को राज्य की सत्ता पर काबिज रहने का कोई अधिकार नहीं है।

अपनी पार्टी की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए ममता ने कहा कि यह मां-माटी-मानुष (मां, भूमि और जनता) की जीत है। उन्होंने यह जनादेश राज्य में राजनीतिक परिवर्तन के लिए दिया है। मैं जनता को सलाम करती हूं।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में हमें सत्तारूढ़ दल के अलावा तीन से चार अन्य ताकतों से लड़ना पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोर्चा के लाल किले को न सिर्फ कोलकाता नगर निगम में, बल्कि बिधाननगर (सॉल्ट लेक) में भी ढहा दिया है। तृणमूल ने बिधाननगर की 25 में से 16 पर जीत दर्ज की है, वहीं अन्य नौ सीटों पर वाम मोर्चा काबिज हुआ है।

 

गौरतलब है कि 2005 के निकाय चुनावों में बिधाननगर में कुल 23 सीटें थीं, जिसमें 18 पर वाम मोर्चा काबिज था, तो अन्य पांच सीटों पर तृणमूल ने जीत दर्ज की थी। वाम मोर्चे का गढ़ माने जाने वाले उत्तरी 24 परगना और हुगली जिले में तृणमूल ने वाम मोर्चा का लगभग खात्मा कर दिया है।

उत्तरी 24 परगना की 16 में से 12 सीटों पर तृणमूल ने अपना झंडा बुलंद किया है, वहीं वाम मोर्चे को एक और कांग्रेस को एक सीट प्राप्त हुई है। हुगली जिले में तृणमूल ने वाम मोर्चे का सफाया करते हुए चंदननगर नगर निगम समेत 12 में से 11 सीटों पर कब्जा कर लिया है।

गौरतलब है कि सत्तारूढ़ वाम मोर्चा पिछले चुनाव में 81 में से 55 सीटों पर जीता था। इस बार का निकाय चुनाव वाम मोर्चे के लिए 2008 के पंचायत चुनाव और पिछले लोकसभा चुनावों की हार के संदर्भ से उबरने के मौके के तौर पर देखा जा रहा था।

साथ ही सियासी हलकों में यह चुनाव केन्द्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी और तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी के बीच एक प्रतिष्ठा के प्रश्न के तौर पर लिया जा रहा था, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मनमुटाव हो गया था।

कोलकाता निकाय चुनाव में शिकस्त झेलने वालों में प्रमुख रूप से उप महापौर वाम मोर्चे के कल्याण मुखर्जी, अबु सूफियन और फैयाज अहमद खान हैं। वहीं तृणमूल के नेता प्रतिपक्ष जावेद खान और कांग्रेस नेता प्रदीप घोष भी अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।

संदिग्ध हालत में मृत पाए गए कंप्यूटर शिक्षक रिजवानूर रहमान के भाई और तृणमूल के नए चेहरे के रूप में सामने आए एकबानूर रहमान को भी इस चुनाव में जनता ने नकार दिया।

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